सुरक्षित / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(अनुवाद :सुकेश साहनी)

स्वर्ग वहाँ है...बिल्कुल मेरे करीब, उस कमरे में—दरवाजे के भीतर, लेकिन मैंने उसकी चाबी खो दी है।

दरअसल मैंने खुद ही चाबी को ऐसी जगह रख दिया है कि आसानी से हाथ न आए.