सितारा किला और सचिव सुरंग / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सितारा किला और सचिव सुरंग
प्रकाशन तिथि :13 अप्रैल 2017


सफल सितारा एक किले की तरह होता है और सचिव ही वह सुरंग है, जिसके द्वारा आप किले में बिना दिखे आ-जा सकते हैं। आज सितारा एकल व्यक्ति उद्योग हो चुका है, जिसे अभिनय के मेहनताने से अधिक धन विज्ञापन फिल्मों में काम करने के लिए मिलता है। साथ ही उद्‌घाटन समारोह में शामिल होने के लिए वे फिल्म के लाभ में हिस्सेदार बन जाते हैं। आजकल उद्योग में चर्चा का विषय यह है कि सलमान खान अपनी सचिव व व्यवसाय प्रबंधक रेशमा शेट्‌टी से अलग हो चुके हैं। करण जौहर की सिफारिश पर वरुण धवन का काम भी रेशमा देखती रही हैं परंतु डेविड धवन ने वह अनुबंध समाप्त कर दिया है। खबर है कि डेविड धवन इस बात से खफा थे कि फिल्म में अवसर देने के एवज में करण जौहर वरुण धवन के मेहनताने का दस प्रतिशत लेते हैं और रेशमा शेट्‌टी की कंपनी मैट्रिक्स को भी दस प्रतिशत देना होता है। डेविड धवन किसी तरह का जज़िया कर देेने के पक्ष में नहीं थे। सार यह है कि रेशमा शेट्‌टी की कंपनी मैट्रिक्स के अब बुरे दिन आ गए हैं और वे जो फिल्म उद्योग के भूगोल का महत्वपूर्ण हिस्सा थीं, अब उसका इतिहास बनकर किस्सों में ही मौजूद होंगी। अंधेरे की गोद में दुबका हुआ इतिहास होता है और प्रकाश वृत्त में हम भूगोल देखते हैं। मनुष्य की धुरी पर ही घूमती है पृथ्वी, इतिहास और भूगोल। बहरहाल, फिल्म उद्योग में सितारा सचिव की भूमिका इस प्रसंग से स्पष्ट होती है कि 'वापसी' फिल्म की कश्मीर में की जाने वाली शूटिंग के लिए सभी सितारों से समय मिल गया था परंतु प्राण सिकंद का समय नहीं मिल रहा था। एक बुजुर्ग के परामर्श पर निर्माता प्राण सिकंद और उनके सचिव ललित भाई के परिवार के सारे सदस्यों के हवाई टिकट और होटल आरक्षण के कागज ले गया तो उसका काम हो गया। सारांश यह कि सितारे के घर हो रही धन वर्षा की कुछ बूंदें सचिव को भी प्राप्त होती है। याद आती है निदा फाज़ली की पंक्तियां, 'बरसात का बादल तो आवारा है' उसे क्या मालूम किस छत को बचाना है और किस घर को डुबाना है।' वर्षा बदलते हुए संदर्भ में कैसे महत्वपूर्ण होती है। शैलेन्द्र को 'बरसात' में दो गीत लिखने का प्रथम अवसर मिला तो सफल होने पर उन्होंने मुंबई के खार क्षेत्र में बंगला बनवाया, जिसका नाम रखा 'रिमझिम' अौर यह शब्द उनके अवचेतन में ऐसा समाया था कि बाद में उन्होंने गीत लिखा रिमझिम के तराने लेकर आई बरसात, याद आए किसी से वो पहली मुलाकात।' मनुष्य स्मृति और विचार की गुफा में केवल अनुभूतियों के जुगनू के प्रकाश का ही सहारा होता है।

सितारा सचिव इतिहास में सुभाष घई की सिफारिश पर राकेशनाथ माधुरी के सचिव बनें और माधुरी की सफलता के दौर में राकेशनाथ का बड़ा दबदबा और आतंक था। फिल्मकारों की भीड़ राकेशनाथ के घर पर जमा होती थी परंतु विवाह के पश्चात कुछ वर्ष अपने पति डॉक्टर के साथ अमेरिका में बिताने के पश्चात जब वे पुन: मुंबई आईं और अभिनय की दूसरी पारी प्रारंभ की तब उनके पति ने राकेशनाथ के बदले रेशमा शेट्‌टी को ही काम दिया। इस दास्तां में हम रेखा की सचिव अौर अंतरंग सहेली फरजाना को कैसे भूल सकते हैं। रेखा इतनी आकी बाकी थीं कि फिल्मकार अपनी कहानी फरजाना को सुनाते थे और उन्हें पसंद आने पर रेखा को सुनाई जाती थी। कथा सुनाने के दूसरे दौर में फिल्मकार के सामने फरजाना बैठती थीं और उनके पीछे परदे के आवरण में रेखा मौजूद होती थीं गोयाकि आप रेखा नहीं वरन सचिव फरजाना से मुखातिब होते थे। यह भी गौरतलब है कि सचिव-सहेली फरजाना हमेशा मर्दाना लिबास पहने होती थीं। रेखा के समुद्र तट के निकट बने बंगले से थोड़ी दूर पर ही फरजाना का निवास स्थान था और सारा काम उसी जगह होता था।

रेशमा शेट्‌टी का दबदबा और हैसियत फरजाना से अधिक ही थी। दरअसल सितारे का बॉक्स ऑफिस मूल्य ही उसके सचिव की हैसियत तय करता है। जब तक सलीम-जावेद एक जोड़ी की तरह सक्रिय थे, उनके दो सचिव थे तथा जोड़ी टूटने पर सचिवों का भी बंटवारा हो गया। उस समय वे 'मि. इंडिया' व 'दुर्गा' नामक दो पटकथाओं पर काम कर रहे थे। जावेद अख्तर के हिस्से में 'मि. इंडिया' आई जिस पर बोनी कपूर ने फिल्म बनाई और 'दुर्गा' सलीम साहब के हिस्से में आई थी, जिससे प्रेरित फिल्म उन्होंने नहींबनाई संभवत: 'दुर्गा' पटकथा उनके अवचेतन में भागीदारी टूटने से जुड़ी है गोयाकि यादों की जुगाली भी निष्पक्ष एवं तटस्थ नहीं है।