सिक्योरिटी गार्ड व्यवसाय का फंडा / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 27 मार्च 2019
यह जानकारी उजागर हुई है कि देश में 70 लाख प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड हैं। सभी फिल्म सितारों ने अपनी सुरक्षा के लिए किसी नामी एजेंसी से सुरक्षाकर्मियों की सेवाएं ले रखी हैं। इसके साथ अमीर आदमियों के भी सुरक्षा गार्ड हैं। बहुमंजिला इमारतों और अमीर वर्ग की कोठियों के चौकीदार का सुरक्षा गार्ड से कोई संबंध नहीं है। कितनी अजीब बात है कि देश की रक्षा के लिए तैनात योद्धाओं की संख्या 40 लाख है। स्पष्ट है कि देश की रक्षा से अधिक जरूरी है अमीरों की रक्षा करना। सुरक्षा गार्ड व्यवसाय में बहुत मुनाफा है। बेरोजगार लोगों को सुरक्षा गार्ड एजेंसी कम वेतन पर काम देती है और सितारों तथा अमीरों के सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराकर खूब धन कमाती है। हर क्षेत्र में बिचौलिए मलाई खा रहे हैं।
प्राइवेट सुरक्षा गार्ड के व्यवसाय से यह तथ्य रेखांकित होता है कि देश में व्यवस्था खत्म हो चुकी है और असुरक्षा का भाव दीमक की तरह समाज को खोखला कर रहा है। यह भी संभव है कि भय और असुरक्षा का वातावरण जान-बूझकर गढ़ा गया हो। यह कितना त्रासद है कि 70 लाख हट्टे-कट्टे युवा इन अमीरों में शामिल ऐसे लोगों की रक्षा भी कर रहे हैं, जिन्होंने गरीबी का उत्पादन किया और देश को लूटा है।
नेताओं और मंत्रियों की सुरक्षा सेना के लोग करते हैं। इनके पास शस्त्र रखने का लाइसेंस होता है। सुरक्षा गार्ड के पास शस्त्र का लाइसेंस नहीं है और वे प्रशिक्षित भी नहीं है। वे सुरक्षा का फुगावा प्रदान करते हैं। फुगावा बाजार के अर्थशास्त्र में प्रयुक्त शब्द है, जिसका अर्थ होता है नकली बढ़त, समृद्धि का भ्रम रचना। जिस तरह नकली भय गढ़ा गया है उसी तरह सुरक्षा गार्ड भी रक्षा कर रहे हैं। छायाएं छायाओं से बचा रही हैं, मनुष्य सुन्न पड़ गए हैं परंतु उनकी परछाइयां युद्ध कर रही हैं। याद आता है एक शेर- इक रिदाए तीरगी है और ख्वाबे कायनात, डूबते जाते हैं तारे, भीगती जाती है रात।'
फिल्म 'जॉली एलएलबी' भाग 2 में एक ईमानदार वकील पर गुंडों द्वारा आक्रमण कराया जाता है। अत: जज महोदय पुलिस को आदेश देते हैं कि वकील को सुरक्षा गार्ड दिया जाए। एक मरियल-सा कमजोर सुरक्षा गार्ड दिया जाता है। वकील उस मरियल गार्ड को अपने साथ स्कूटर पर लेकर सब जगह आता-जाता है। यह सब उसके लिए असुविधाजनक है और आर्थिक रूप से महंगा भी पड़ रहा है।
वकील एक आला पुलिस अफसर के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है और साक्ष्य लाने के लिए उसे दूसरे शहर जाना है। वह दुष्ट अफसर अपने साथियों को भेजता है कि वकील को उसके घर में ही जबरन रोके रखे। उस कठिन समय में उसका मरियल गार्ड दुष्ट अफसर के माथे पर अपना रिवाल्वर रख देता है और वकील को अपना काम करने का अवसर देता है। दरअसल, सारे अन्याय पूर्ण मामले की असलियत आम आदमी जानता है परंतु वह कभी भी अपनी खामोशी की केंचुल उतार सकता है और सत्य के साथ खड़ा हो जाता है। यह एक विरल क्षण उसके अकारथ जा रहे जीवन को सार्थकता प्रदान करता है। आम आदमी की विचार प्रक्रिया के स्याह बादलों में बिजली ऐसे ही कौंधती है।
सलमान खान और करीना कपूर अभिनीत फिल्म 'बॉडीगार्ड' में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड को नायक के रूप में पेश किया गया। इसी तरह एक अन्य फिल्म में सनी देओल अमीरजादी के बॉडीगार्ड हैं और उनकी प्रेम कथा प्रस्तुत की गई थी। फिल्म उद्योग में सलमान खान के पुराने मित्र और सुरक्षा गार्ड शेरा है और शेरा की एजेंसी सुगठित संस्था है तथा अनेक कलाकारों को उन्होंने यह सेवा प्रदान की है। हिंदुस्तान के अनेक औद्योगिक घरानों ने सुरक्षाकर्मी नियुक्त किए हैं। एक दौर में इसी सुरक्षा को संगठित अपराध ने व्यवसाय में बदला था।
आम आदमी की सुरक्षा उसकी गरीबी कर रही है। अमीर द्वारा रचे समाज में अमीर व्यक्ति को सेवकों का अमला चाहिए। वह केवल भोजन बिना सहायता के करता है। बेचारा कितना परिश्रम करता है कि खुद निवाला बनाकर अपने मुंह तक ले जाता है और चबाने की जहमत भी उसे ही उठानी होती है। बेरोजगारी दूर करने के लिए असुरक्षा और हुड़दंग को बढ़ावा देकर कुछ लोगों को रोजगार दे दिया जा रहा है। व्यवस्था अपनी पीठ थपथपा सकती है।