सुरेश कुमार मिश्रा / परिचय
सुरेश कुमार मिश्रा की रचनाएँ |
डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त' तेलंगाना राज्य सरकार के प्रसिद्ध हिन्दी लेखक हैं। डॉ. मिश्रा का जन्म 28 जनवरी, 1981 में दूध बाउली, हुसैनी आलम, हैदराबाद में हुआ है। दक्षिण भारत में हिन्दी रचनाकार, वक्ता, संसाधक और तकनीकी ज्ञान के ज्ञाता के रूप में जाने जाते हैं। उनके पिता का नाम रामकृष्ण मिश्रा तथा माता का नाम निर्मला मिश्रा है। उस्मानिया विश्वविद्यालय से एम.ए. हिन्दी (स्वर्ण पदक) , एम.ए. अंग्रेजी, इंस्टीट्युट ऑफ एडवांस स्टडीज़ इन एजुकेशन, हैदराबाद से हिन्दी शिक्षक प्रशिक्षण में स्वर्ण पदक, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से शिक्षा में स्नातक, हैदराबाद विश्वविद्यालय से अनुवाद डिप्लोमा में स्वर्ण पदक, राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एडवांस डिप्लोमा इन डेस्क टॉप पब्लिशिंग कोर्स में स्वर्ण पदक तथा उस्मानिया विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने राज्य सरकार की प्रथम, द्वितीय भाषा हिन्दी तथा अन्य विषयों की लगभग 25 पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद किया है। इनके अतिरिक्त इंटरमीडिएट, डिग्री स्तर की तेलुगु अकादमी पाठ्यपुस्तक में बतौर संपादक तथा लेखक के रूप में डॉ मिश्रा का नाम दर्ज है। डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त' आचार्य रामचंद्र शुक्ल के हिन्दी साहित्य का इतिहास पुस्तक के ऑनलाइन संपादन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंनें सतरंगी-1, सतरंगी-2, सतरंगी-3, सतरंगी-4, सतरंगी-5, मीत, मुसकान-1, मुसकान-2, मुसकान-3, मुसकान-4, मुसकान-5, बाल वसंत-1, बाल वसंत-2, उमंग-2, बाल बगीचा-1, बाल बगीचा-2, बाल बगीचा-3, सुगंध-1, सुगंध-2, साहित्य भारती, साहित्य सेतु, काव्य निधि, गद्य दर्पण, तेलंगाना गांधीः के.सी.आर, सरल सुगम संक्षिप्त व्याकरण, अशोक वाजपेयी के काव्य में आधुनिकता बोध, हिन्दी भाषा के विविध आयामः वैश्विक परिदृश्य, हिन्दी भाषा साहित्य के विविध आयामः वैश्विक परिदृश्य, हिन्दी साहित्य और संस्कृति के विविध आयाम जैसी पुस्तकों का लेखन, संपादन तथा समन्वयन किया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) , नई दिल्ली, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, अविभक्त आंध्र प्रदेश व वर्तमान में तेलंगाना, सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, समग्र शिक्षा अभियान, बी.आर.अंबेड्कर सार्वत्रिक विश्वविद्यालय तथा अन्म महत्त्वपूर्ण संस्थानों व योजनाओं में अपनी महत्त्वपूर्ण सेवाएँ दे रहे हैं। अब तक उन्होंने 200 से अधिक शोध (हिंदी साहित्य व शिक्षा) पत्र लिखे हैं। उनकी साहित्यिक व शैक्षिक सेवाओं को ध्यान में रखते हुए तीन राष्ट्रीय स्तर तथा तीन राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास पुस्तक का प्रथम ऑनलाइऩ संपादन करने का श्रेय इन्हें ही जाता है। भारतीय लेखकों की सूची में इनका नाम सम्मिलीत है।
स्तंभकार के रूप में भी अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। इनकी रचनाएँ देश के अग्रणी समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं।