सोने की चेन / शोभना 'श्याम'
वे दोनों कॉलोनी में स्थित बाज़ार तक पहुँची ही थी कि अचानक एक मोटर साइकिल सर्राटे से तेजी से पास से गुजरी और पीछे बैठे युवक ने एक झटके से उनमें से एक के गले में पहनी चेन खींच ली। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, मोटर साइकिल अगले मोड़ से मुड़ कर गायब हो गयी।
बाज़ार से कुछ लोग भागते हुए आये। महिला अपनी गर्दन को पकड़े हलके से कराह रही थी। चेन खिंचने से उसकी गर्दन पर हल्का-सा घाव हो गया था। वहाँ एकत्र हुए सब लोग अपनी-अपनी सलाह दे रहे थे। कोई कह रहा था, पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए। कोई पूछ रहा था कि किसी ने मोटर साइकिल का नंबर नोट किया क्या। इतने में एक रहमदिल लड़का भाग कर दवाई की दूकान से डेटोल और रुई ले कर आ गया और उक्त महिला के ज़ख्म पर लगाने लगा।
इस बीच किसी का ध्यान उस साथ वाली महिला पर नहीं गया जो अपने गले में पहनी सोने की चेन को एक हाथ से पकड़े थर-थर काँप रही थी। यह चेन खिंचने वाली महिला कि घरेलु सहायिका थी। कई बरस रुपये जोड़ने के बाद कुछ दिन पहले ही उसने ये चेन खरीदी थी। कल जब काम पर निकलते समय वह बड़े चाव से यह चेन पहन कर आईने में निहार रही थी, तो उसके पति ने उसे टोका था कि ये पहन कर काम पर मत जइयो। आजकल शहर में रोज़ ही चेन खीचने की वारदातें होती हैं और लो... आज ही मालकिन की चेन।
इतने में मालकिन का स्वर सुनाई दिया, "कमबख़्तों ने नकली चेन के लिए मेरी गर्दन जख्मी कर दी"।