सैफ और दिनेश विजन विभाजन / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 11 सितम्बर 2014
कुछ वर्ष पूर्व सैफ अली खान और उनके पुराने मित्र दिनेश विजन ने इल्युमिनाटी नामक फिल्म निर्माण कंपनी बराबरी की भागीदारी में प्रारंभ की थी और उनकी फिल्म इम्तियाज अली ने "लव आजकल' बनाई थी। उनकी दूसरी फिल्म श्रीराम राघवन द्वारा निर्देशित "एजेंट विनोद' थी जिसमें ढेर सारा धन लगा और कई दिनों तक अनेक देशों में शूटिंग हुई। सैफ-करीना के रोमांस की चर्चाएं भी उस फिल्म को बचा नहीं पाई। उसकी असफलता ने कंपनी को कमजोर बना दिया परन्तु "कॉकटेल' ने उस बड़ी हानि की कुछ भरपाई की परन्तु फिर "गो गोवा गॉन' "लेकर हम दीवाना दिल' ने कंपनी की साख घटा दी जिसे पुन: संभालने के लिए "हैप्पी एंडिंग' बनाई जा रही है परन्तु अब दोनों भागीदार अलग-अलग फिल्में बनाएंगे। यही कारण है कि दिनेश विजन ने "फाइडिंग फैनी' स्वयं के जोखिम पर बनाई है।
क्या भारी आर्थिक घाटे के कारण भागीदारी में दरार गई है? क्या विजन अर्थात स्वप्न का बंटवारा हो सकता है? दरअसल दोनों के फिल्म निर्माण के नजरिए में गहरा अंतर है। दिनेश विजन का झुकाव प्रयोगवादी सिनेमा की ओर है और सैफ ने स्वयं को सफल एक्शन हीरो साबित करने के लिए "एजेंट विनाेद' पर भारी खर्च किया। दरअसल अपनी पारंपरिक छवि को ताेड़ने का प्रयास सारे सितारे करते रहते हैं और यह सराहनीय हो सकता है बशर्ते सामाजिक सोद्देश्यता वाली फिल्म बनाई जाए क्योंकि शहादत की वजह हमेशा महान होनी चाहिए। "मेरा नाम जोकर' या "कागज के फूल' शहादत की सार्थक वजहें थीं, परन्तु "एजेंट विनोद' तो "एक था टाइगर' के पासंग भी नहीं पाई। "फाइंडिंग फैनी' में नसीर पंकज कपूर के साथ दीपिका पादुकोण हैं और अर्जुन कपूर तथा डिंपल भी हैं तथा सभी ने प्रयोग की खातिर अपना मेहनताना कम किया है।
बहरहाल "हैप्पी एंडिंग' के समय भागीदारों का अलग होना अजीब सा है परन्तु इस भागीदारी के टूटने पर टेसुए बहाने की आवश्यकता इसलिए नहीं है कि साथ होने पर भी दोनों ने कोई जादू जगाने वाली फिल्म नहीं रची थी। फिल्म उद्योग में अनेक भागीदारियां टूटी हैं। प्रकाश मेहरा के करियर को बनाने में सत्यपाल चौधरी ने प्रयास किए, यहां तक कि स्वयं को मिला निर्देशन का अवसर अपने बिसूरते मित्र प्रकाश मेहरा को दिला दिया। सलीम-जावेद की "जंजीर' के बाद प्रकाश मेहरा और सत्यपाल चौधरी ने सफल फिल्मों की शृंखला रच दी परन्तु एक दौर ऐसा भी आया जब वे साझा दफ्तर पहुंचे और उनके कक्ष में ही प्रकाश मेहरा की पत्नी ने उन्हें जाने नहीं दिया। प्रकाश मेहरा कहीं और इश्क फरमा रहे थे इसलिए पत्नी की गैर-वाजिब बातों को सहते रहे। विवाहित पुरुष का अन्य स्त्री से प्रेम उसकी पत्नी को कुछ ऐसे अधिकार देता है जो गैर-जरूरी कामों को अंजाम देता है। प्राय: प्रेम त्रिकोण घातक सिद्ध होते हैं।
जब भागीदारियां टूटती हैं तब बात केवल पैसे और जमीन के बंटवारे की नहीं होती वरन् अच्छे दिनों की यादें मन में तीर सी चुभती हैं। भावना को दो भागों में कैसे बांटा जा सकता है, जिस तरह सूक्ष्मतम अणु के विभाजन से पैदा हुई घातक ऊर्जा नष्टकारी होती है। उसी तरह भावना के अणु को तोड़ने पर भी विस्फोट होता है परन्तु मन के ये हिरोशिमा और नागासाकी नजर नहीं आते। हालांकि भावना के आणविक विकिरण के प्रभाव आगामी पीढ़ी पर पड़ते हैं। सभी भागीदार वर्तमान के अहंकार की धुंध में भविष्य के झुलसने को समझ नहीं पाते। सारे युद्ध और विभाजन अनावश्यक हैं और तर्कहीनता से जन्म लेते हैं। हर विवाद की संभावना के समय परिवार के नन्हों की ओर देखें कि उनका भविष्य नष्ट करने का अधिकार उन्हें नहीं है। हर नन्हा एक विराट संभावना है।