सितारों का गंजापन और विग का प्रयोग / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 11 फरवरी 2019
आजकल सभी नए पुराने अभिनेता जिम जाकर कसरत करते हैं। मांसपेशियां बनाना अभिनय कला सीखने से अधिक जरूरी मान लिया गया है। पुरुष पात्र स्त्री पात्रों से अधिक देह प्रदर्शन कर रहे हैं। दर्शक भी इसे पसंद करते हैं। सलमान खान अभिनीत फिल्मों में कम से कम एक दृश्य ऐसा रखा जाता है, जिसमें उनके सिक्स पैक दिखें। महिलाएं भी जिम जाती हैं। किसी भी व्यक्ति की सामान्य चाल देखकर ही बताया जा सकता है वह जिम जाता है। कसरती व्यक्ति अपने हाथ अपने तन से सटाकर नहीं रखते। आजकल पारम्परिक दंड बैठक कोई नहीं लगाता। जिम में भी विशेषज्ञ की सलाह लेकर कसरत की जाती है। जिम में पूछा जाता है कि आपकी प्राथमिकता बाइसेप्स बनाने की है या दिल मजबूत करने की कार्डिएक एक्सरसाइज करना चाहते हैं। कुछ लोग पैरों को सशक्त करने को प्राथमिकता देते हैं।
यह अजीब बात है कि शरीर सौष्ठव पर मेहनत करने वालों के बाल झड़ते हुए नज़र आते हैं। गंजेपन को विग द्वारा आसानी से ढंका जा सकता है। गंजेपन से बचने के लिए तेल विशेष लगाने के ढेरों विज्ञापन टेलीविजन पर दिखाए जाते हैं। यह भी मान्यता है कि महिलाओं को कंघा 40 बार अपने बालों पर चलाना चाहिए। सोने के पहले और उठते ही ऐसा करने से बाल मजबूत होते हैं। गंजेपन को लेकर अनेक कहावतें भी बनी हैं-जैसे 'ईश्वर गंजे को नाखून न दे', 'सिर मुंडाते ही ओले पड़े', 'गंजे को कंघा और एस्किमों को बर्फ बेचना' 'इतनी पिटाई होगी कि सात पुश्तें गंजी होंगी' इत्यादि। गंजेपन को दूर करने के विज्ञान में बहुत विकास हो गया है। बालों का प्रत्यारोपण भी किया जाता है पर इन सबसे अधिक सरल है विग पहनना। हमारे सदी के कलाकार के रूप में प्रचारित प्रतिभाशाली अभिनेता तो लगभग 20 वर्ष से अधिक समय से विग पहन रहे हैं। विग इच्छानुसार उतारे और पहने जा सकते हैं परंतु विग उतारकर सोने पर आप स्वप्न में स्वयं को गंजे की तरह पाएंगे।
गंजापन अनुवांशिक हो सकता है और हार्मोन असंतुलन भी इसका कारण हो सकता है। इस असंतुलन को विटामिन लेकर दूर किया जा सकता है। आनुवांशिक गंजेपन को दूर करने के उपाय भी खोजे जा रहे हैं। राज कपूर की 'बूट पॉलिश' में डेविड द्वारा अभिनीत जॉन चाचा गंजा पात्र है और गंजापन दूर करने के लिए नुस्खे बताकर उसे बच्चे भी मूर्ख बनाते रहते हैं। फिल्म में अवैध शराब बेचने के अपराध में जॉन चाचा को सजा होती है। उनके जेल कक्ष के सभी साथी गंजे हैं। इसी दृश्य के लिए के लिए मन्ना डे का गाया गीत 'लपक झपक तू आ रे बदरवा, तेरे घड़े में पानी नहीं है, तू पनघट से भर ला'।
स्वयं मन्ना डे ने एक साक्षात्कार में कहा कि ये उनके श्रेष्ठ गीतों में से एक है। ज्ञातव्य है कि राज कपूर के लिए प्राय: मुकेश पार्श्वगायन करते थे परंतु ऊंचे सुर के सारे गीत मन्ना डे ने गाए हैं जैसे फिल्म 'श्री 420' का 'प्यार हुआ इकरार हुआ है प्यार से फिर क्यों डरता है दिल' और फिल्म 'चोरी चोरी' के युगल गीत 'आजा सनम मधुर चांदनी में हम और तुम मिले तो वीराने में आ जाएगी बहार'। इसी गीत में एक जगह इस आशय की बात की गई है कि सभी हालात अनुकूल है 'फिर भी न जाने जीवन में क्या है कमी' यहां एक अत्यंत गहरी दार्शनिक बात कही गई है कि एक रहस्यमय कमी मिलन के क्षणों में भी महसूस की जाती है। प्रेमी युगल के अंतरंग क्षणों में भी अवसाद कायम रहता है। इस तरह की बात मिलकर भी नहीं मिलने पर जाकर ठहरती है। दरअसल, शरीर की सीमा होती है परंतु अवचेतन सीमातीत है। इस तरह की बात वात्स्यायन ने 'कामसूत्र' में भी लिखी है कि अंतरंगता के क्षणों में किसी और का विचार मन में आने से उसकी पवित्रता भंग हो जाती है।
आजकल सितारों के हेयर स्टाइलिस्ट स्वयं को अनुबंधित करने वाले सितारा के अलावा किसी और के लिए काम नहीं करते। उनका अनुबंध ही इस तरह का बनाया जाता है। आम आदमी तो हेयर सैलून में जाकर अपनी बारी के आने का इंतजार करता है और वह सैलून चलाने वाले को विशेष निर्देश भी नहीं देता। प्राय: वे अपने ढंग से काम कर पाते हैं। आम आदमी के अवचेतन में बहुत बड़ी भीड़ शामिल है। नेताओं से अधिक वह स्वयं को घिरा हुआ पाता है। रोजमर्रा की आवश्यकताएं पूरी नहीं कर पाने वाला आदमी स्वयं के अवचेतन को शून्य की दशा में कैसे ले जा सकता है? हेयर कटिंग सैलून चलाने वाले प्राय: बातूनी होते हैं। उनकी जुबान उनके हाथ की मशीन से सुर मिलाती है। गुरुदत्त की फिल्म 'प्यासा' में जानी वॉकर पर फिल्माया गीत है 'सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए, आजा प्यारे पास हमारे काहे घबराए… सुन सुन सुन, अरे बेटा सुन, इस चम्पी में बड़े बड़े गुन।'