स्याही छोड़ण आळे पैन गेल के ब्याह राखी सै / नवीन रमण
पतासे बरगी सुदेस
एक तो तू आपणा पैन बदल ले। सारे लैटर पै इसा लागै जणू लीला रंग थूक दिया हो किसे नै। इस पैन गेल के तू ब्याह राखी सै । फैकती क्यूं नी इसनै । तेरे लिखै तै बत्ती तो यो पैन फैंक दे सै । मेरे साले पैन कै दस्त लाग रे सै । चै जड़ मै एक लोगड़ ( रूई) धर लिया कर अर इसकी राळ (लार) पूछती रहया कर लिखती हाण ।
आगली काम की बात सुण तू इब।
कुछ दन खात्तर मैं आपणे मामा कै जाऊं सूं। कदे मेरे जाए पाछै तू म्हारे घेर मैं लैटर फैंक आवै। थोड़े दन की थमास कर लिए। पिछली बै जब बुआ के ग्या था। आए पाछै रूसी पाई थी। इस मारे इबकै तो बता के जाण लाग रहया सूं। आगले सोमवार नै आ ल्यूंगा। मामा कै उसकै काका के छोरया नै चोट मार दी। उनका टीबल पै रोळा चाल रहया सै। मामा नै नू बुलाया सूं। अक वैं फेर रोळा कर सकै सै। अर पुलिस आळै बी उनकी ओड़ लेण लाग रे सै। पीसा खुवा दिए होंगे। मामा मूंजी। वो कीत पीसे काढ़ै था। यै काम तै पीसे गेल हो सैं। फोकट मैं तै पुलिस आळे कटी आंगली पै नी मूत्तै।
अर तू म्हारे ओबरे की वा ईंट मत हटाया कर। मेरी मां नै शक हो रहया सै। इस ईंट नै कूण हटा दे सै।
तेरा गुड़ बरगा मुकेश