सुम्मि / जबर सिंह कैन्तुरा

Gadya Kosh से
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या भि क्वी जिंदगि ह्वे, ब्यो होयां द्वी हफ्ता हि ह्वे छा कि नौकरि पर जाणै तैयारि कन्न पड़ि। तीन बर्ष नौकरि कन्ना उपरांत भी कुल बीस दिनैऽ छुट्टि मिलि सकि छै। मैनेजरैऽ मैंन कत्थी बिनति, कत्थी खुशामद करि छै कि साब कम सि कम मैना भरैऽ छुट्टि त दी हि द्या पर वेन निं मांणि। एक दां त ज्यू छौ ब्वोन्नूं , खूब सुणै द्यों कि तीन बर्ष ह्वेगिन कभि क्वी छुट्टि निं लिनि।रूड़ि, बसग्याल़, ह्यूंद नि देखि जनि ड्यूटि लगि कबि भी उजर निं करि, बाजा- बाजा त सुद्दि मुद्दि जाल़ फाल़ करीऽ कबि अलाणा बाना त कबि फलाणा बाना रातैऽ ड्यूटि सि बचणै कोशिश कर्दिन पर मैंन भि करि कबि क्वी टल़बरै ? घण्टा डेढ़ घण्टा फालतु ड्यूटि करिक भी क्वी गुण- ग्यान त रैइ दूर कबि सैइकिल पन्चर ह्वोण पर या कबि कै हौर बात पर दस पन्दर मिनटै देरि पर भी तनख्वा कटि जांदि।क्वी स्वीऽण वालो़ नीं।कैकि हारि बिमारि सि क्वी मतलब नीं।क्वी कैयदा-कानून नीं। बस मन्खि-मन्खि देखिक जत्था रगड़ि सकदै रगड़्णा छै। पर ब्यो जना कारिजाऽ बक्त पर त सोच्यूं चैंद।

फैक्ट्रीऽ नौकरि मां त स्वीऽण पड़दिन बिना कसूरै धमकि। गाल़ि, धिक्कि-माक्कि। सुणौणै स्वोचला त वेई दिन मिलि जालो जवाब।बड़ि मुश्किल सि त वे धन सिंह भैजिन टिप्पस लगै सकि छै नथरि कख छै नौकरि मिन्नी। तन्नि छा चप्पल घिस्येणा कबि यक्ख त कबि वक्ख । कबि-कबि त नींना प्येट हि नौकरी तैं डबखणा, रीटणा औफिस-औफिस, फैक्ट्रि-फैक्ट्रि।कु सूण्द,कु छौ हमारो यख परदेस मां । क्वी ह्वोला भि त कति दिन तैं द्येखला, वूंका गोदाम छा भर्यां क्या ?बिचारा आपरि पालंगता कन करी छा कन्ना वी जैणला।

ह्यूंदाऽ मैना कन कटदिन मेरा जना खूब जाणदन। वुत लालकिला सामणि चांदनी चौक छैं च हम जन्नौंक तैं। पन्दर-पन्दर रुप्या मा पैंट,तीन-चार रुप्या मा कमीज ल्या चै पैजमो, स्वेटर दस रुप्या, मफलर दु-द्वी मा।भगबानैऽ जाणो कख बिटन औंदन। क्वी ब्वोद मर्यां अंग्रेज़्वा रंदन, क्वी ब्वोद बिमारि वाल़ौं का, क्वी ब्वोद बाढ़-बथौं, भ्वींचुल़ा पीड़ित करौं तैं दान देंदारा देंदन मदद।जत्थीऽ मुक उत्थीऽ छ्वीं।जना भी ह्वोन हमारि नांग ढ़के जांदि, ह्यूंद कटि जांद।अर वो भी भैराऽ देशै चीज। पैन्न सि पैलि पाणि मा डिटोल ढ्वोली़ खूब करी ध्वोंण पड़दन , बस। ताब द्येखा- सप्पा-सुकिला। किलै निं ह्वोण, क्वी जम-कम निं ह्वोंदिन, सुद्दि निं ब्वोदन- बल, इम्पोर्टेड ! चवन्नि बस मां जादि दां अर चवन्नि औंदि दां लगीऽ जांदि ।

