स्वतंत्रता / गरिमा सक्सेना

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

१४ अगस्त की शाम को कुछ लोग जो किसी राजनैतिक पार्टी के थे, एक चिड़िया बेचने वाले की दुकान पर गये बोले हमें १०० कबूतर खरीदने हैं, दुकान वाला बोला- 'जी बाबूजी अभी देता हूं, वैसे इतने कबूतर एक साथ?'

खरीदार बोला- 'हां कल १५ अगस्त जो है, स्वतंत्रता दिवस, कल इन कबूतरों को आज़ाद कर के उड़ाना है। आजादी का संदेश देना है। दुकानदार बोला- 'चलो अच्छा है कुछ दिन ये कबूतर भी उड़ लेंगें, फिर तो हमें दुबारा इन्हें पकड़ना ही होगा पिंजरे में डालने को, वरना अगले स्वतंत्रता दिवस पर आप किसे आजाद करेंगे।