सितारे का करिश्मा / जयप्रकाश चौकसे
सितारे का करिश्मा
प्रकाशन तिथि : 18 सितम्बर 2009
सिनेमा की भाषा में क्लोजअप के आने के कारण सितारे का जन्म हुआ, जो दर्शकों में अपने उन्माद जगाता है। इस सितारे के कारण बॉक्स ऑफिस पर धन की बरसात होती है और जो व्यावसायिक सिनेमा का ईंधन है। सितारे और दर्शकों पके बीच के रसायन को प्रेम की तरह ही समझा नहीं जा सकता। दर्शक के मन में बैठा बच्चा सितारा छवि से मनपसंद खिलौने की तरह प्यार करता है। जिस तरह बच्चे चांद के लिए जिद करते हैं और चतुर मां पानी भरी थाली में उसे चांद की छवि दिखती है, वैसे ही दर्शक भी सितारा झलक के लिए मचलता है और सिनेमा के परदे (पानी भरी थाली) पर उसे देखकर खुश हो जाता है। दर्शक और सितारे मिल नहीं पाते और अपरिचय के इस विंध्याचल के बावजूद वे एक-दूसरे को बखूबी समझते हैं।
एक दौर में मीडिया ने सलमान खान को बहुत बदनाम किया और उनकी खामोशी ने भी उन्हें खराब छवि प्रदान की, परंतु टेलीविजन पर ‘दस का दम’ शो में पहली बार लोगों ने असली प्रेमल सलमान को देखा। विगत कुछ समय से उनकी लगभग सही छवि उजागर हो रही है और उन्होंने भी अपनी खामोशी तोडी है। दर्शक और सलमान की मोहब्बत की इस नई पारी में बोनी कपूर और प्रभूदेवा की ‘वांटेड’ एक महत्वपूर्ण फिल्म मानी जा सकती है, क्योंकि इसमें सितारा सलमान खान अपने पूरे तेवर और मिजाज के तमाम तोड के साथ मौजूद हैं। उनका हास्य का माददा, प्रेम करना, असीमित दर्द को मुस्कुराते हुए सहना, आत्मविश्वास से जन्मी हेकडी इत्यादि सब कुछ राधे की इस भूमिका में मौजूद है।
दरअसल पूरी फिल्म की कल्पना ही उनकी शख्सियत को प्रस्तुत करने के लिए की गई है और व्यावसायिक सिनेमा में यह हर लोकप्रिय सितारे के साथ हर दौर में किया गया है। दिलीप कुमार के लिए लिखी गई फिल्म राज कपूर के साथ नहीं बनाई जा सकती और इसका विपरीत समीकरण भी उतना ही सच है। सितारे की छवि को प्राय: इस तरह से भुनाया जाता है जैसे गन्ने की चरखी से उस समय तक रस निकालते हैं, जब तक सूख गन्ना जानवर के खाने के काम का भी नहीं रहे। ‘वांटेड’ में सलमान खान नाचते-गाते हैं, एक्शन करते हैं, हास्य दृश्य करते हैं। गोयाकि पूरी फिल्म उनकी प्रतिभा का शोकेस है। आयशा टाकिया ने भी बढिया अभिनय किया है और विनोद खन्ना ने अपनी छोटी सी भूमिका बहुत प्रभावोत्पादक ढंग से निभाई है। इस फिल्म में कुछ झलकियों सलमान शहजादे सलीम के लिबास में मनमोहक लगते हैं। प्रभू देवा ने इसे संपूर्ण मसाला फिल्म की तरह रचा है और सलमान ने पूरे जोशोखरोश से काम किया है। फिल्म का आखिरी घंटा अत्यंत रोचक है। फिल्म में नवरात्रि का रास भी है और ईद की खुशी भी।