जै दिन चिट्ठि ऐऽ चचा जि कि इन समजि छौ मैंन जन सैरि दुनियैऽ खुशि- खजानो मिली ह्वो।अगनै जिंदगि चलौणौ सारो भरोसो।पित्र द्येबतौंऽ किरपा ह्वे जालि अर सौ-सगोर्या, खाण रैण, इज्जत दार ह्वोलि त किलै निं ह्वोण मेरि मवासि भी खड़ि, ज्यूंदि जागदि -भरोसो एक-अगनै औण वाला़ दिनूं । क्या जैंऽण अगनै, पर आस त ह्वेई ।गरीब घरैऽ , मौस्याणा मां छै वींकि -लिख्यों छौ। क्वी ‍बात नी,मैं दि उना माफ्वो क्या छौं? क्वी रजा- माराज त छौं नी। बल्कि मौस्या ब्वे दगड़ि रैईं नौनीऽ त खिट्टि ह्वोलि खांयीं-घऽर कूड़ि समाल़्न लैख।मेरा क्वी कारखाना त छ नीन जौंकि देखभाल कन्न । बस इज्जत परमत सि खेति खल्याण , लाखड़ो पाणि,गौं गऽल़ा- स्वोरा बिरादर दगड़ मेल मुलाकात करी खांण रैंण वाल़ि ,जिमदारा लैख इत्थी चैंद छौ।यां सि ऐथर अबि तैं न स्वोचि न समजि। हां, बगत ऐ जालो त स्वोचे भि जालो अर समझे भी।

दुकान्या पैथर खूब चखल़ पखल़,खूब चराचरि!चौबट्टैऽ दुकान-औण जाण वाला़ बट्वेऽ,चा-पकोड़ि, तमाखु,बीड़ि सिगरेट, राशन पांणि,पूजा पाठै सामगरि वगैरा गौंवाल़ौं कि जरूरतैऽ सब्बि चीजि।बाक्कि सब्बि एक जन्ना।साठ पैंसढ मवासौं वालो़ रौंत्यालौ़ गौं। हर्यूं - भर्यूं। हां,पर टटाट्येर सब्वी आपरि आपरि। एक सि एक फुर्साटंट, एक सि एक फुंड्यानाथ !

गौं वाला़ , भै-बिरादर, स्वोरा-भारा बोन्न लगिन ,भै सैरा गौं तैं खलौणै पड़्लो-मवाऽर, बिरादर -द्वि झणि,स्वोरा भारा- घर भ्वोज आर आबत मित्र ह्वेय्येै।बरात्योंऽ लिस्ट अलग। बिना पौण्खि भि ह्वे कखि ब्यो।काचि-पाकि दिन्या बगैर त बराति ठसकदै निं छन अगनै। ताब चैऽ कैको कूड़ो बीको चै पुंगड़ो।जाफत मां क्वी कमि ब्येसि निं ह्वोईं चैंद।

मेरो आपरो खर्च जथा बचि सकि बचौणैं कोशिश करि।घ्वोड़ा मैंन ना बोल्लि छौ,सीरा-कंकड़ नौर्तु करौं मूं मांगि छौ, पुराणु जुत्तु खूब पौलिस करि चम्म चमकैलि छौ,अठान्नीऽ मां सुनेरि,हर्यां कांचै नग दार मुंदड़ि जन कि सुच्चा सोनै ह्वो ! तीन मील पैदल क्या ह्वोयो,कुछ ना।ढोल-दमौ,मसकबाज्वो त चैंदै छौ।मैं आपर्वी खर्च त बचै सक्यों औरू तैं त सब्बि चीज चैंदै छैयी।रीत रिवाज पर क्वी ढ़िलैऽस ना। ऊजु-पैंछु,कर्ज-पात त ह्वेयी जांद कारिज पर। स्येढ ब्वडा छैं छया।

गैऽणा तकादा कुछ परथारि कन्न पड़िन।एक नथुलि बुलाक त बण्वैंयी दिन्नि मैंन सूरो सांसु करीऽ।कर्जपात त बड़ा-बड़ौं पर भि ह्वेयी जांद,मैं त क्या छौ। कर्ज मंजूर कन्नैऽ पड़ि।कर्जै फिकर त छैं छै पर दिये जालो। सब्वी सौ सलाह अर राजि-खुसि ब्यो ह्वे जौ बस्स , यैऽ इच्छा छै। बाटा फुंड बरात्यों दगड़ि हात्त जोड़ैऽ, क्वी बिघन- बाधा न हो,नथरि बाजा-बाजा त द्वोऽब रंदन बैठ्यां जरा सि भि मौका मिलो अर झट्ट उत्त-बिघन।शुभ कारिज मा तब ह्वे खाम खां चकलस,अपजस।

