स्वरा भास्कर : सन्नाटे में गूंजती ध्वनि / जयप्रकाश चौकसे

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स्वरा भास्कर : सन्नाटे में गूंजती ध्वनि
प्रकाशन तिथि : 01 फरवरी 2020


स्वरा भास्कर ने नाटक, फिल्में और वेब सीरीज में अभिनय किया है। आनंद एल. राय की फिल्म ‘निल बटे सन्नाटा’ मैं अपनी उम्र से दोगुनी उम्र की मां की भूमिका के लिए उन्हें श्रेष्ठ अभिनय का पुरस्कार मिला है। आनंद एल. राय की ‘तनु वेड्स मनु’ और ‘रांझना’ में चरित्र भूमिकाओं के लिए भी उन्हें सराहा गया है। ‘अनारकली ऑफ आरा’ में स्वरा ने नौटंकी करने वाली महिला का पात्र अभिनीत किया और क्लाइमैक्स में सत्तासीन अय्याश मंत्री की पोल खोल दी। इसी तरह ‘वीरे दी वेडिंग’ में उनके द्वारा अभिनीत एक साहसी दृश्य हमें महान विचारक सिमोन द बोउआर के कथन की याद ताजा कराता है कि जब एक मध्यम आय वर्ग की महिला बुर्जुआ प्रसाधन को नकारकर अपने स्वाभाविक रूप में अपना शरीर दिखाती है तो पुरुष भयभीत हो जाते हैं। सौंदर्य का ताप उन्हें चौंधिया देता है। तथाकथित नैतिकता के स्वयंभू पहरेदार तिलमिला जाते हैं।

स्वरा भास्कर ने श्याम बेनेगल के ‘संविधान’ नामक टेलीविजन शो में भी नैरेटर की भूमिका अभिनीत की है। महान संविधान में सुरंग लगाने के इस दौर में श्याम बेनेगल की रचना को पुनः प्रसारित किया जाना चाहिए। उनकी अभिनीत वेब सीरीज का नाम है ‘इट्स नॉट सो सिंपल’। सारांश यह है कि अभिव्यक्ति के विविध मंच पर स्वरा खूब ध्वनित हुई हैं। स्वरा भास्कर के पिता चित्रापु उदय भास्कर भारतीय थल सेना में उच्च पद पर रहते सेवानिवृत्त हुए और माता ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया है। स्वयं स्वरा ने अंग्रेजी साहित्य और समाजशास्त्र की परीक्षाएं पास की हैं। उनका परिवार एक तरह से भारत की विविधता में एकता का प्रतीक बनकर सामने आता है। संभवत: इसलिए वे पुरातन अफीम के नशे में काफी लोगों के निशाने पर आ जाती हैं। स्वरा भास्कर अपने विचार व्यक्त करने में संकोच नहीं करतीं। उन्होंने संजय लीला भंसाली की ‘पद्मावत’ की खुलकर आलोचना की है।

ज्ञातव्य है कि भंसाली की फिल्म ‘गुजारिश’ में स्वरा भास्कर ने चरित्र भूमिका अभिनीत की थी। सूरज बड़जात्या की सलमान खान अभिनीत ‘प्रेम रतन धन पायो’ में स्वरा ने नायक की बहन का पात्र अभिनीत किया है। किसी पात्र को न्याय दिलाने के लिए नायक संघर्ष करता है। एक तरफ स्वरा भास्कर ने सामाजिक यथार्थ प्रस्तुत करने वाले श्याम बेनेगल तो दूसरी तरफ संजय लीला भंसाली जैसे रंग और ध्वनि की ऑरजी प्रस्तुत करने वाले फिल्मकार के साथ काम किया। इसके साथ ही आनंद एल. राय के साथ भी काम किया है। गोयकि वे दसों दिशाओं में ध्वनित होती रही हैं। उनकी व्यक्तिगत प्रतिभा उनके परिवार की परंपरा से प्रेरित होकर अपने व्यक्तिगत योगदान से उसी परंपरा को शक्तिशाली करते हुए अग्रसर होती है। उनके लिए यह स्वाभाविक कार्य था कि दिल्ली के छात्र हड़ताल का वे समर्थन करें। अपनी पाठशाला का बचाव करना प्रत्येक छात्र का नैतिक दायित्व बन जाता है।

कुछ फिल्मकार शरीर को प्रस्तुत करते हैं, कुछ फिल्मकार अपने विषय की आत्मा को प्रकट करने पर ध्यान देते हैं। इस तरह फिल्म बॉडी एंड सोल का समीकरण साधने का प्रयास करती है। स्वरा भास्कर, मधुबाला या माधुरी दीक्षित नेने की तरह नहीं हैं, परंतु कथा की आत्मा को अपने सारे औघड़पन और अनोखेपन के साथ प्रस्तुत करती हैं।

आजकल स्वरा भास्कर काले कानून के विरोध में विभिन्न शहरों में भाषण दे रही हैं। ज्ञात हुआ कि शीघ्र ही इंदौर में भी वे अपने बेबाक विचार प्रकट करने वाली हैं। स्वरा भास्कर ने ‘द यूनाइटेड कार्तिक कृष्णन’ प्रोजेक्ट नामक फिल्म में अभिनय किया जिसका बजट मात्र चालीस हजार ही था। अतः उनका मेहनताना निल बटे सन्नाटा ही रहा होगा। उनके लिए मेहनताना कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा। यह संभव है कि स्वरा भास्कर फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में प्रवेश करें। इंटरनेट पर उपलब्ध मंच ने यह सुविधा प्रदान की है कि सिनेमाघरों में प्रदर्शन के बाहर भी एक संसार है। जहां उन्मुक्त होकर सृजन किया जा सकता है। स्वरा और ध्वनि कभी सीमा में नहीं बंधते।