सुख / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी
(अनुवाद :सुकेश साहनी)
एक दिन पैगम्बर शरीअ को एक बाग में एक बच्चा मिला। वह दौड़ता हुआ उनके पास आया और बोला, "गुडमार्निग सर!"
"गुडमार्निग टू यू सर!" पैगम्बर ने कहा, "तुम अकेले हो?"
इस पर बच्चा खिलखिलाकर हँसते हुए बोला, "अपनी आया (नर्स) से पीछा छुड़ाने में बहुत देर लगी। अब वह सोच रही होगी कि मैं उन झाड़ियों के पीछे हूँ, पर...मैं...मैं तो यहाँ हूँ।" फिर पैगम्बर की ओर ध्यान से देखते हुए बोला, "आप भी तो अकेले हैं, आपकी आया कहाँ हैं?"
"अ...हाँ, वह एक अलग बात है," पैगम्बर ने कहा, "सच तो यह है कि मैं अक्सर पीछा नहीं छुड़ा पाता, पर अभी जब मैं बगीचे में आया तो वह मुझे झाड़ियों के पीछे ढूँढ़ रही थी।"
बच्चा तालियाँ बजाते हुए किलक उठा, "अच्छा...तो आप भी मेरी तरह जानबूझकर खो गए हैं। इस तरह गुम हो जाना कितना अच्छा लगता है! ...आप कौन हैं?"
"लोग मुझे पैगम्बर शरीअ कहते हैं," उन्होंने उत्तर दिया, "तुम कौन हो?"
"मैं...मैं हूँ," बच्चे ने कहा, "मेरी नर्स मुझे ढूँढ़ रही है और वह नहीं जानती कि मैं कहाँ हूँ।"
तब पैगम्बर ने आकाश की ओर देखते हुए कहा, "मैं भी थोड़ी देर के लिए अपनी नर्स से निकल भागा था लेकिन वह मुझे ढूँढ़ लेगी।"
"मैं जानता हूँ...मैं भी ढूँढ़ लिया जाऊँगा।" बच्चे ने कहा।
तभी बच्चे का नाम लेकर पुकारती एक औरत की आवाज़ सुनाई दी।
"देखा..." बच्चे ने कहा, "मैंने आपसे कहा था, वह मुझे ढूँढ़ लेगी।"
तभी एक और आवाज सुनाई दी, "आप कहाँ हैं, शरीअ?"
देखा मेरे बच्चे, उन्होंने मुझे ढूंढ़ लिया। "पैगम्बर ने कहा फिर आवाज़ की दिशा में मुँह करके उत्तर दिया," मैं यहाँ हूूँ। "