ब्वे बुबा लाड प्यार नं मेरा ज्वोग नं वींका।आपरा-अापरा ज्वोग होया। मेरि बचपनैऽ छ्वोट्टि -छ्वोटि सि अणजाणा मां ह्वोंयीं गल़ति, छ्वोट्टा सि छोट्टा अलखण भी भौत विकट बणै देंद छै चाचि।बाजि दां त झुट्टि-झुट्टि शिकैत ,ज्वो मैन करीऽ नि ह्वोन। हितराड़ आर मार खाणि त कैऽ दां मेरि तकदीरै पर रैंन चिपटीं पट्ट।कपाल़,हात- खोट्टा, सैरि गत्ति रंद छै उस्याईं कत्थी दिनु तैं। क्या ब्वोन छौ, कैमा ब्वोन्न छौ अर किलैऽ ब्वोन्न छौ। क्वी निं ह्वोंद छ्वोर छापरौऽ धड़्वे। मां ह्वोंदि त किलैऽ ह्वोंदि मेरि उनि कुकरगति। बल- खऽड़ त्वे पर क्या झऽड़ ,भीड़ऽ त्वे क्या माया पीड़। मां त मां ई ह्वे , मांकि जगा कु ह्वे सकि आज तैं ईं दुन्यिया मचकर । पुराणा बुजुरग ताबै त ब्वोलि गैन - क्या छै बल वा,ज्वो त्येरि आपरि ब्वे।क्वी चण्योंण वाल़ो नं क्वी आंसु प्वोंछण वाल़ो।पुल्योंणैं त बातैऽ किलैऽ कन्न । गरीब-गुरबा त गौं मां सब्बि छया।आपरि-आपरि टूट-बिपत , क्वी बीस क्वी उन्नीस,एक द्वी मवासों अार वे सुसैटि वाला़ दुकानदार ब्वोडा छ्वोड़िक।

जिंदगि मा पैलि दां कैकि माया पीड़ अर प्यार दुलार मिलि। मां बबा जि त बचपनैऽ मा भग्यान ह्वेगि छा।लाड प्यार क्या ह्वोंद मैंन कबि नि जांणि।ब्वे-बाबु कि सूरत शकल भि याद नी असगुणि,मुल़्या रैयूं ।पांच बर्षु मा ब्वे बाबु द्वीऽ छ्वोड़ि गैन-मांजि तिसरा बर्ष भुलि दगड़,प्रसबाऽ बग्त अर बबाजि पांचां बर्ष। मां जाणा बाद बल बबाजि भौत दुख मा गुम्म सुम्म रंद छया, कै दगड़ क्वी खास बाच बचून ना। खेति बौण , धऽन चैन येखुली त द्येखण छा।मैं तैं खाणा खलैक चलि जांद छया बल आपरा काम।प्यार पुचकार कन्नौ बग्तैऽ नि मिल़्द ह्वोलु अर कबि हलास मलास करि भि ह्वो पर मैं याद नी।तन्नि रैऽ मेरो बचपन।बबाजि बौण छा जांया बल घास तैं।स्यूंऽ घासै भारि चिफला़ फतराड़ा मा खुट्टो रऽड़ि, मुंड लगि भ्वां अर द्वी दिनु मा चलि गैन मैं छ्वोड़िक। चाचि-चचा कौ्न पाल़्यूं ।दर्जा अाठ तैं स्कूल भि पढायूं। वूंकि आपरि कबल़दारि भी बतेरि छै खेति का पैथर।हमारि खेति भी वूंनै त कन्न छै, वेयी ल्वोभ पर मेरि पाल़ंगता, पढै लिखै ह्वे सकि है। त्येऽर बर्षौ छौै मैं चचा जि न ब्वोलि- ब्येटा अब अगनै पडौणो नि ह्वे सकद रै ! खेति बाड़ि, धऽन चैनै देखभाल कर मै दगड़ि।क्वी हैक्को बाटु छयी नि छौ मै मू। चार पांच बर्ष चचाजि कौं दगड़ खेति किसाणि करि।द्वी मील दूर रोज सुबेर सुबेर दुकान मा दूध पौंछौणै बारि भी मेरी रैयि, कन्नि भि मौसम ह्वो। जुत्ता चप्पल पैलि दां दिल्लि पैरिन अठ्ठारां बर्ष।

नौलि ब्योलि,क्वांसि,भारि सर्मौं,द्येखणि-दर्सणि, सुन्दर ! वीं देखिक पैलि दां आफु तैं ज्वोग भाग वाल़ो भग्यान समझि छौ मैन।मोहित ह्वेगि छौ वीं पर ।आछर्योंऽ नौं सूणि छौ कथा कहान्यों मा, आछर्यों कि खूबसूरती जन्न कल्पना छै म्येरि वांसि भि कैऽ दर्जा अब्बल,कुंगल़ि, छड़छड़ि। भारि मयाल़ि, किसाण। इक्कीस बायीस मेरि उमर ,वींकि उन्नीस।

