हक / अन्तरा करवड़े

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

"जल्दी करना सारा! पार्टी शुरू होने में घण्टा भर ही बाकी है।" अश्विनी ने फट से फोन पटका और तैयार होने के लिये कमरे में बंद हो गई।


नियत समय से दस मिनट पूर्व अश्विनी के घर पहुँची शालीन लिबास में लिपटी सारा को अश्विनी के तैयार न होने के कारण पन्द्रह मिनट और रूकना पड़ा।


"वॉओ ! लुकिंग ग्रेट। यार तुम इतनी जल्दी कैसे मैंनेज कर लेती हो सारा! मुझे तो ड्रेस डिसाईड करने में ही आधा घण्टा लग जाता है।" अश्विनी ने पूछा।


"मेरे लिये ये काम मेरी मम्मी कर देती है अश्विनी।" सारा ने सरलता से कहा।


"क्या मतलब? यानी तुम पार्टी में क्या पहनोगी ये डिसीजन भी अभी तक तुम्हारी मम्मी लेती है? बी मैंच्योर सारा! क्या तुम्हें सूट करता है उनका चॉईस?" अश्विनी ने कह तो दिया फिर जीभ चबाई कि उसने ही सारा को अच्छे लुक्स के लिये अभी कॉम्पलीमेंट दिया है।


सारा गंभीर हो उठी। "जिन्होने ये जिंदगी ही मुझे गिफ्ट की है¸ वे क्या मेरे लिये ड्रेस चुनने में गलती करेंगी अश्विनी? मैं तो इसे उनका राईट कहती हूँ।"


अब अश्विनी को अपनी पोषाक जाने क्यों¸ कुछ ज्यादा ही बदन उघाडू लगने लगी थी।