स्वर्ग आरो नर्क / धनन्जय मिश्र

Gadya Kosh से
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एक सैनिक स्वर्ग आरोॅ नर्क लेली बड्डी ही बिस्मित रहै छेलै। वेॅ स्वर्ग आरोॅ नर्क केॅ नै मानै छेलै। वेॅ बुझै छेलै कि जीवन रोॅ बाद स्वर्ग आरोॅ नर्क रोॅ अस्तित्व ही नै होय छै। मतुर लोगोॅ रोॅ मुहोॅ से हेकरोॅ जिक्र सुनी कॉ हौ बराबर संशय में रहै छेलै। लोगोॅ ने होकरा सलाह देलकै कि तोहे महात्मा जी रोॅ पास जाय केॅ है सवालोॅ रोॅ उत्तर पुछो। हौ महात्मा जी रोॅ पास जाय केॅ है स्वर्ग-नर्क रोॅ सवाल पुछलकै। पहिने तॉ महात्मा जी ने है प्रश्न रोॅ जवाब देना उचित नै समझलकै, कैन्हें कि हुनी जानै छेलै कि हौ सैनिक स्वर्ग-नर्क केॅ कथा-कहानी रोॅ नजरिया से देखी रहलो छै। मतुर जबेॅ सैनिक नेॅ जोॅर दै केॅ है बोललै कि महात्मा जी स्वर्ग-नर्क की वाकई में होय छै?

तबेॅ महात्मा जी ने होकरोॅ जिज्ञासा देखी कॉ होकरा सें ही प्रश्न पुछलकै-'तोहे के छेकौ?' युवक नेॅ उत्तर देलकै-'हम्में एक सैनिक छेकियै।' महात्मा जी ने फेरू कहलकै-'तोहे एक सैनिक छैकौ। हमरा तॉ नै लागै छै। कैन्हें तोहे झूठ बोली रहलोॅ छौ। तोरा जें भी अफसरें सैनिक बनैतोॅ, हौ मूर्ख बनतै। तोहे तॉ चेहरा-मोहरा से कायर आरोॅ डरपोक लागै छौ।'

युवक छेलै तॉ आखिर सैनिक ही। अपमान रोॅ बोल सुनी कॉ होकरोॅ खुन खौलै लागलै। क्रोध मेंआबी कॉ होकरॉ हाथ तलवार रोॅ मूठो पर चल्लोॅ गेलै। है देखी कॉ तखनिये महात्मा जी बोली उठलै-अच्छा तोहे तलवार भी राखै छौ। होकरोॅ मतलब है थोड़े ही होलै कि हम्मंे तोरा सैनिक समझी लेभौं। तोरोॅ तलबार में तॉ धारे नै छौ, तोहे हमरा की मारै लॉ पारभौ। है सुनथै हौ युवक क्रोध सें काँपै लागलै आरोॅ महात्मा जी कॉ मारै लेली तलवार कॉ म्यान सें निकाली कॉ झपटलै। है देखी केॅ महात्मा जी बगल हटी कॉ युवक सें कहलकै-देखो, यहा नर्क रोॅ द्वार छेकै, जेकरा में तोहें प्रवेश करी चुकलोॅ छौ। '

युवक सैनिक समझी गेलै कि महात्मा जी ने हमरा स्वर्ग आरोॅ नर्क रोॅ फर्क समझाय लेली ही है सब उपक्रम रूपी नाटक करी रहलोॅ छेलै। होकरो गोस्सा आवेॅ शान्त होलो छेलै। आवेॅ सैनिक कॉ पश्चाताप होय लागलै। वें तलवार कॉ नींचे राखी कॉ महात्मा जी केॅ आगु डंडवत होय कॉ काँनी के क्षमा माँगे लागलै। तवॉ महात्मा जी ने होकरा उठाय कॉ आपनोॅ छाती सें लगाय केॅ कहलकै-'देखो! हेकरा ही स्वर्ग कहै छै, जेकरा में तोहे आवेॅ आबी गेलो छौ।' मतलब हमरो अच्छाई ही स्वर्ग छेकै आरोॅ बुराई ही नर्क। है एक लघु लोक कथा छेकै।