बीस दिन्वीं छुट्टि मां चौद दिन दगड़ा रैयां।येक-येक दिन गण्यां छन मेरा।वु चौद दिन हमेशा रंदा त कनु भलो छौ।कुछ नि चैंद छौ वांसि बड्ति।हम गरिबि तंग हाल मा भि आफु तैं खुशनसीब समजदा।कै दां गाल़ि देंद छौ आपरि किस्मत।ल्येखण वाल़ो कुछ त ल्येखदो भलो।क्वी सुख त देंदो मेरा भाग।पर,अाब किलै द्येणि छै गाल़ि वे लेख्वार तैं।वेन भि त कुछ स्वोची ह्वोलो। दया धरम ऐगि ह्वो वे का दिल मा।

ल्वोग नौं धरदन। धन्न द्या। मैंन कैकि फिकर नि करि।हरेक घड़ि मैं दगड़ा दगड़ि।वा धारा मूं गागर लीक पाणी जौ त मैं भी बंठा लीक पौंछि जौं।बौण घास न्यार,लाखड़ौं क भी दगड़ि।बाटा फुंड क्य-क्या छ्वीं लगद छै आहा ! वींका मिठ्ठा बचून, छाल़ि बाच । लाखड़ा फाड़दि दां येक नजर वीं जनै,हैक्कि कुल्हाड़ा पर।मुल्ल हैंसण्वों वींको मैं तैं उन्मादि आर बौल़्या बणै देंद छौ। ह्ये छ्वोरा कौं ये ही नौं सि बोल़्दि छै वा मैंक तैं खुट्टा पर ना लगान कचाग खित खित्त हैंसण लगि जांद छा हम द्वी। बौण बिटन ड्येरा औंदि दां वा अदबाट बिटन सरासरि अगनै चलि जांद छै , क्वी बिसौण नि लगौंद छै। मैं बिसौंद-बिसौंद जै सकद छौ। बीड़ी स्वोड़ भि त मान्नै छै। म्येरा पौंछण तैं भात,झ्वोल़ि, हरीं भुज्जि तैय्यार। सुब्येरैऽ दड़बड़ि दाल़ गरम- गरम।भुटीं मर्च , सऽदु सऽदु घ्यू । जब कभि भी याद औंदि, वींका बणायां खाणा कि रस्यांण आफ्वी नाक भितर चलि जांदि।थाल़ि पर खाणा धऽरीक, चुल्ला काख बैठीक,वींकि मैं पर टुकुर- टुकुर ,शर्म्याल़ि नजर जनि मैं उथ्वीं देखूं , झट वींकि आंखि भ्वां म्येलगूट जनैं।मुल्ल ! बोद छै "तुम तैं खाणा खांदि दां द्येखण मा भौत रौंस लगदि,सैरो सुख मिलि जांद ।" छुट्टि पूरि ह्वोण वाल़ि छै।वींका मुखै हैंसि खिकताट, मुल्ल हैंसणो हर्चण लगी छौ।वींकि कोशिश-आपरि उदासि मैं नं चितौण द्यो। वे दिन आदा रात फुंड निंद बीजि मेरि। द्वी दिन बाद दिल्लि नौकरि पर जाण छौ।वा रोणी छै सुर्कि- सुर्कि। विछोह को दुख मै भी भौत छौ।मजबूरि नि ह्वोंदि त कक्खि नि जांदो पर पांच हजारौ कर्ज भी त ह्वेगि छौ । जै मूं लियूं च वेको द्येण भि त च। 'क्येग ह्वोलि मेरि सुम्मि रोणी' मेरा बोन्नै द्येरि छै, नि लुकै सकि वा रोणै आवाज।गगलांदि-गगलांदि, नाक सुणकदि- सुणकदि ब्वोलि वींन "ह्ये छ्वोरा कौं!कन करि रैण मैंन तुम बिगर यखुलि"। मैं लाचार,क्वी जवाब नि छौ।मैं भि नि रोकि सक्युं आंसु।हाम द्वी रोंदि रोंदि , पट्ट ! येका हैेका पर अंग्वाल़ मारी, बिछोह कि पिड़ा कम कन्नै कोशिश मा छा। गौं फुंड सबु तैं मिन्न गयूं।