सौदा / सुरेश सौरभ
Gadya Kosh से
आधी रात। एक फ़ोन बजा। सोते हुए डीएम साहब उठ बैठे। फ़ोन पर बात की। फिर ड्राइवर को उठाया। गाड़ी लेकर चल पड़े। पत्नी ने कहा-कहाँ जा रहे हो। वे बोले-नौकरी बचाने। डीएम साहब ने अपने अधीनस्थ कुछ अधिकारियों को लिया। लॉक ईवीएम गोदाम पहुँचे। लॉक करने वाले ने लॉक खोला। फिर 'पेट भरी' ईवीएम मशीनों पर जादुई हाथ डीएम ने फिराया।
दूसरे दिन परिणाम अप्रत्याशित थे। सब हैरान थे। तीन माह बाद डीएम साहब की पदोन्नति हो गई।