सितारों के आम और गुठलियों के दाम / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 29 अप्रैल 2014
विचक्राफ्ट मनोरंजन की एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी है जो 'बिग बॉस' जैसे कार्यक्रम प्रस्तुत करती है तथा कुछ फिल्मों में पूंजी निवेश भी करती है। यह आइफा अवाड्र्स का उनका पंद्रहवां आयोजन था जो फ्लोरिडा में संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम व्यावसायिक ढंग से आयोजित किया जाता है और महीनों पहले कलाकारों से कानूनी अनुबंध किया जाता है, सारे खर्चे के साथ धन भी कलाकारों को मिलता है। इसी तरह के अनुबंध के कारण अनुपम खेर की तरह कुछ कलाकार मतदान नहीं कर पाए परंतु ऋषिकपूर, सैफ इत्यादि कुछ कलाकारों ने मतदान की रात फ्लाइट ली। बहरहाल इस तरह के आयोजन में बहुत धन खर्च होता है और आय के दो स्रोत हैं- दर्शकों द्वारा खरीदे टिकिट। आयोजन उन्हीं शहरों में किया जाता है जहां अप्रवासी एशियावासी रहते हैं और दूसरा है टेलीविजन पर कार्यक्रम के प्रसारण अधिकार। इसके कुछ अंश विदेशी चैनल भी खरीदते है। अमेरिका में अनेक प्राइवेट रेडियो केंद्र भी हिंदी में समाचार तथा फिल्मी गीतों का प्रसारण करते हैं, परंतु विदेशों में भारतीय सिनेमा में रुचि रखने वाले सारे माध्यम सितारा केंद्रित हैं और भारतीय सिनेमा की सामाजिक प्रतिबद्धता या कला-पक्ष में उनकी कोई रुचि नहीं है गोयाकि उनका नजरिया भी वही है जो देश की फिल्म पत्रकारिता का है।
भारत में आयोजित फिल्म पुरस्कार समारोहों का आर्थिक आधार भी टेलीविजन पर प्रसारण है। सितारों को मुफ्त की विदेशी छुट्टी मिल जाती है और कुछ कलाकार अपनी बीमारियों का इलाज भी वहां करा लेते हैं। कुछ सौंदर्य शल्य चिकित्सा का लाभ भी उठाते हैं, जो भारत में कराने पर उसकी गोपनीयता भंग होने के खतरे से भी बच जाते हैं। सुडौल सुंदर शरीर स्वाभाविक भी होता है और टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर भी 'पैदा' किया जा सकता है। इस तरह सितारों के जीवन में आम के आम और गुठलियों के दाम भी मिलते हैं कि समारोह में शिरकत करते हुए अपने काम भी हो जाते हैं। दरअसल जो बिकता है, वह अनपेक्षित क्षेत्रों में भी वसूली कर लेता है। कुछ वर्ष पूर्व हॉलीवुड की स्टार दंपती को अपने नवजात शिशु के चित्रों के पहले प्रसारण के लिए अच्छी खासी रकम मिली थी। मुंबई की उस इमारत के फ्लैट के दाम बढ़ जाते हैं जिनमें कोई सितारा रहता है। यह भी सच है कि कई निवासी सितारों के पड़ोसी होने के कारण इसलिए दु:खी हैंकि कारण अकारण टेलीविजन के कैमरे उनके परिसर में लगे रहते हैं। उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता में बाधा पहुंचती है। सितारे और उनके परिवार वाले इमारत के लिफ्टमैन तथा अन्य कर्मचारियों को आवश्यकता से अधिक 'टिप' देते हैं जिसके कारण वह अन्य रहवासियों को कम आदर देते हैं। एक बार एक समारोह से लौटते समय सलीम खान, राजकपूर और उनकी पत्नी श्रीमती कृष्णकपूर साथ में थे और कर्मचारियों ने राजकपूर से अधिक आदर सलीम खान को दिया। राजकपूर ने अपनी पत्नी से पूछा कि क्या उनकी लोकप्रियता सलीम खान से कम हो गई है। उनकी पत्नी ने बताया कि यह मामला लोकप्रियता का नहीं है। सलीम खान हमेशा उन्हें मोटी रकम 'टिप' में देते हैं और आप ऐसा कुछ नहीं करते। यह संभवत: प्रेम चोपड़ा की इमारत में हुआ जहां सलीम खान अकसर आते थे।
आजकल सितारों की डायरी में फिल्म शूटिंग के साथ विज्ञापन फिल्मों के लिए समय आरक्षित किया जाता है तथा पुरस्कार समारोह और प्रदर्शन पूर्व प्रचार के लिए भी समय आरक्षित किया जाता है। सारांश यह है कि सितारा अपने प्रमुख काम के लिए आधा वर्ष ही दे पाता है। अगर गौर करें तो संभवत: जीवन के सामान्य क्षेत्रों में आम आदमी असली काम को बमुश्किल पचास प्रतिशत समय ही दे पाता है। सामाजिक दायित्वों के निर्वाह के साथ अब कुछ अनोपयोगी कार्यों में भी समय नष्ट होता है। एक सफल डाक्टर अपनी प्रैक्टिस में इतना व्यस्त है कि वह आधुनिकतम आविष्कारों की किताब ही नहीं पढ़ पाता गोयाकि सफलता का चक्र प्रतिभा के दम पर घूमते हुए उस प्रतिभा को ही लील जाता है। हम औसत आयु के सत्तर वर्षों में बमुश्किल दस-बारह वर्ष ही सार्थकता के साथ जी पाते हैं। भीड़ भरे महानगरों में यात्राएं कितना समय ले लेती है और गौरतलब यह है कि जीवन कितना हमारे अधिकार में है और कितने पर हमारा जोर नहीं चलता।