जै-जैको क्वी दिल्लि मा छौ वूंकि चिठ्ठि, समूण। रंत- रैबार इथा छा कि कैन कैक तैं क्या छौ बोल्यूं, याद रखणो मुश्किल । भौत दूर सि मोटरौऽ घ्वींग्याट सुणेण लगी छौ। आदा-पौणा घण्टा त लगल्वी यख पौंछद- पौंछद । कत्थी ल्वोग छा आयां आपरा-आपरौं तैं अड़्येथणऽ । सब्येरैऽ डांडौं कि खुशबुदार सुर- सुरि ठंडि हवाऽ दगड़ा मा बरीक- बरीक बरखै झुरझुरि,गात चस्सा ह्वेगि छा। क्वी भ्वां डाला़ नीस चौंरि मा बैठिक आपरि- आपरि खट्टि -मिट्ठि छ्वीं- बात्तु मां ब्येल़्म्यां छा त क्वी खड़ा-खड़ि रैबार बिंगौंणा छा। क्वी बिचारि खुदेड़ सौरास जाण वाल़ि नौंनि आपरि सासु कि काट चुकल ब्वे मा सुणैऽक खुद्येणि छै त कॉलेज जांण वाल़ा नौंना नौंनि जोर जोर सि खिकताणा छा। वींको खुद्येड़,शर्मौं स्वभाव येखुलि रैणै पिड़ैऽ असंद मां घंघतोल्येणू छौ । भ्वां जमीन मा दायां खुट्टा अंगुठा न माटु छै खैंणी। द्वी आंखा तर-पर आंसुन भर्यां। अचाणचक वींन मैं पर अंग्वाल़ मारि , ज्वोर ज्वोर करी रोंण लगी। मैं भी नि रोकि सक्यों आपरा आंसु। "नां खुद्यो सुम्मि,ह्वे सकलो त त्वे भि बुलौलो दगड़ा, नथरि ह्यूंद फुंड ऐ जौलो" बाच अटकि-अटकीऽ ब्वोलि सकि छौ मैं। अंग्वाल़ झीलि ह्वोण लगी छै । वींका अांसु सि मैं भीजी छौ। सुम्मिऽ भौत याद औंदि छै। मैना मा वींकि कमसे कम येक चिट्ठि त ऐयी जांद छै।कै-कै मैंना दु-द्वी भी।साग समूण बरौबर औणै लगीं रंद छै,जब भि क्वी गौं बिटन आयो। चिट्ठी त रैगि छै हमारि छ्वीं बात्त कन्नौं साधन।सब्बि चिठ्यों मा हाल- कुशल अर येकैऽ सवाल, येकैऽ बिनति- कबरि छै औणा,मै भारि खुद च लगीं। ऐजादौं चुचौं, द्वी चार दिनू तैं। ज्यू कर्द छौ कि चलि जौं वींका ध्वोरा नौकरि छ्वोड़ि तैं पर ज्यू त क्य-क्या नि ब्वोल़्द ।गुंज्जैस भी त ह्वोंयीं चैंदि।आपरि हालत देखिक मन त मान्नै पड़्द छौ।हाम जना त जर्म्यां हि निं चैंदन। क्या च हमारि जिंदगि।हर चीजै किल्लत।क्वी सुख, क्वी सुविधा कुछ त ह्वो।न खाणो मन माफिक न पैन्नो मन माफिक।तरसणा रवा छ्वोट्टि सि छ्वोटि बुन्यादि जरुरि इच्छा खातिर भी।कीड़ा मकोड़ा भि हाम सि कैऽ अगनैऽ छन।सब्बि दलेदर, दुख - पिड़ा हमारै ज्वोग मा किलै ? नयां नयां ब्यो का सुख सि भी दूर , नौलि ब्योलि सि अलग कुछ ही दिन मां।हे भगवान मन्ख्यों को त होय्या ह्वे पर तेरो भी अत्याचार गरीब गुर्बौं पर। कैको भगवान छै तु।

चिठ्ठि मा छौ लिख्यूं - "माथ्या खोल़ा सेठ ससुरा जि नक्खरि-नखरि ट्वोकणि मारदिन। मेरि सेवा सौंल़ि भी नि चीमदन।कुछ न कुछ सुणौणगैऽ रंदिन।वूंतैं औंदो देखिक, मैं बाट्टो बदलि द्येण पड़द। ब्याल़ि गौड़ि छै लिजायीं मेरि धारा मूं पाणि पिलौणऽ तैं।गौड़ीऽ पीठि मा हाथ मलासद- मलासद बोन्न लगीन- या गौड़ि कबरि ब्यैं भै द्यूकि ! " बड़ा- बड़ा आंसु टपकि गैन मेरा चिट्ठि पडद-पडद।वींकि एकल्वार्स, खेति ,गौड़ि, कठोर मेन्नति जिंदगी अर सेठ जि कि ट्वोकणि ।कर्ज नि दिये सकि अबि तक , पर रिण मुचो त नि ह्वोण मैंन।दी हि द्योलो कबि न कबि।आपरि तर्फ सि कोशिश कन्नै लग्यों छौं। चार सौ सूका मिल़्दन आपरि ज्वान्न्योऽ खून सुखैक।जब रातैऽ ड्यूटि ह्वे,हैक्का दिन पोट्गो सुखपट्ट।निंद भी नि औंदि तै उड्यार पर। न पंखा,न कखि बिटन हवा औणऽ तैं ।