स्वेटर / अंजू खरबंदा
Gadya Kosh से
"बुआ जी! आप किचके लिये स्वेटर बना लये हो!"
"मैं ये स्वेटर अपनी लाडो रानी के लिये बना रही हूँ!"
"अच्छा! मेले लिये!"
"हाँ! सर्दियाँ आने वाली है न! कुछ ही दिनों में ये स्वेटर तैयार हो जाएगी और फिर मेरी लाडो इसे पहन कर बिलकुल परी जैसी दिखेगी।"
"आप इछ पर फूल भी बनाना।"
"अच्छा जी! ...और!"
" औल...! कुछ सोचते हुए
"एक गुड़िया भी!"
"अच्छा तो तुम क्या करोगी उस गुड़िया का!"
"बुआजी! मैं उस गुड़िया के छात ख़ूब खेलूँगी।"
"अरे वाह! और क्या करोगी!"
"औल लोज उछे पलाउंगी।"
"अच्छा रोज़ पढ़ाओगी!"
"हाँ! ताकि वह पल लिख कर अपने पैलो पर खड़ी हो सके और मम्मी की तरह उसे लोज मार न खानी पड़े!"
बुआजी के हाथों से सिलाईयाँ छूटकर ज़मीन पर जा गिरी।