सितारे : पहाडियां और पानी/ जयप्रकाश चौकसे

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सितारे : पहाडियां और पानी

प्रकाशन तिथि : 04 नवम्बर 2009


एक ही पखवाडे में दो चर्चित फिल्‍मों (ऑल द बेस्‍ट, लंदन ड्रीम्‍स) में विपरीत भूमिकाओं में उत्‍तम अभिनय करने वाले अजय देवगन विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं और दो बार अभिनय के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार जीत चुके हैं। ‘ऑल द बेस्‍ट‘ में उन्‍होंने हास्‍य भूमिका की है और ‘लंदन ड्रीम्‍स’ में ईर्ष्‍या के अंगारों पर चलने वाले दुष्‍ट व्‍यक्ति की भूमिका है। अजय देवगन के स्‍टाफ में कोई प्रचारक नहीं है और मीडिया से दूर रहना उन्‍हें पसंद है। वे खामोश तन्‍हा किस्‍म के इंसान हैं और उम्र के इस दौर में निहायत ही घरेलू हो चुके हैं। शूटिंग के बाद उन्‍हें अपनी पुत्री न्‍यासा के साथ समय गुजारना पसंद है।

पंजाब के अटारी गांव के वीरू देवगन मुबंई आए और लंबे समय तक संघर्ष के बाद मनोज कुमार की ‘क्रांति’ फिल्‍म से सफल एक्‍शन मास्‍टर बने। एक्‍शन के दृश्‍यों का संपादन करने के लिए उन्‍होंने स्‍वयं का उपकरण खरीदा और युवा अजय ने कॉलेज की पढाई करते हुए पिता के सहायक के रूप में काम भी किया।

पिता और मित्र दिनेश पटेल और निर्देशक कुकू कोहली ने अजय के साथ ‘फूल और कांटे’ बनाई। इस एक्‍शन फिल्‍म की सफलता ने उन्‍हें सितारा बना दिया, परंतु सफलता की लहर में वह बहे नहीं वरन तर्क के किनारे बैठ कर उन्‍होंने महसूस किया कि एक्‍शन फिल्‍मों के बूते वह लंबी दौड नहीं सकते। बतौर अभिनेता अपने विकास के लिए उन्‍होंने कम मेहनताने में बेहतर निर्देशकों के साथ काम करने का निश्‍चय किया। उन्‍होंने महेश भटट, प्रकाश झा, गोविंद निहलानी, राजकुमार संतोषी और रामगोपाल वर्मा के साथ काम किया। दूसरी बडी बात यह है कि उन्‍होंनें नकारात्‍मक भूमिकाओं के लिए मना नहीं किया।

संतोषी की ‘खाकी’ में सितारों की भीड में खलनायक के रूप में अजय खूब सराहे गए। उनकी यह सोच की धन अच्‍छे काम का बायप्रोडक्‍ट हो सकता है, बहुत काम आई। प्रकाश झा की ‘गंगाजल’ और ‘अपहरण’ फिल्‍म ने उनके प्रशंसकों की संख्‍या बढाई। आजकल वह प्रकाश झा के साथ फिल्‍म ‘राजनीति’ कर रहे हैं। संजय लीला भंसाली की ‘हम दिल दे चुके सनम’ में उन्‍हें खूब प्रशंसा मिली।

फिल्‍म उद्योग के मैदान में सुपर सितारों के बडे-बडे टीले और पहाडियां हैं। अजय देवगन पानी की तरह बहकर इन तमाम टीलों के ईद-गिर्द फैल गए हैं और उनकी जमीना आर्द्रता से सारी ऊंचाईयां शुक्रवार को घटती-बढती रहती हैं, परंतु पानी की तरह पसरे अजय देवगन को इससे कोई फर्म नहीं पडता। वह जमीन पर प्रवाहित हैं। अपने करियर की तरह व्‍यक्तिगत जीवन में भी वह सहज स्‍वाभाविक जमीनी जिंदगी जीते हैं। ऊंचाई नहीं, गहराई उनका लक्षण है।

उनकी पहली निर्देशकीय कोशिश्‍ अपनी पत्‍नी के नाम लिखा प्रेम पत्र था। शादियां और फिल्‍में हिट या फ्लॉप होती हैं, प्रेम पत्र सभी असफल या सफल नहीं होते। प्रेम पत्र सितारे हो जाते हैं, नजारे हो जाते हैं। अंतर्मुखी अजय देवगन संचित शक्ति के साथ निर्देशन में लौटेंगें। बचपन से ही प्रेमल अजय देवगन प्रेम पत्र लिखना नहीं छोड सकते।