सुर्ख धरती / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल
Gadya Kosh से
एक पेड़ ने आदमी से कहा, "मेरी जड़ें सुर्ख धरती में गहरी गड़ी हैं। मैं तुम्हें अपने फल दूँगा।"
और आदमी ने पेड़ से कहा, "हम दोनों में कितनी समानता है। मेरी जड़ें भी सुर्ख धरती में गहरी गड़ी हैं। तुम्हें यह मुझ पर अपने फल लुटाने की ताकत देती है और मुझे यह सिखाती है कि मैं तुम्हें धन्यवाद देकर उन्हें लूँ।"