सेपाण्या कोठड़ि। येक चरपै कि जगा सिवै चार पांच ब्येथ हौर । तिड़ीं पाल़ि । ऐंच - नीस म्वोसाण्या ह्वोयूं । कमेड़ाऽ बरीक-बरीक दाणा कखि-कखि फुंड तन्या-तन्नि पाल़ि का रंग्गा ह्वोयां-काऽला़,भुतर्येंण्या। बदबु, सड़ीं- गल़ीं कच्चि कल्वोनि ।भैर निकला़ त कचील मा लपोड़्यां सुंग्गर आर कुकर।अगनै गल़ि मां कौजाल़्या गन्दा पांण्यों भर्यों तालाब, जै पर गंदा-गंदा जुन्खा,बच्यूं खुच्यूं खाणा, भुज्जि, गन्दगि सैंणणीं , कूड़ादान बण्यूं , छी ! शराब्यों अर जुवार्यों को हल्ला मारपीट। मेरो खाणा खाणौं क्वी टैम नी।कभि खैलि , कभि तन्नि।अर डेढ़ सौ किराया,बिजल़ि पाणि का दस रुप्या अलग द्येणा उपरान्त खाण तैं बचद बि क्या च। 'द्यूकि' दि कना मा ब्वोलि वूंन हमारि पलब्येथि गौड़ीऽ। द्यूका सैंण हमारि पूरि पट्ट बिटन अभि तैं एक गौड़ि गैऽ बल ,जब वींका द्वी बाछला ह्वे छया।चमोल़ि जिलाऽ अगस्त्यमुनि का सैंण छ्वोडण पड़ि छै वा गौड़ि अर वींका बाछला। गौड़ि,बाछला त गैया-गैया हौर खर्च भी बिज्जां ह्वे जांद। गौड़ि बाछलौंऽ तैं द्वी अड़ेथदारा त चैंदै छन।द्वी दिन लगीऽ जांदिन औण-जाण मा।अड़ेथदारौं कि भौत खुसामद कन्न पडद ,मुश्किल सि तैय्यार ह्वोंदन क्वी भि जाणऽ तैं भारि ऐह्सान करी । बाट्टा खर्च-खाणाऽ,मजुरि- कत्थी पर पौंछि जांदि च्वोट।आर द्यूको नौं ह्वे, स्यो अलग। अगनै चिट्ठि मा छौ लिख्यों " मैंन ब्वोलि, तनि कुजमान किलै छै जीऽ ब्वोन्ना, मेरो तथा ब्वोन्नु छौ कि बिफरि गैन वु ससुरा जि।हे म्येरि ब्वेयी ! क्य-क्या नि सुणै तौंन- इत्थी बुरो लगद, तति माफ्वो नाक-मुक्क च, त किलै नि छै मेरा रुप्या द्येंणा। जै दिन बिटन वो माचद लीगि मेरा रुप्या, आज तैं सूद बि नि दिनि। मेरा क्वी हंडेड़ा छन भर्यां ? नि ब्वोन्न मैन आपरा रुप्योंक? बेशरम ! दी द्यान मेरा रुप्या- " चिट्ठि पड़्द- पड़्द मेरि सैडि गति कांपण लगी छै,किर्म्वोला़ सि चन्न लगी छा खुट्टा बिटन मुंड तैं,कांडा जजराण लगी छा। पसिना-पसिना ह्वेगैइ छौ। पर क्या करि सकद छौ। मसल च - लाठा मार्यों उब्बु देखु , रिणौं मार्यों उंदू । वे दिन सब्येऽर - सब्येऽर द्वार पर खट - खट करी क्वी भिच्वोल़्न पर लग्यों।द्वार भिच्वोल़्नै आवाज सूणिक मैं हमेसैऽ चार्यूं चुप्प बिस्तरा मा पड़्यूं रैयों।ह्वोलो क्वी बिग्च्यूं छ्वोरा, क्वी शराबि भि ह्वे सकद,कित सुंग्गर ह्वोलु- क्वी नैंयि बात नी।रोजैकि बात च।स्येऽण बि नि देंदन।कैयि दां त आदा रात भी भिच्वोल़ि जांदिन।लड़ै त करि नि सकदां रोज-रोज। पर जाब भौत द्येर तक खट-खट बन्द नि ह्वे त गुस्सा मा उठिक, भड़म् द्वार ख्वोलि मैन। सामणि सुम्मि ! सुबिना मा त नि छौं मैं । वींको भुला भी भ्वां बक्स मा बैठ्यूं , अचाणचक्क ! पता चलि कि वींकि तब्येत भौत खराब छै। हाडगै-हाडगा छा दिखेणा वीं पर । येक त मेरि तनि तंग-तंगि हालत आर दगड़ा मा वींकि तब्येऽत । वींकि मुखड़्यो रंग बदरंग ह्वेगि छौ , मेरि आछरि सप्पा सूकी छै। वुत दिल्लि मा सरकारि अस्पताल छैं छन हम जनौंक तैं,नथरि तन्नि त मरण छौ। फैक्ट्रि आफिस मा फोन पर आपरि समस्या बतै।छुट्टि लिनि, आर वीं लीक अस्पताल पौंछ्यूं। चार घंटा मा ऐ डाक्टर मूं जाणौ नंबर। डाक्टरन देखिक कमज्वोरि,खूनै कमि बतै, दवै लेखिन फेर भोल़्कण्यों ऐक कुछ टेस्ट कन्न ब्वोलि। पितर देबतौंऽ आशीष रैऽ,सब्बि टेस्ट रिपोर्ट ठीकैऽ ऐन। द्वी मैना प्येट गै छौ वींको।खाण-खुराक ठीक सि ह्वे नी।काम- धंधाऽ च्यऽड़प ह्वोणै छौ।क्वी हौर त छ नि छौ हाल मदद कन्न वाल़ो।कमज्वोरि औंदि गै। डाक्टरन येक मैना दवै हौर लेखि। खाद-खुराक खास करी-फल,हरीं भुज्जि,दाल़,घ्यू-दूध खूब खाणै सलाह दिनि। आपरि सामर्था हिसाब सि मैंन क्वी कमि नि करि।भैंसाऽ दूध लगैलि छौ। नजदीकै पर हप्ता मा द्वी दिन शनि बजार,बुध बजार लगद छा।फल ,भुज्जि मिलि जांद छै सस्ति।रात ग्यार साढ़े ग्यार बजि जांद छौ मैं भुज्जीऽ।छूटीं-छांटीं, बुंगच्या मिल्द वे बक्त । पर जु सलिका सि टटोल़ि-पत्वोल़ि छांटा त भलि रंदि, केनमजाद ! हां, बांग्गि- ट्येरी त रंद च पर विटामिन, सवाद-खुराक त उत्थी ह्वे ,चैऽ बांग्गि ह्वो चैऽ साम्मि। पत-पति, सड़ीं नि ह्वोयीं चैंदि बस्स। अार भौ ? ज्वा भुज्जि ब्याखन दां पांच छै बजि द्वी-तीन रुप्या किलो वा रात वे बग्त , अठन्नि-दस आन्ना किलो। हाम जना गरीब गुर्बों कि भी ल्यैर पड़ि जांदि। फल भी तन्नि भौ । द्वी-ढ़ैऽ मैना मा सुम्मिऽ काठि भरेगि छै।तन्दुरस्त ह्वेगि छै पैलीऽ चार्यूं, मुक्खौऽ रंग भी चमचम ,फस्सक्लास, चमनच्वोट ! वा ठीक ह्वेगि छै , आर मैं परदेस मा पैलि दां जनान्याऽ हातौ खाणा खाणौ सुख भि परापत ह्वे । भौत ख्याल रखद छै वा म्येरो। "ह्ये छ्वोरा कौं ! पैला जलम मा ह्वे सकद म्येरा दान-पुन्न रै ह्वोन कर्यां,जु तुम दगड़ि रैणौ सुख च मिन्नोऽ।हमेशा इन्नि दगड़ि रै सकदा , त कनो भलो ह्वोंदु । तुम सि जुद्दि नि रै सकण मैन।" वीं घऽर जांया साल भर सि उब्वीऽ ह्वेगि छौ।चिठ्ठि-पत्री,साद-खबर औणी रंद छै।मैं भौत याद अर खुद लगद छै वींकि। मैंन चिठ्ठि लेखि- जनि छुट्टी मिललि , चार-पांच मैंना फुंड मैं त्वे ल्येणऽ ऐ जौलो मंगसीर पूस,येक-द्वी दिनै छुट्टि लीक।गौड़ि अर खेत्योऽ तजबिज करी द्ये।यक्खि रौला द्वी,कठ्ठा हमेशा तैं, तिन येका दिन ब्वोलि छौ कि मैंसि जुद्दि नि रै सकण तख येखुलि। चार मैंना पैलि पौंछी छै वीं मू मेरि चिठ्ठि। डाक मा भ्येजदो त ह्वे सकद छौ आबि तैं पौंछदि कि नि पौंछदि। पोस्ट औफिस बिटन चिठ्ठि, तार,पार्सल, मन्याडर गैऽब ह्वोणा क्वी बड़ि बात नीं।कत्थी दां त चिठ्ठ्यों का पुला़ का पुला़ तन्नि चुलायां,बाटा फुंड मिलिन , स्कुल्योंऽ । पर मैंन त रगबीर भैजि मूं भेजि छै। वे भैजिन खुद आफु जैक चिठ्ठि दिनि छै वीं मूं । चा भि पिन्नि छै बल म्येरा ड्यऽरा पर रगबीर भैजिन।