स्पर्श का अदृश्य सेतु एवं स्वतंत्रता के द्वीप / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 16 दिसम्बर 2013
रितिक रोशन और सुजैन के संबंध टूटने का सबसे बुरा प्रभाव उनके दो बेटों पर पड़ेगा जिनकी कमसिन उम्र में इस कारण कड़वाहट आ सकती है। बच्चों का पक्ष ही सबसे मासूम और निरपराध है और सबसे बड़ी सजा उन्हें ही मिलती है। राकेश रोशन अपने पोतों से दूर रहने का दुख कैसे सहन करेंगे। राकेश के ससुर निर्माता जे. ओमप्रकाश 86 वर्ष के हैं। इसी तरह सुजैन के माता-पिता के लिए भी यह दुख का समय हुआ। इस तरह के प्रकरण में सबसे सहज अनुमान यह है कि दोनों के बीच तीसरा कोई आ गया है। परन्तु कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कोई तीसरा व्यक्ति नहीं है परन्तु पति-पत्नी के बीच अनजानी दूरियां आ जाती हैं। कुछ वर्ष पूर्व अनुपम खेर ने भी इसी आशय की बात कही थी कि उनके और किरण के बीच तीसरा कोई नहीं है परन्तु फिर भी उनमें दूरियां बढ़ गई हैं। मनुष्य मन एक अबूझ पहेली है।रितिक और सुजैन कमसिन उम्र से ही एक दूसरे के करीबी दोस्त हो गए थे और दोनों ही फिल्मी परिवारों की पृष्ठभूमि से हैं और इस उद्योग के रीति-रिवाजों से वाकिफ रहे हैं। प्रेम कहानियों पर फिल्में बनाने वाले उद्योग में प्रेम दृश्यों को भावना की तीव्रता के साथ प्रस्तुत किया जाता है और सहसितारे एक दूसरे के साथ दिलकश वादियों में लंबा वक्त गुजारते हैं। परदे पर प्रेम का रसायन कभी-कभी मात्र अभिनय नहीं रह जाता। सारांश यह है कि इस खेल में बहकना है मुमकिन, भटकने का डर है।
रोशन परिवार जुहू की एक भव्य इमारत के ऊपरी तीन मालों में रहते हैं। राकेश ने एक पूरा माला रितिक और सुजैन को दिया है तथा एक परिवार के दोनों धड़ों के समान उपयोग के लिए है तथा तीसरे माले पर राकेश और उनकी पिंकी रहते हैं। इस बहुमंजिला के निर्माण के समय ही सौदा हो गया था, अत: रितिक के माले तक जाने की अलग प्राइवेट लिफ्ट है। सारांश यह है कि साथ रहते हुए भी परिवार के दोनों हिस्सों के पास अपनी निजता को अक्षुण्ण बनाए रखने की स्वतंत्रता थी और इसके बाद भी सुना जाता है कि सास-बहू के बरतन टकराते थे। यह तो मुहावरा है और इन धनाड्य परिवारों में न सास रोटी पकाती है, न बहू बर्तन मांजती है। इन सबके बावजूद कहा जाता है कि रितिक की पत्नी चाहती थी कि वे अन्य बंगले में चले जाएं और रितिक को यह पसंद नहीं था। श्रीमती रितिक की मां जरीन घर की सजावट की विशेषज्ञ विगत तीन दशकों से हैं और अपने कार्यक्षेत्र में अत्यंत सफल हैं। सुजैन ने भी यही व्यवसाय प्रारंभ किया और उसे भी सफलता मिली है। आजकल वह रनवीर कपूर के कमरों की नई सजावट में लगी हैं। घर सजावट के शास्त्र में घर बचाने की कला नहीं सिखाई जाती।
विगत कुछ समय से सुजैन वर्सोवा के एक फ्लैट में रहने चली गई थीं और बच्चे उनके साथ थे। उनके पिता संजय खान और माता जरीन तथा सीनियर रोशन ने इस विवाह को बचाने के अनेक प्रयास किए परन्तु सब तरह से हताश होने के बाद यह कठिन फैसला लिया गया। मीडिया में दबे ढंग से इस टूटते संबंध की खबरें आ रही हैं और दोनों के जीवन में अन्य की भूमिका की अफवाहें उड़ रही हैं। यह संभव है कि दोनों ही सशक्त व्यक्तित्व हैं और उनके बीच समझौता मुमकिन नहीं था। आज हर व्यक्ति अपनी निजता के विषय में अत्यंत संवेदनशील है और रिश्तों को स्पेस की तलाश है अर्थात वह जगह जो उनकी अपनी हो और अन्य का साया भी उसमें न पड़े। आज की प्रेम कहानियों में प्रेम से अधिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता महत्व दिया जाता है गोयाकि 'हम' से ज्यादा महत्वपूर्ण 'मैं' हो चुका है।
दशकों पूर्व जब शशि कपूर और जैनीफर का विवाह हुआ तब उन्होंने तय किया था कि झगड़े के दिनों में वे एक ही बिस्तर पर एक दूसरे की ओर मुंह रखकर सोएंगे अर्थात 36 की तरह नहीं 63 की तरह। उद्देश्य यह था कि झगड़े के बाद भी एक दूसरे को निहारते हुए किसी अदृश्य स्पर्श के सेतु पर वे दोनों मिल सकें और सुलह सफाई हो जाये। आज मनुष्य मन इतनी दिशाओं में भटक रहा है कि आंशिक मन वाले तन के स्पर्श बासी हो गए, श्वास में सुगंध नहीं रही। आज दरअसल स्पर्श में वह सनसनी नहीं रही कि पुल बन सके क्योंकि व्यक्ति निजी स्वतंत्र द्वीप होना चाहते हैं जिन्हें कोई समान भावना की लहर छूती नहीं हो।