सोमवार के बरत शुरू करण आळे का स्यान के उतरै सै / नवीन रमण

Gadya Kosh से
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जय दादा खेड़े की

जान से भी प्यारी ... जिस दिन तेरी शक्ल नहीं देखता उस दिन काळजा कती पाटण नै होया रै सै। आज चौथा दिन हो ग्या तेरे मिले अर देख्खे। एक तो तेरा घर इसी गली मैं सै, जूणसी बंद सै। बंद गाल मैं जांदी हाण डर लाग्गै सै। कोए हो टोक देगा इसी गली मैं। अक किसकै जाणा सै। किसका नाम ल्यूंगा मैं। दूसरा तेरा ओ खडूस बुड्ढा पड़ोसी जुणसा सारी हाण बाहर गली मैं बैठया रह सै। दो च्यार माणसा नै ले कै। कदे तो ताश खेलता पावैगा कदे होक्का पींदा पावै। जमा कड़वा-कड़वा देखे जा सै। मारणे झोट्टे की तरिया। सब तै न्यू कहे जागा अक आग्गै गली बंद सै। फेर नू पूछैगा अक किसकै जाणा सै। किसकै बताऊं उसनै।

सबतै बड़ी आफत मैंस बिके तै होई सै। तेरे बाबू नै आच्छी मैंस बेंची। इब सांझ के टैम पै मिलणा ओखा होरया सै। कम तै कम गोबर गेरण के बहाने सांझ नै मिल लिया करते। और नहीं तै तू आपणी ढब्बण गेल आ जाया कर। बात नी कर सकते तो के होया देख तै लिया करैंगे।

जब तही थारी मैंस नी आ जांदी। इब तो तम चमासे मैं-ए लेंदे होगे। इस टैम खरसा मैं तो महंगी मिलैगी। तन्नै के लाग्गै सै कद तही ले ल्योगे। स्कूल मैं बी तो जाणा छड़वा दिया तेरा।

चाल काल तो मिलण का मौका सै-ए। भगवान उसका भला करै जिसनै यैं सोमवार के बरत शुरू करे। बल्के तीन-चार दिन होणे चहिए शिबजी के तो। अर हां थओड़ी वारी-सी आइये। तड़के-तड़क उड़ै भीड़ भी घणी हो ज्या सै। अर मेरी गुलाबों ओ गुलाबी सूट पहर कै आइये। उस मैं कती चिकला-सी लाग्गै सै। ओए जुणसा तन्नै सोमबीर के ब्याह मैं पहरया था। अर उस फत्तु के बहू गेल मत आइये। मीठी ठग सै वा। ठग के डैण सै पक्की। सारे गाम मैं ढिंढोरा पीट देगी। उसतै बचकै रहया कर। कड़ै उसके भीत्तर बड़ण नै होई रै सै।

आई लव यू मेरी गुलाबों