सितारा जोड़ियों के रिश्तों का रसायन / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :04 सितम्बर 2017
फिल्म निर्माण में पूंजी निवेशक खोजने से भी अधिक कठिन काम है सितारों को अनुबंधित करना। यह काम पटकथा के अनुरूप कलाकारों को लेने का है परंतु इस आधारभूत सिद्धांत को सबसे कम महत्व दिया जाता है। चतुर निर्माता सितारों के आपसी रिश्तों को अधिक महत्व देता है ताकि उसे सितारों के समय के लिए अधिक कष्ट नहीं हो। दर्शक भी कुछ जोड़ियों की फिल्में देखना पसंद करता है। यथार्थ जीवन में जिन सितारों में अंतरंगता होती है, उन्हें फिल्म में लेने से फिल्मकार का रास्ता आसान हो जाता है। एक सितारे से रजामंदी मिलने ही, नायिका को अनुबंधित करना आसान हो जाता है परंतु इसका यह अर्थ नहीं कि 'एक पर एक फ्री' मिलता है। मुआवजा तो देना ही पड़ता है परंतु डेट्स मैच करने का झंझट काफी हद तक कम हो जाता है।
सितारों से समय लेने के लिए अजीबोगरीब पापड़ बेलने पड़ते हैं। 'हरजाई' के निर्माण के समय, नायक की मां की भूमिका अभिनीत करने वाली माला सिन्हा से समय नहीं मिल पा रहा था। अपनी जवानी में वे बड़ी सितारा थीं परंतु 'हरजाई' के निर्माण के समय तो वे चरित्र भूमिकाओं में अभिनय करने लगी थीं परंतु कोई सितारा अपने शिखर के दिनों की ठसक कभी भूल नहीं पाता। एक जानकारी यह मिली कि माला सिन्हा के पिता अलबर्ट सिन्हा को ताश खेलने का शौक है। निर्माता उनके घर गया और उसने अलबर्ट सिन्हा के साथ ताश की बाजी जमा ली और जानबूझकर हारने लगा। बाजी मात्र एक रुपए प्रति पॉइंट की थी। इस तरह दो ढाई हजार रुपए हारने के बाद निर्माता ने खेल रोकने की बात की और कहा कि शूटिंग नहीं हो पाने का कारण पूंजी निवेशक से धन नहीं मिल रहा है। अलबर्ट सिन्हा ने तुरंत अपनी बेटी माला सिन्हा का समय निर्माता के लिए आरक्षित किया और कहा कि शूटिंग का यह दौर समाप्त होते ही वह ताश खेलने आए, क्योंकि तब उसके पास धन होगा।
इसी तरह कश्मीर में आयोजित एक आउटडोर शूटिंग में प्राण सिकंद से समय नहीं मिल पा रहा था। ज्ञात हुआ कि उनके सचिव ललित भाई का सपत्नीक हवाई टिकट भी भेजना चाहिए था। रमणीक स्थान पर शूटिंग के समय सितारे के साथ उसके नज़दीकी भी आना चाहते हैं। आजकल तो सितारे के साथ उसका जिम इन्स्ट्रक्टर और कुक भी जाते हैं, क्योंकि उन्हें खास डाइट की आदत होती है। सलमान खान के पास एक पोर्टेबल जिम भी है और उनके पहुंचने के पहले ही उनके जिम की व्यवस्था कर दी जाती है। अाजकल मेकअप मैन अपने सहायक के साथ और बालों की देखभाल का हेयर स्टाइलिस्ट भी साथ जाता है। राखी के साथ खदीजा नामक महिला भी जाती थीं। प्रतिदिन बाबा जर्दे का एक डिब्बा मांगा जाता था। एक दिन निर्माता ने राखी से बात की कि इतना जर्दा खाना हानिकारक हो सकता है। तब ज्ञात हुआ कि राखी तो इसका सेवन नहीं करतीं परंतु उनके सेवक बिना उनकी आज्ञा के ये चीजें मांगते थे। राखी ने जोर देकर जर्दे के पूरे पैसे निर्माता को लौटाए। हिसाब-किताब साफ रखना उनकी ज़िद