वे भैजि छुट्टि काटिक आयां भी साडि तीन मैना ह्वे गैन। समूण भी भेजि छै वे मूं वींन,पर चिठ्यो जवाब नि दिनी। कैऽ ल्वोग ऐगिन गौं सि , तबरि बिटन।साद- खबर त मिन्नी रंदि पर चिठ्ठि नां।फिकर ह्वोण लगी छै।बानि- बानिका दंद्वोल़ छा ह्वोणा। क्या बात ह्वे ह्वोलि, गुस्सा त नि ह्वेगि ,पर तनि भि नी वा जो बिना बातौ गुस्सा ह्वे जौ। चिंता फिकर बडणी छै-कुछ बात त ‍‍छैंयीं च। छ्वोरा कौं प्रणाम, तुमारि चिट्ठि मिलीऽ छै। भौत स्वोचि-त्वोलि मैंन।तुम तख,मैं यख।दिन-रात येका- हैक्कैऽ चिंता, उतपास।कबरि तैं जि कटला हमारा दिन इना मा। लुकारो कर्ज भी द्येण।दुनिया क्या ब्वोल्लि।तैं रांड भी नि रैऽ ह्वोस-हबास। पुंगड़ा बांझा छ्वोड़िक , मुक्क लुकैक परदेस चली निखल़्म।आर जौंको कर्ज द्येऽण वु सौकार ? मैं दिल्लि ऐ जौलो त न कर्ज द्यियेण न अगनै क्वी भविष्य।तुमारि तन माफ्वीऽ नौकरि ह्वोंदि, आपरो कूड़ु ह्वोंदु तख, त द्येखि ल्येंदा। हात्थ ज्वोड़ै च, याऽ !म्येरि बात बुरि लगलि त छिमा करि द्यान। म्येरि समज नीं औणो कुछ भी।तख ऐक क्या ह्वोऽण। सिरफ प्यऽटै पाल्ये़ सक्यऽण। भ्वोल़ा आस औलाद ह्वोलि।क्या बचत करि सकण हामुन, क्या दी सकण हामुन वूं ? आपरीऽ चार्यों बणौणिन वु। मैंन भौत गणना करिन।क्या इन्नि रऽण हामुन हमेशा आपरा भाग-ज्वोग तैं गाल़ि देंद-देंद,तंगतंग्यों मा। मेरि माणदै त सूणा - बड्दु ल्व्हेच हमारो, ज्वान-जमान छां।क्या नि करि सकदां ईं उमर मा। चार वास कूड़ो ज्योरु जि कौंकु बणायूं च। चौड़ि-चाकल़ि खेति-खल्याण च ,उल्यांण च।क्या कमि ह्वोण ।जत्थ्या म्येऽनत मजुरि तुम तख छै कन्नाऽ उत्थ्या हाम द्वी मिलिक करला आपरा पितर्वा गारा-माटा, सप्पा हवा पाणि मा, त भौत कुछ करि सकदां। मैंन स्वोचलि - आपरा गैऽणा तकादा ब्यऽचणैऽ!हमारा कूड़ाऽ ऐंचै बिटन हमारो उल़्याण लगि जांद आर उल़्याणाऽ झिट्ट ऐंच बौंण। खूब डम-डमि नथुलि च बणायीं तुमारि।नथुलि ब्येचिक आठ -दस जिबन बाखरा ल्ह्यैक पाल़ला त बर्ष फुंड दोगुणा समज्यान।आर हमारा भागन क्वी ड्वोठ ह्वेगि त वु उल्फा।ल्वोऽण-लत्ता तैं बत्तेरु ह्वे जांण।कुछ बर्षु मा कर्ज भि तरे जालो। आपरा पुंगणौं पर म्येऽनत करला त ताजि साग-भुज्जि, ताजो अन्न,फल फूल।तुम खूब स्वोचि-बींगिक फैसला कर्यांन। ठीक समझला त नौकरि परौ हिसाब करिक, ऐ जावा यक्खि, हमेसा तैं । भ्वोल़ा औंदिन हमारा दिन। अर हां,मैं तैं परदेस दिल्लि जाणौ शौक कत्तैऽ नी ,मैंन आपरो चांठो नि छोडण।मैं आपरा इष्ट आर म्येऽनत पर भरोसो च।तुम राजि ह्वोंदै त ऐ जाऽ।हैंसदा-ख्येल़्दा हाम द्वीऽ हमेशा दगड़ि रौला। तुमारि सुम्मि। चिठ्ठि पड़ीऽक सैऽडा दिमाग अर गत्ति मा स्यऽल़ि पड़ी छै ।सब्बास मेरि सुम्मि !