सोना रे सोना, कभी जुदा नहीं होना / जयप्रकाश चौकसे

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सोना रे सोना, कभी जुदा नहीं होना
प्रकाशन तिथि : 06 नवम्बर 2018


धनतेरस के दिन अखबार की सुर्खियां कहती हैं कि भारत में 24,000 टन सोना है, जिसमें 21,000 टन महिलाओं के पास है। चीन में सबसे अधिक सोना है। अमेरिका ने अपना सोना फोर्टनॉक्स नामक जगह पर सुरक्षित रखा है। सोने की तलाश में जाने वाले अनगिनत लोग अपने प्राण गवां चुके हैं। यह प्रतीक भी गौरतलब है कि सिर पर धारण किए जाने वाला मुकुट सोने का बना होता है परंतु युद्ध में प्राण बचाने के लिए पहना कवच लोहे या इस्पात का होता है। हर देश को अपने स्वर्ण भंडार के मूल्य की करेंसी छापने का अधिकार है और इस नियम की अवहेलना करने पर उस देश की मुद्रा का अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य घट जाता है। सोने की तस्करी के कारण भी भारत में सोने का भंडार बढ़ा है। अगर दाऊद उम्रदराज होकर मर भी जाए तो उसके हव्वे को जीवित बनाए रखने के लिए उसे गुप्त ढंग से दफनाया जाएगा।

बहरहाल, स्वर्ण के महत्व के कारण सोने की तलाश पर कुछ फिल्में बनी है, जिनमें बहुसितारा अभिनीत 'मैकनाज़ गोल्ड' अत्यंत सफल सिद्ध हुई थी। रावण ने तो सोने की लंका ही रच दी थी। उसके 10 सिर इस बात का प्रतीक हैं कि वह 10 विधाओं में प्रवीण था, जिनमें से एक सोना बनाने की कीमिया भी थी।

चार्ली चैप्लिन की फिल्म 'गोल्ड रश' में सोने की तलाश में गए दल के पास खाने-पीने की सामग्री समाप्त हो जाती है तो भूख से त्रस्त नायक अपने चमड़े के जूते को गर्म पानी में उबालता है और चमड़े को खाते हुए व जूते में लगी कीलों को ऐसे निकालता है जैसे मांसाहारी गोश्त में से हड्डियां निकालते हैं। मेहबूब खान की फिल्म 'रोटी' के अंतिम दृश्य में सोने को एकत्रित करने वाला लोभी खलनायक अपना स्वर्ण कोष एक कार में लादे भाग रहा है कि एक मोड़ पर कार पर नियंत्रण खो देता है तो वह स्वयं सोने के नीचे दब जाता है। उसका एक हाथ बाहर है और वह भूख से तिलमिला रहा है। वह रोटी मांग रहा है। फिल्मकार रोटी के महत्व को रेखांकित करते हुए स्पष्ट करता है कि सोना खाया नहीं जा सकता।

भस्मासुर की कथा की तरह ही मिडास टच भी है कि एक लोभी व्यक्ति वरदान प्राप्त करता है कि वह जिस वस्तु को स्पर्श करेगा वह सोने की बन जाएगी। स्नेह से वशीभूत अपनी पुत्री को स्पर्श करता है तो वह सोने की बन जाती है। दंत-कथाओं और लोक कथाओं के माध्यम से सार्थक उपदेश दिए जाते हैं। कुछ व्यक्ति अपने दांत पर स्वर्ण की परत चढ़ाते हैं। उनकी मुस्कुराहट मूल्यवान लगती है परंतु कहीं भी आंसुओं के स्वर्ण में बदलने की कथा नहीं कही गई है। हमारे संगीतकार बप्पी लहरी वजनदार सोने की अनेक मालाएं धारण किए रहते हैं। संभव है कि अभाव के दिनों का कोई कड़वा अनुभव ऐसा रहा हो कि सफलता के बाद चलती-फिरती सोने की दुकान की तरह बन गए।

पुरातन काल में स्वर्ण मुद्राएं ही बाजार में चलती थीं। स्वर्ण लोभ के दामन के लिए एक सनकी कहे जाने वाले शासक ने चमड़े के सिक्कों का प्रचलन आरंभ कर दिया था परंतु वह कदाचित यह नहीं जानता था कि नारी की देह चमड़े का सिक्का बना दी जाएगी। दशकों पूर्व प्रदर्शित एक दक्षिण भारत में बनी फिल्म में एक राजनर्तकी एक गरीब पर आरोप लगाती है कि इसने स्वयं स्वीकार किया है कि यह अपने स्वप्न में उसके साथ सहवास करता है, जिसके लिए उसे 1000 स्वर्ण मुद्रा देने का आदेश दिया जाए। उस दिन न्याय देने का अधिकार रानी के पास था।

रानी एक आईने के सामने 1000 स्वर्ण मुद्राएं रखती है और आरोप लगाने वाले से कहती है कि आईने में स्वर्ण मुद्रा की छवि राजनर्तकी स्वप्न सहवास के मुआवजे की तरह प्राप्त कर सकती है। खेल-कूद प्रतियोगिताओं में भी श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों को स्वर्ण पदक दिया जाता है। स्वर्ण पत्र पर लिखी इबारत मिट जाती है परंतु शिलालेख हजारों वर्ष बाद भी अस्तित्व में बने हुए हैं। हिंदुस्तान अभिकरण खंडवा का मोबाइल संदेश है 'चाहे घर हमारे धन बरसे या न बरसे, बस इतनी कृपा करना प्रभु की कोई रोटी को न तरसे।'