सितारा पत्नियों का कारोबारी संसार / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 16 जनवरी 2013
खाप पंचायत और रूढि़वादी नेता महिलाओं की भूमिका को घरों तक सीमित करने के 'हुक्म' जारी कर रहे हैं। मुंबई के फिल्मी सितारों की पत्नियों के पास धन की कमी नहीं है। शाही ऐशोआराम के साधन उपलब्ध हैं, परंतु वे काम करती हैं। सामंतवादी परिवारों की पत्नियों की तरह गहना तुड़वाकर गहने बनवाने में समय नहीं बितातीं। उन्होंने अपना व्यवसाय खड़ा कर लिया है और कुछ ने उसके लिए प्रशिक्षण भी लिया है। ऋतिक रोशन की पत्नी सुजैन और शाहरुख की पत्नी गौरी ने अपनी भागीदारी में डिजाइनर फर्नीचर और गृहसज्जा की कंपनी खोली है। बॉबी देओल की पत्नी तान्या अत्यंत धनाढ्य घराने से आई हैं, परंतु उनका अपना गृहसज्जा का 'द गुड अर्थ' नामक ब्रांड है। सुनील शेट्टी की पत्नी लंबे अरसे से इसी व्यवसाय में डटी हैं। असफल कलाकार संजय कपूर की पत्नी महीप ज्वेलरी डिजाइनर हैं और अपने काम में उन्हें महारत हासिल है। डिम्पल कपाडिया लंबे समय से फैशनेबल मोमबत्तियां बनाने का काम करती हैं और ये वे साधारण मोमबत्तियां नहीं हैं, जिन्हें हाथ में लिए सामाजिक विरोध दर्ज कराया जाता है। ग्लैमर दुनिया की कोई भी सितारा पत्नी आम आदमी के काम की चीज नहीं बनाती। यह बात अलग है कि उनके सितारा पति आम आदमियों का मनोरंजन करके खास हो गए हैं। दरअसल पूरे भारत में ऐसा एक छोटा-सा धनाढ्य वर्ग है, जिसे भारत से कोई शिकायत नहीं है। मौजूदा भ्रष्ट व्यवस्था उन्हें रिश्वत देकर खूब धन कमाने की सहूलियत देती है और यही वर्ग है, जो कभी वोट डालने नहीं जाता, परंतु इनके खरीदे हुए अनेक नुमाइंदे संसद और विधानसभाओं में इनके लिए काम करते हैं। कुछ माह पूर्व ही एक गरिमापूर्ण पद के चुनाव के लिए एक औद्योगिक घराने ने अपना 'व्हिप' जारी करके पार्टी लाइन के बाहर जाकर वोट डालने का आदेश दिया था। वे 'अपने व्यक्ति' को राजनीतिक शतरंज की बिसात पर अच्छी जगह बैठाने में माहिर हैं।
बहरहाल, अक्षय कुमार की पत्नी ट्विंकल, जो स्वयं भी थोड़े समय के लिए सितारा रही हैं, गृहसज्जा की कंपनी सुचारू रूप से चलाती हैं। सुजैन की मां जरीन (जो अभिनेता संजय खान की पत्नी हैं) पहली सितारा पत्नी थीं, जिन्होंने इंटीरियर डेकोरेशन के व्यवसाय में नाम कमाया था। यह बात कोई तीन दशक पहले की है।
इन पत्नियों को अपना काम आता है, परंतु पति की सितारा हैसियत का भी लाभ मिलता है, क्योंकि श्रेष्ठि वर्ग का कोई व्यक्ति अपनी जमात में सगर्व कह सकता है कि मेरे बंगले की सज्जा शाहरुख खान की पत्नी ने की है या अक्षय कुमार की पत्नी ने की है। इस व्यवसाय में सुना है कि भाव बीस हजार रुपए प्रति वर्गफीट है, गोयाकि लाखों-करोड़ों का भुगतान होता है। सलमान खान की एक बहन अलवीरा कपड़ों की डिजाइनर है, दूसरी अर्पिता गृहसज्जा का काम करती है। यह भी संभव है कि पत्नियों के गृहसज्जा में निपुण होने के कारण सितारे का घर खूब सजा-संवरा रहता है। संभवत: सितारे अपनी पत्नियों के व्यस्त रहने पर खूब प्रसन्न होते हैं, क्योंकि उन्हें 'निगरानीमुक्त' समय मिल जाता है, जिसमें वे अपनी नायिकाओं के साथ चोंचलेबाजी कर सकते हैं और पकड़े जाने का भी भय नहीं है।
गृहसज्जा के व्यवसाय के तहत सितारा पत्नियों को औद्योगिक घरानों के साथ मेलजोल के अवसर मिलते हैं, जिससे उन्हें जानकारी मिल जाती है कि किस कंपनी का शेयर खरीदना मुनाफे का काम हो सकता है। दरअसल एक बार मुनाफे की नदी का पता मिल जाए तो नहरों का रुख बदला जा सकता है। दरअसल भारत में जो नहरें अवाम के खेतों के लिए बनी हैं, उनके जल पर कब्जा बाहुबलियों का हो जाता है। हर क्षेत्र में बाहुबलियों को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है। मनोरंजन उद्योग में उन्हें सितारा पत्नी कहते हैं।
अगर सितारा पत्नियों के जीवन में इतना धन और ऐशोआराम है तो उनके भय भी विचित्र हैं, क्योंकि सितारा पति स्टूडियो में अपनी नायिका से प्रेम दृश्य करके आया है तो प्रेम के उस आवेग का 'तलछट' भी अपने साथ लाया है। अपनी पत्नी के साथ अंतरंगता के क्षणों में कोई और नाम या छवियां भी कौंध जाती होंगी तो लाखों से सजा शयनकक्ष सांय-सांय करता होगा। प्रेम दृश्यों का अभ्यस्त नायक एक विभक्त हृदय लिए घर लौटता है। यह मनोदशा आम लोगों के जीवन में कम मात्रा में ही सही, लेकिन मौजूद रहती है। इस तथ्य को वात्स्यायन ने हजारों वर्ष पूर्व जान लिया था।
जहां एक ओर समृद्ध घरों में इस तरह की बात संभव है, वहां मध्यम वर्ग की महिला दिनभर दफ्तर में पुरुषों की नजरों में रहस्य की परतों को झेलते हुए लोकल ट्रेनमें अनजान लोगों के चाहे-अनचाहे स्पर्श की अनुभूति लिए थकी-मांदी घर लौटती है, तो पति का स्पर्श कितने अनजान स्पर्श को पार करते हुए उसके अंतस तक कैसे पहुंचता होगा!