स्त्री मूल्य / कविता वर्मा

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संतो आदिवासी परिवार की लड़की थी लेकिन शायद शहर में रहने का प्रभाव था या स्कूल से मिलने वाली धनराशी का कि उसके माता पिता ने उसे स्कूल से नहीं निकाला। शायद ये भी एक कारण था कि पढ़ लिख जाएगी तो उसकी शादी में अच्छा पैसा मिल जायेगा (आदिवासियों में लड़की की शादी पर लड़के वालों की ओर से पैसा मिलता है).

एक दिन उसके घर में खूब हंगामा हुआ कारण कि किसी लड़के ने उसके पिता के मोबइल पर फ़ोन करके उससे बात करवाने को कहा। काफी शोर शराबे के बीच उसे डांटा गया या शायद दो चार थप्पड़ भी लगाये गए।

दूसरे दिन से उसका स्कूल जाना बंद करवा दिया गया। पड़ोसियों रिश्तेदारों ने खूब समझाया कि लड़की है पढ़ लिख जाएगी तो उसका भला होगा। लेकिन पिता की चिंता थी लड़की के पढने से उसका भला जब होगा सो होगा लेकिन अगर लड़की किसी के साथ भाग गयी तो उनका इतने साल उस पर लगाया पैसा और जो स्त्री मूल्य उन्हें मिलना है वह डूब जायेगा.

अब संतो को स्त्री मूल्य जब मिलेगा सो मिलेगा लेकिन आज स्त्री (लड़की) होने का जो मूल्य वह चुका रही है वह तो इस जन्म में वसूल नहीं हो पायेगा।