स्त्री-पुरुष भूमिकाओं के उलटफेर / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 30 मई 2014
विगत वर्षों में पुरुष कलाकार अपनी एक लोकप्रिय पहचान महिला छवि धारण करके बनाते हैं और इन भूमिकाओं में इतने टाइप्ड हो जाते हैं कि अपने असली स्वरूप में उन्हें काम ही नहीं मिलता। कपिल शर्मा के सफल हास्य प्रोग्राम में किंकु शर्मा नामक जरूरत से अधिक मोटा व्यक्ति पलक नामक चरित्र में काम करता है और मोटापे के बावजूद उसकी चपलता आश्चर्य में डालती है। फरहा खान की शाहरुख खान, दीपिका अभिनीत हैप्पी न्यू इयर के एक हास्य में 'पलक' नायक को नृत्य सिखाएगा। यह फिल्म दीवाली पर प्रदर्शित होगी। कपिल शर्मा के शो में मेहमूद के परिवार का एक युवा कलाकार 'पियक्कड़ दादी' के रूप में सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसी तरह 'गुत्थी' नामक पात्र भी वापसी कर रहा है। अमेरिका के मनोरंजन जगत में भी इस तरह के पात्र रहे हैं और कमल हासन की एक कथा फिल्म में भी नायक महिला बनकर अपने से नाराज बीवी के मायके में पहुंच जाता है और यह फिल्म भी एक अमेरिकन फिल्म की प्रेरणा से बनी थी। ऋषिकपूर और पेंटल ने दशकों पूर्व बनी 'रफू चक्कर' में महिला छवि धारण करके महिलाओं के दल के साथ कश्मीर की यात्रा के मनोरंजक दृश्य अभिनीत किए थे। मराठी भाषा में सचिन और अशोक श्रॉफ ने असीही भनवा भनवी में दर्शकों को हंसा-हंसा कर पागल कर दिया था। मनमोहन देसाई की बबीता अभिनीत 'किस्मत' में विश्वजीत ने महिला छवि का निर्वाह विश्वसनीय ढंग से किया था। हरफनमौला आमिर खान भी आशुतोष गोवारीकर की 'बाजी' के एक बीस मिनट लंबे दृश्य में हसीना की छवि में आ चुके हैं। इस तरह महिला रूप में प्रस्तुत होने वाली अनेकों फिल्म हैं और गोविंदा की 'आंटी नंबर एक' भी सफल रही। भारतीय सिनेमा की प्रारंभिक फिल्मों में सालुंके नामक पुरुष ने नारी भूमिकाएं की थीं परंतु उस दौर में तवायफें भी फिल्मों में काम करने से इंकार करती थीं।
यह सब फिल्मों में भूमिकाओं की बातें हैं और नारी पात्रों ने पुरुष छवि का निर्वाह भी अनेक फिल्मों में किया है जैसे कल्पना कार्तिक लड़के के भेष में देवआनंद की टैक्सी का क्लीनर बन जाती है। इस तरह की फिल्मों में सबसे अजीब घटना उस समय हुई जब केदार शर्मा शम्मीकपूर और माला सिंहा के साथ फिल्म बना रहे थे तो उनकी प्रिय कलाकार ने जिद की कि इस फिल्म में महिला भूमिका नहीं है तो वे एक संक्षिप्त पुरुष भूमिका करेंगी क्योंकि उन दिनों वे शम्मीकपूर से इश्क फरमा रही थीं।
आजकल सेवन स्टार चैनल पर एक पाकिस्तानी सीरियल में टेलीविजन का अमीर निर्माता अपने व्यक्तिगत जीवन की प्राइवेसी में महिला पोशाक पहनता है, साज श्रृंगार करता है और यह बात गोपनीय रखी जाती है। उसके सीरियलों का सबसे सफल पुरुष सितारा उससे कहता है कि अपने इस विभाजित व्यक्तित्व से मुक्ति के लिए किसी महिला से प्रेम करो, वह तुम में छुपे पुरुष को पूरी तरह अवचेतन के कवच से बाहर आने में सहायता करेगी और वह उसके पीछे पागल एक प्रशंसिका का फोन नंबर देता है और कहता है कि सितारे की आवाज की नकल करते हुए उससे बातें करते रहो। आश्चर्य यह है कि अनेक दिनों तक लंबी बातों के सिलसिले में वह अपनी व्याधि से छुटकारा पा रहा है और उसका साइकियाटिस्ट भी सहायता कर रहा है। उधर वह पागल प्रशंसिका अपनी शादी की रात घर से भाग कर कराची आ जाती है। यह प्रशंसिका का पात्र ऋषिकेश मुखर्जी की जया भादुड़ी अभिनीत 'गुड्डी' की तरह है। पाकिस्तानी सीरियलों में भारतीय फिल्मी गीतों का जमकर प्रयोग किया जाता है।
यह सदियों से माना जा रहा है कि हर पुरुष में एक स्त्री छुपी होती है और स्त्री में पुरुष होता है। हरिवंश राय बच्चन ने अपनी आत्म-कथा में लिखा है कि उनके भीतर का स्त्रेण पक्ष अधिक प्रबल है और शायद वही लिखवाता भी है। उनकी दूसरी पत्नी तेजी में पुरुष पक्ष मजबूत था और वे हनुमान भक्त थीं। मराठी संस्कृति क्षेत्र में गंधर्व ने महिला भूमिकाओं को अमर कर दिया और उनका मराठी भाषा में बना बायोपिक एक क्लासिक का दर्जा रखता है। सिनेमा और रंगमंच पर यह भूमिकाओं का उलटफेर लोकप्रिय है परंतु यथार्थ जीवन में पुरुष के लिए नारी ह्रदय को समझना उतना ही कठिन है जितना स्त्रियों को पुरुष मानस का संसार समझना है और सारे पारिवारिक जीवन में पति पत्नी की टकराव की स्थितियों में वे अपने अंतस में छुपे अन्य को भूल जाते हैं। आवेश के एक क्षण में वर्षों का प्रेम गायब हो जाता है। एक कौतुक यह भी है कि जब अर्जुन ने अज्ञातवास में नारी रूप में राजकुमारी उत्तरा को नृत्य सिखाया था तो वे उस रूप पर मुग्ध थीं परंतु सत्य मालूम होने पर उनकी रूचि अर्जुन में नहीं वरन् उनके पुत्र अभिमन्यु में जागी। मनुष्य मन अपरिभाषेय है।