सूखती यमुना,पीला पड़ता ताज / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 27 जुलाई 2018
कुछ समय पूर्व पूरे विश्व में मतदान द्वारा दुनिया के सात अजूबों की लोकप्रियता के पायदान तय किए गए और ताजमहल नम्बर एक चुन लिया गया। लगभग साढ़े चार सौ वर्ष पूर्व बनाए गए ताज के बारे में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि 'समय के गाल पर थमा हुआ आंसू है ताज' अब वह आंसू टपक सकता है। समय का खेल देखिए कि ताज बनाने के पहले यमुना किनारे अनेक कुएं खोदे गए जिनमें ईंटों का चूरा, चूना और गोंद भर दिया गया ताकि यमुना का जल ताज की नींव को ही कमजोर नहीं कर दे। एक विशेषज्ञ का मत है कि ताज की बुनियाद भी इसी तरह के कुएं पर रखी गई है। सूखी हुई प्रदूषित यमुना के तल के कीटाणु इत्यादि ताज को हानि पहुंचा रहे हैं। दूषित पर्यावरण भी अपना प्रभाव दिखा रहा है। पानीपत से आगरा तक यमुना का पानी चुराया जा रहा है। नैतिक मूल्यों का लोप होना भी हर क्षेत्र में कहर ढा रहा है। यह मुगल इमारत दोनों प्रकार के आतंकवाद के निशाने पर है।
ताज को बचाना इसलिए जरूरी है कि वह गंगा-जमुनी संस्कृति की धरोहर है। मुगलों ने पर्शिया में जो इमारतें बनाईं, उससे अलग किस्म की इमारतें उन्होंने भारत में बनाईं। उनका यकीन था कि इमारत जमीन से उगे हुए अनाज की तरह होना चाहिए न कि ऊपर से आए हुए खंजर की तरह। पर्शिया शिखर के करीब पहुंचकर ढलान पर आ गया था और भारत भी विदेशियों द्वारा निरंतर किए जा रहे आक्रमण के कारण शिथिल पड़ गया था। अत: दोनों थके मांदों ने गंगा-जमुनी संस्कृति का निर्माण किया, जिसने कई इमारतों को स्वरूप दिया। उर्दू भाषा का जन्म हुआ और हमें ग़ालिब, मीर जैसे शायर मिले। अमीर खुसरो, कबीर और टैगोर हमारी महान उपलब्धियां हैं। नजरुल इस्लाम भी इसी सूची में आते हैं। ज्ञातव्य है कि फिल्म 'मेरी सूरत तेरी आंखें' में सचिन देव बर्मन का गीत है 'पूछो ना कैसे मैने रैन बिताई/ एक पल जैसे एक जुग बीता/ जुग बीते मोहे नींद ना आई/ उत जले दीपक, इत मन मेरा/ फिर भी ना जाए मेरे घर का अंधेरा/ भोर भी आस की किरन ना लाई'। इस गीत की धुन उन्हें नजरुल इस्लाम से मिली। यह स्वयं सचिन देव बर्मन ने स्वीकार किया है।
बहरहाल आर्किटेक्ट ईसा आफंडी और शाहजहां ने मिलकर पूरे भारत का भ्रमण किया। अपनी इस यात्रा में वे बुरहानपुर भी आए जहां मुमताज की मृत्यु हुई थी और आहूखाना नामक जगह पर उन्हें दफनाया भी गया था। ताज के संपूर्ण होने के पहले उनके ताबूत को आगरा लाया गया और एक स्थान पर जमींदोज किया गया। इमारत पूरी बन जाने पर उन्हें सही जगह दफनाया गया गोयाकि वे एक बार मरीं परंतु तीन बार दफनाई गईं। ताज के डिजाइन का मूलमंत्र सिमिट्री है अर्थात एक दीवार पर एक फूल है तो सामने वाली दीवार पर ठीक उसी जगह वैसा ही फूल अंकित है। इमारत के मध्य में मुमताज की कब्र है परंतु औरंगजेब ने मुमताज की कब्र के पास ही शाहजहां को दफ्न किया। इस कारण सिमिट्री भंग हो गई। इमारत के ऊपरी हिस्से पर एक सूक्ष्मतम क्षिद्र है, जिससे एक बूंद पानी मुमताज की कब्र पर गिरता है मानो मौसम भी अश्रु बहा रहा है।
शाहजहां की सुपुत्री जहांआरा ने अपने पिता का साथ दिया। जब सबसे महंगी कब्र बनाई जा रही थी, तब जहांआरा ने अपनी वसीयत में लिखा की उनकी कब्र साधारण-सी हो और उसके गिर्द घास उगाई जाए गोयाकि एक ही कालखंड में सबसे महंगी और सबसे सस्ती कब्रें बनाई गई हैं। संभवत: जहांआरा ने प्रतिक्रिया स्वरूप अपने लिए सस्ती कब्र की हिदायत दी थी। मुगल बादशाहों के शासन करने के ढंग में ही इमारतें बनाना शामिल है। इस तरह वे अवाम के लिए काम के अवसर बनाते थे। ताजमहल की सारी जानकारियां इबा कोच की किताब में दर्ज है। वे वियना में कला का इतिहास पढ़ाती थीं और ताज पर शोध के लिए लंबे समय तक भारत में रहीं। मुगल कला और वास्तु विज्ञान पर लिखी उनकी किताबें पाठ्यक्रम में शामिल हैं। खाकसार ने इसी विषय पर एक उपन्यास लिखा है, जिसका प्रारंभ इस तरह होता है 'मैं ताज हूं, वक्त के चेहरे पर थमा हुआ आंसू हूं/ मैं शब्दहीन ध्वनि और ध्वनिहीन शब्द का अंजाम हूं, मैं दिल की धड़कनों का आकार हूं/ मैं एक ध्वनि का रूपांतरित दृश्य हूं/ मैं इंसानी हौसलों और इरादों का परचम हूं/ मैं तवारीख के वर्कों में, इंसानी मुहब्बत का खिला हुआ गुलाब हूं/ मैं कुदरत के तिलस्मी सवालों का इंसानी जवाब हूं/ मैं वक्त के दरिया से निकले हुए हाथों की जबान हूं/ मैं आह का जिस्म और दुआ की ढली हुई शक्ल हूं/ मेरी आवाज सुनो, मैं ताज हूं संगमरमर पर लिखी कविता हूं/ मैं इंसानी तमन्ना का यकीन और यकीन की हवा में ठहरी हुई शक्ल हूं/ मैं मनुष्य की कल्पना का शिलालेख हूं और इंसानी नदी का दिलकश मोड़ हूं/ मैं मनुष्य के अंतहीन सफर का एक पड़ाव हूं…/ आज हवाओं में नफरत है, विध्वंस की इस आंधी में मनुष्य को अपने सृजन की इच्छा कायम रखना है।
इस लेख को लिखने का कारण यह है कि यमुना के सूखने और ताज के पीले पढ़ने पर पूरे विश्व में चिंता अभिव्यक्त की जा रही है।