सीने में जलन और आंखों में तूफ़ान सा है / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सीने में जलन और आंखों में तूफ़ान सा है
प्रकाशन तिथि : 24 मार्च 2021


अपने लगभग सौ वर्षों के इतिहास में पहली बार ऑस्कर की सभी श्रेणियों में अश्वेत अमेरिकी कलाकारों का नामांकन हुआ है। ‘गैस हू इज कमिंग टू डिनर’ के लिए अश्वेत अमेरिकी का नामांकन हुआ था। क्या इस बार के परिवर्तन का कारण आम अमेरिकी नागरिक का, जो बिडेन और कमला हैरिस के चयन के प्रति झुकाव का ही हिस्सा माना जा सकता है? यथा प्रजा तथा राजा ही चरितार्थ हो रहा है। हमारे यहां यह द्वंद्व नहीं है। राजा, प्रजा दोनो को ही संकीर्णता मन-भावन लगती है। महात्मा गांधी का प्रभाव काल हमारे जीवन की फिल्म में सुहाना स्वप्न दृश्य मात्र रहा है। यह रात बहुत लंबी है, परंतु ऐसी कोई रात नहीं, जिसकी सुबह ना हो।

एक बार मर्लिन ब्रैंडो ने ऑस्कर लेने से इंकार कर दिया, क्योंकि अमेरिका के मूल और रेड इंडियन नागरिकों से उनकी जमीन और अधिकार चुरा लिए गए थे। दरअसल दुनिया की अधिकांश जमीन मूल नागरिकों से लूट ली गई है। ऑस्कर इतिहास में पहली बार ऑस्कर दल के अध्यक्ष ने कलकत्ता आकर सत्यजीत रॉय को अपनी लंबी सेवा के लिए पुरस्कार दिया था। ज्ञातव्य है कि कान महोत्सव में सत्यजीत रॉय की फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ का शो सुबह 10 बजे रखा गया। जूरी सदस्य देर रात दावतों में शरीक होते थे और सुबह के शो में उनींदे होते थे। ऐसे ही शो में जूरी एक सदस्य जागे हुए थे। अन्य सदस्य ऊंघ रहे थे। शो के बाद जागे हुए सदस्य ने अन्य सदस्यों को कॉफी पीकर तरोताजा रहने का निवेदन किया। फिल्म दूसरी बार दिखाई गई और इस बार सदस्यों ने एकमत से उसे पुरस्कार देने का निर्णय लिया। किसी एक आदमी का जागते रहना भी बड़ा परिवर्तन कर सकता है। जागे हुए को जगाना कठिन होता है। सोते हुए को जगाया जा सकता है।

ऑस्कर मतदाता को फिल्म, संयोजक द्वारा चुने गए सिनेमाघर में देखना होता है। मतदाता को कार्ड पंच कराना होता है। मतदाता बिना सिनेमाघर में फिल्म देखे मतदान नहीं कर सकता। फिल्मों के निर्माता, मतदाता को किसी तरह हांका लगाकर सिनेमाघर तक लाता है। प्रकाश झा की फिल्म ‘दामुल’ में मतदाता इसी तरह लाए जाते हैं।

आज भी यही किया जा रहा है परंतु संकीर्णता का प्रवाह अधिकांश लोगों को बहाकर लाता है। औसत मतदान बमुश्किल 50% होता है और 30% पर सत्ता प्राप्त होती है। इस तरह न्यूनतम लोगों के मत से सत्ता मिलती है। गणतंत्र के इस मॉडल पर भविष्य में शोध किया जाएगा। वर्तमान का रहस्य बाद में उजागर होगा। ऑस्कर संचालक विज्ञापन नहीं लेते। यह प्रायोजित समारोह नहीं है। ऑस्कर पाने वाली फिल्म दूसरी बार सिनेमाघरों में प्रदर्शित होती हैं। इस बार दर्शक संख्या अधिक हो जाती है। सर रिचर्ड एटनबरो की ‘गांधी’ ऑस्कर पाने के बाद दूसरी बार सिनेमाघरों में प्रदर्शित की गई। बहुत अधिक अमेरिकी लोगों को गांधी का योगदान समझ में आया।

अमेरिका में यह भी किया जाता है कि पहले एक काल्पनिक पुस्तक की बिक्री प्रायोजित की जाती है। फिर अत्यधिक संख्या में बिकने वाली किताब से प्रेरित फिल्म की घोषणा होती है। इस प्रक्रिया के साथ ही फिल्म की शूटिंग भी जारी रहती है। कभी-कभी जनसाधारण के लिए प्रदर्शन पूर्व किसी सुदूर कस्बे में फिल्म का प्रदर्शन करके दर्शक प्रतिक्रिया समझी जाती है। अवाम के लिए प्रदर्शन पूर्व ही आवश्यक सुधार और परिमार्जन किया जाता है। स्टीवन स्पीलबर्ग नाराज हैं कि पुरस्कार जीतने वाली सारी फिल्में इंटरनेट पर प्रदर्शित हुईं। वे जानते हैं कि सिनेमाघर में देखना अलग अनुभव है। इंटरनेट मंच ने स्टीवन की महत्वाकांक्षी फिल्म के लिए आवश्यक पूंजी लगाने की पहल की है। हर तरह की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। बाजार तंत्र की माया निराली है। स्टीवन कैसे नाराज हों, उन्हें कौन सुनाए, मेरा दिल नाराज नहीं परेशान सा है, साथ ही उनके सीने में जलन आंखों में तूफ़ान सा है।