सितारा प्रेम-प्रसंग और संगठित अपराध / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 05 अक्तूबर 2013
पाकिस्तान से संचालित अपराधी संगठन द्वारा फिल्म वालों पर दबाव डालकर धन हड़पने वाले सांप ने फिर फुफकारा है और इस बार निशाने पर हैं प्रतिभाशाली सोनू निगम, जिनके विदेश में आयोजित कार्यक्रम के अधिकार मांगे गए हैं। स्वयं सोनू द्वारा बताया गया तथ्य यह है कि सन् 2000 में जब सोनू मात्र 25 वर्ष के थे, उन्हें पहली बार दाऊद दल से धमकियां मिली थीं और अनुभवहीन घबराए-से सोनू ने अपने एक पारिवारिक मित्र से शकील को बात करने को कहा, जिन्हें दाऊद सहयोगी शकील अपनी 'बहन' समान समझता था और ये 'बहनजी' भारत के एक माफियानुमा राजनीतिक परिवार की सदस्या थीं। गौरतलब है कि तमाम माफियानुमा संस्थाएं एक-दूसरे से जुड़ी हैं और एक-दूसरे का सम्मान करती हैं, क्योंकि संकट के समय उन्हें एक-दूसरे की सहायता की आवश्यकता होती है और इसी तरह विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी भीतरी स्तर पर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं और एजेंडा होता है कि जब तुम सत्ता में हो तो हमारे काले कारनामों को कानूनी जांच के सुपुर्द नहीं करोगे और ऐसा ही 'भाईचारा' हम निभाएंगे, जब हम सत्ता में होंगे। दुख की बात यह है कि सकारात्मक और सृजनशील शक्तियों के बीच इस तरह का कोई 'भाईचारा' नहीं है। इन शक्तियों के टुच्चेपन और छद्म अहंकार अलग किस्म के हैं और इनके लिए भाईचारा एक 'क्लेशे' है अर्थात पुरातन, बार-बार दोहराई जाने वाली घिसी-पिटी चीज।
वर्तमान में दाऊद सहयोगी शकील की धमकियों में यह शामिल है कि अगर सोनू निगम ने उनकी बात नहीं सुनी तो वह सोनू तथा सन् 2000 में शकील जिन्हें 'बहन' मानता था, उनके ध्वनिबद्ध 'प्रेमालाप' को जारी कर देगा। वर्तमान में 'बहनजी' का परिवार थोड़ा-सा कम ताकतवर हो गया है और भीतर से बंट भी गया है। सोनू निगम ने स्पष्ट किया है कि उनका रिश्ता भी उस भद्र महिला से पवित्र एवं निश्छल था। यह सत्य भी हो सकता है, परंतु जाने किस ध्वनिबद्ध 'प्रेमालाप' की बात सठिया गया शकील कर रहा है। भारत के किसी भी सूरमा दल ने जो पाकिस्तान और वहां बसे दाऊद की निंदा का कोई अवसर नहीं छोड़ते, कभी अपने पट्ठों को पाकिस्तान भेजकर दाऊद को मारने का प्रयास नहीं किया। सरकार को अवश्य उलाहना दिया जाता है कि वह ओबामा का अनुसरण करके लादेन की तरह दाऊद का विनाश क्यों नहीं करते, परंतु यह भूल जाते हैं कि अमेरिका-पाकिस्तान के बीच संधि है और इस अमेरिकी 'मित्र राष्ट्र' के हवाई अड्डों पर अनेक अमेरिकन विमान तथा यथेष्ट सेना वहां मौजूद होती है। भारत का ओबामा अनुसरण युद्ध की तरह माना जाएगा।
बहरहाल, फिल्म उद्योग में सितारों के प्रेम प्रकरण तो अशोक कुमार-नलिनी जयवंत के जमाने से आज तक जारी हैं। मोतीलाल और नूतन की मां शोभना समर्थ अंतरंग मित्र रहे हैं और ये बात दोनों ने डंके की चोट पर कही भी है। दिलीप कुमार-मधुबाला का प्रेम-प्रसंग चर्चा में रहा है, परंतु प्रेमनाथ ने इधर की बात उधर करके इस रिश्ते में शंका के बीज बोए थे, जबकि हमेशा मधुबाला के पिता अताउल्ला खां के विरोध को बेवजह बदनाम किया गया है, क्योंकि मधुबाला ने जब किशोर कुमार से विवाह किया, तब भी अताउल्ला खां ने विरोध किया था। राज कपूर-नरगिस प्रेम प्रकरण नौ वर्षों तक सुर्खियों में रहा और धर्मेंद्र-मीना कुमारी प्रेम-प्रकरण भी लंबा चला, परंतु धर्मेंद्र ने हेमा मालिनी से अवश्य विवाह किया। कुछ समय पूर्व तक शाहरुख खान और प्रियंका चोपड़ा भी चर्चा में रहे तथा ताजा प्रेम-प्रकरण रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ का है। सलमान खान के तीन प्रेम-प्रसंग चर्चा में रहे हैं।
दरअसल, फिल्म उद्योग अन्य उद्योगों से अलग इस मायने में है कि यहां काम का समय फैक्टरी की तरह 9 से 5 नहीं है और महीनों के आउटडोर भी होते हैं तथा अधिकांश कहानियां भी प्रेम की ही होती हैं। अत: वातावरण ही प्रेममय है और युवा लोगों का कुछ देर के लिए बहकना मुमकिन भी है। प्राय: फिल्म उद्योग में सितारा पत्नियों ने अपने गुमराह पतियों को सहन किया है और बात तलाक तक नहीं पहुंची, परंतु असंतोष के कोयले हमेशा धीमी आंच में दहकते रहे हैं। आजकल एक प्रसिद्ध दपती के संबंध टूटने की बात कही जा रही है, परंतु दो पुत्रों की मां का तलाक नहीं हो पाता। शकील की धमकी में उद्योग के सदस्य नहीं वरना राजनीतिक परिवार की बात तहलका मचा सकती है। ज्ञातव्य है कि माफिया में अलिखित सिद्धांत होता है कि बहन, बेटियों को सुरक्षित रखेंगे। जाने अब शकील अपनी 'बहनजी' को क्यों घसीट रहा है।