सितारों की खेती बाड़ी / जयप्रकाश चौकसे

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सितारों की खेती बाड़ी
प्रकाशन तिथि : 08 अगस्त 2018


नवाजुद्दीन सिद्दीकी उत्तर प्रदेश के गांव में अपने खेत में काम कर रहे हैं। उन्हें जब भी अभिनय से अवकाश मिलता है, वे अपने खेत में समय गुजारते हैं। सलमान खान मुंबई के निकट पनवेल के अपने फॉर्म हाउस में रहना पसंद करते हैं। मुंबई के निकट धर्मेंद्र का पांच सौ एकड़ का फॉर्म है। राखी का फॉर्म हाउस भी पनवेल में है। आमिर खान पचगनी के अपने फॉर्महाउस में सपरिवार वक्त बिताते हैं। आमिर खान की फिल्म 'तारे जमीं पर' का विषय अलग था परंतु हम देखते हैं कि फिल्म सितारे जमीं से जुड़ने के लिए बेकरार रहते हैं। हमारे यहां प्रथा है कि नवजात शिशु की नाल जमीन में गाड़ी जाती है। अवचेतन के अदृश्य बीज भी जमीन में ही बोए हुए होते है। कोई आश्चर्य नहीं कि राज कपूर और गुरुदत्त भी अपने फॉर्म हाउस में वक्त गुजारते थे। ऋषि कपूर का भी अलीबाग में फॉर्म हाउस है। बिमल रॉय के पूर्वज जमींदार थे और उनके जुल्मों के लिए पश्चाताप करते हुए उन्होंने 'दो बीघा जमीन' नामक सर्वकालिक महान फिल्म रची है। मेहबूब स्वयं और उनके वंशज सौराष्ट्र में खेतों में मजदूरी करते थे। जमीन के उत्तराधिकार के लिए संघर्ष करती है 'वारिस' फिल्म की नायिका। 'वारिस' स्मिता पाटिल की 'मदर इंडिया' थी। फिल्मकार कमाल साहब के पूर्वज भी अमरोहा के जमींदार थे।

कहावत है कि ज़र, जोरू और जमीन के लिए खून खराबा होता है। मर्द औरत को अपनी जायदाद समझता है, उसे जमीं से ज्यादा रौंदता है। पाकिस्तान की सारा शुगुफ्ता ने लिखा था कि औरत जमीं नहीं कुछ और भी है। गर्भाशय को खेत मानने की ज़हालत की जड़ें भी गहरी पैठी हुई हैं। शांताराम की महान फिल्म 'दो आंखें बारह हाथ' में जेलर नायक जरायमपेशा अपराधियों से खेती करवाते हैं और इसी प्रक्रिया में उन्हें मानवीय बनाते हैं। आखरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर अपनी बदनसीबी इस तरह बयां करते हैं, 'कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए/ दो गज जमी भी न मिली कू-ए-यार में।' अकिरा कुरोसोवा की महान फिल्म 'सेवन समुराई' के अंतिम दृश्य में प्रेमिका अपने समुराई प्रेमी का हाथ झटककर बोलती है कि वर्षा हो रही है- यह खेत में बुआई का समय है। 'सेवन समुराई' से प्रेरित फिल्में सभी देशों में बनाई गई हैं और हमारी 'शोले' भी वही अंकुरित हुई है परंतु सारे ही फिल्मकारों ने अकिरा कुरोसावा के मूल विचार को अनदेखा किया है। वह विचार यह है कि गांव या कहें मनुष्य की बस्तियां सभ्यता का प्रतीक है और जब उस पर कोई जुल्म करता है या उसकी उपज का एक हिस्सा छीनना चाहता है तब सभ्य परंतु कमजोर मनुष्य अपराधियों की मदद लेकर अपनी जमीन बचाते हैं गोयाकि सभ्यता की सीमारेखा पर खड़े बहादुर लोगों को अपनी रक्षा के लिए बुलाया जाता है। 'शोले' का जमींदार जो कभी जेलर रहा है, अपने दो शातिर परंतु वीर मुजरिमों को बुलाता है कि वे आकर रक्षा करें गोयाकि कांटे से ही कांटा निकाला जाता है। अमेरिका में मूल निवासी रेड इंडियन को खदेड़कर पश्चिम अमेरिका को विकसित किया गया है। हॉलीवुड की फिल्म 'हाउ द वेस्ट वॉज़ वन' इसी कथा विचार पर आधारित फिल्म थी। महान कलाकार मार्लन ब्रैंडो ने ऑस्कर पुरस्कार ग्रहण करने से इनकार किया था। यह रेड इंडियन पर किए गए जुल्म का प्रतीकात्मक विरोध था। मूल निवासियों को किसी न किसी बहाने खदेड़े जाना सदियों से जारी है।

पीटी बसम नामक एक व्यक्ति हुआ है, जिसने सामुहिक अवचेतन को ठग कर हमेशा खूब धन कमाया है। एक बार उसने बंजर जमीन औने-पौने दामों में खरीदी। एक रात सबकी नज़र से बचकर उसने उस जमीन में गड्‌ढा करके कबाड़े से खरीदी एक कृति को रखा, जिसके नीचे चने की एक परत जमा दी, एक बीज वहां डाला और पानी डालता रहा। जमीन की निचली सतह में डाले गए चने पानी मिलने पर फूलते गए और एक दिन वह कृति जमीन के ऊपर आ गई। उसने इस प्रायोजित तमाशे को देखने के लिए भीड़ जुटा ली थी। इस चमत्कारी बंजर जमीन को लोगों ने महंगे दामों में खरीदा। पीटी बसम ने ताउम्र सामुहिक अवचेतन से खेलकर खूब धन अर्जित किया था। उसे सलाह दी गई कि वह अपने इस हुनर से चुनाव जीतकर सत्ता पर काबिज हो सकता है परंतु उसने यह कहकर इनकार किया कि ऐसा करने पर प्रतिदिन बार-बार झूठ बोलना पड़ेगा। वह अपने एक ही कारनामे से करोड़ों डॉलर कमाकर ऐश करता है और पैसा खत्म होने लगता है तो एक नया स्टंट खेल जाता है।

भारत में अत्यंत कम जमीन पर खेती की जाती है। आंकड़े बोने और उनकी फसल काटने से फुरसत पाकर कोई नेता खेती योग्य जमीन का प्रतिशत बढ़ाए तो भुखमरी से निपटा जा सकता है और बेरोजगारी भी दूर की जा सकती है। पसीने से सींची जमीन पर ही संतोष-सुख की फसल उगाई जा सकती है। तमाम मंत्रालयों और सरकारी दफ्तरों के एसी बंद करके पसीना बहाया जाए तो लाखों यूनिट बिजली की बचत होगी और प्रदूषण भी कम होगा। अगर पीटी बसम का जन्म भारत में होता तो वह हिमालय की बर्फ इस प्रचार के साथ बेच देता कि शराब में यह बर्फ डालकर पीने से सेहत अच्छी होती है और लिवर की बीमारी भी नहीं होती।