थी। वे प्राय: आउटडोर शूटिंग के लिए भोजन अवश्य पकाती थीं। उनसे अधिक स्वादिष्ट भोजन शायद ही कोई कलाकार बना पाए। बहरहाल, रेखा और अमिताभ बच्चन पहली बार दुलाल गुहा की फिल्म 'दो अनजाने' में साथ आए परंतु जोड़ी की सफलता के कारण उन्होंने कई फिल्में साथ कीं जैसे 'खून-पसीना', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'नटवरलाल' आदि। दक्षिण भारत के निर्माता एआर पूरनचंद राव ने अमिताभ बच्चन के साथ 'अंधा कानून' व 'आखरी रास्ता' जैसी सफल फिल्में बनाईं। समुद्र तट के निकट उनका एक बंगला अमिताभ बच्चन के लिए ही उन्होंने खरीदा था। उस बंगले में वे स्वयं कभी नहीं रहे। उस बंगले के हर कक्ष में अमिताभ बच्चन व रेखा की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी थीं। इसी निर्माता की फिल्म 'रेलवे स्टेशन' के लिए उदगमंडलम (ऊटी) में एक भव्य सेट लगाया गया था परंतु किसी कारण यह फिल्म बन ही नहीं पाई। जीवन के एक दौर में पूरनचंद राव के मन में ऐसा वैराग्य का भाव जागा कि वे उदगमंडलम में ही बने एक छोटे मकान में रहने लगे। डिपार्टमेंटल स्टोर की अवधारणा के जन्म के बहुत पहले उन्होंने चेन्नई में एक 'लक्ष्मी स्टोर्स' बनाया था, जिसके पहले तल पर अनाज और दूसरे तल पर दवाएं बिकती थीं। इस बहुमंजिला में सारी आवश्यक चीजें उपलब्ध थीं।
शाहरुख खान और काजोल की जोड़ी ने 'दुल्हनिया,' 'कुछ कुछ होता है,' 'करण-अर्जुन,' 'माइ नेम इज खान' इत्यादि में साथ काम किया। बाद में काजोल के पति और शाहरुख खान की फिल्मों के एक ही दिन प्रदर्शित होेने को लेकर विवाद हुआ। काजोल ने अपने पति का साथ दिया और शाहरुख खान के साथ उनके रिश्ते में दरार आ गई। धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने 'सीता और गीता,शोले,' 'चरस,ड्रीम गर्ल,' इत्यादि फिल्मों में काम किया और बाद में विवाह बंधन में भी बंधे। दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला की जोड़ी ने 'देवदास,गंगा जमना,मधुमति,संघर्ष,नया दौर,' में काम किया। परदे पर उनके प्रेम दृश्यों में भावना की गहराई देखते ही बनती है। मधुबाला और दिलीप कुमार एक-दूसरे से प्रेम करते थे परंतु मुगल-ए-आजम के निर्माण के समय उनके बीच अबोला होते हुए भी प्रेम दृश्यों में गहरी अंतरंगता देखी जा सकती है। राज कपूर और नरगिस की मित्रता नौ वर्ष तक रही, जिस दरमियान उन्होंने एक दर्जन से अधिक फिल्मों में काम किया और उनके प्रेम दृश्य का रसायन जादू-सा असर रखता था। अाजकल भूमि पेंडनेकर और आयुष्मान खुराना की जोड़ी पसंद की जा रही है। परदे पर प्रस्तुत दृश्यों पर परदे के परे के रिश्तों का कुछ प्रभाव तो पड़ता है।
कहते हैं, जोड़ियां आसमानों में बनती हैं, धरती पर निभाई जाती हैं। प्राय: यह रिश्ता गुरिल्ला युद्ध की तरह बन जाता है कि अप्रत्याशित आक्रमण करके कमजोरियों के पहाड़ों पर छिप जाओ। इस रिश्ते का प्रभाव पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जाता है और कुछ व्याधियां भी अानुवांशिक होती हैं।