स्क्रीन–टेस्ट / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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बम्बई पहुँचने पर वंचिता फ़िल्म के डायरेक्टर सचिन ने नमिता को हाथों–हाथ लिया–"अरे बेबी, तुम फ़िल्म इंडस्ट्री में तहलका मचा दोगी। मैं निर्माता को फोन करता हूँ। अगर उसे मुझसे फ़िल्म डायरेक्टर करानी है, तो देवीना का पत्ता साफ करे और तुम्हें हीरोइन का रोल दे। खूसट बुढ़िया लीप–पोतकर कब तक हीरोइन बनती रहेगी?"

सचिन ने फोन किया। नमिता का कलेजा बल्लियों उछलने लगा। पाँव धरती पर नहीं पड़ रहे थे। उसने डायरेक्टर को मुग्धभाव से देखा। उन्होंने कैमरामैन दरीवाला से कहा–"ज़रा बेबी के चार–पाँच पोज लेकर प्रोड्यूसर को दिखा आओ. वह भी क्या याद करेगा। सचिन की पसन्द माने रखती है।"

दरीवाला ने अलग–अलग ड्रेसज़ में नमिता के कई फोटो लिए. मिनीस्कर्ट, ब्लाउज और बेदिंग सूट में अपने पोज देखकर वह भी झेंप गई। सचिन ने उसके गाल थपथपाए–"समझो तुम हीरोइन बन गई, नम्बर वन हीरोइन।"

देर तक कहानी डिस्कस होती रही। वेटर कोल्ड ड्रिंक्स ले आया। एक–एक घूँट के साथ उस पर नशा–सा छाने लगा। वंचिता के बड़े–बड़े बैनर उसकी दृष्टि में घूम गए। वह अपने प्रशंसकों की भीड़ में घिरती जा रही है।

एक होटल के कमरे में उसकी आँख खुली। कपड़े अस्त–व्यस्त। उसके कई अश्लील फोटो सिलवटों से भरे बैड पर पड़े उसे मुँह चिढ़ा रहे थे।