हथियार, भोजन और सनकीपन / जयप्रकाश चौकसे

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हथियार, भोजन और सनकीपन
प्रकाशन तिथि :05 अक्तूबर 2017


अमेरिका में स्वचलित हथियार खरीदने पर कोई पाबंदी नहीं है। हथियार रखना मौलिक अधिकार माना जाता है। हथियार बनाना और बेचना स्थायी उद्योग है। हथियारों की मांग कम होने पर वे युद्ध भी प्रायोजित करते हैं, जो हमेशा अन्य देशों में लड़े जाते हैं। उनके मुल्क पर संकट की बदली का आभास मात्र होने पर वे एटम बम गिरा देते हैं। अपनी सुरक्षा के प्रति इतने संवेदनशील हैं कि 'जरा सी आहट होती है तो चौंक जाते हैं' कि कहीं वह समाजवादी तो नहीं है। हॉलीवुड ने इसी मनोदशा पर एक विलक्षण हास्य फिल्म बनाई थी 'रशियन्स आर कमिंग'। हॉलीवुड बड़े साहस से अपने समाज का आईना बन जाता है परंतु हॉलीवुड की फिल्मों से अमेरिका में अवाम के जीवन के अनुमान लगाना उतना ही गलत होगा, जितना मुंबइया फिल्मों से भारतीय जीवन का आकलन करना। मेले-तमाशे में ऐसे आईने रखे जाते हैं, जिनमें मनुष्य की विकृत तस्वीर नज़र आती है। फिल्म 'सत्यम् शिवम् सुंदरम्' में इस तरह के आईने का एक दृश्य है। बेल्जियम के आईने बड़े प्रसिद्ध हैं। वहां आईना उद्योग खूब पनपा है, जिसमें तरह-तरह के प्रयोग भी किए जाते हैं। हॉलीवुड ने समय-समय पर इस प्रवृत्ति पर फिल्में भी बनाई हैं, जिनमें एक का तो नाम ही है 'हिस्ट्री ऑफ वॉयलेन्स'। इसी तरह की फिल्म है 'हाऊ द वेस्ट वॉज वन'। अमेरिका के सर्वकालीन सुपर सितारे मार्लन ब्रैंडो ने ऑस्कर पुरस्कार लेने से इसलिए इनकार कर दिया था कि वहां के मूल निवासी रेड इंडियन्स के साथ अन्याय किया गया था। उनका निर्मम दमन किया गया था। वहां के फिल्मकारों में बड़ा साहस है। ऑलिवर स्टोन की फिल्म 'जे.एफ.के.' में कैनेडी की हत्या का दोष निक्सन पर डाला और उन्होंने फिल्म का कोई विरोध नहीं किया। वॉटरगेट स्कैंडल पर भी फिल्म बनाई गई। वहां का सिनेमा अपने देश के जख्मों को उजागर करता है। हमारे यहां राजनीतिक पृष्ठभूमि पर रची फिल्म के प्रदर्शन में हजार बाधाएं खड़ी कर दी जाती हैं।

प्रकाश झा की 'दामुल', 'मृत्युदंड', 'अपहरण' और 'गंगाजल' में बिहार में मौजूद बीहड़ का सटीक चित्र उभरा था परंतु 'राजनीति' नामक सितारा जड़ित फिल्म में वे भटक गए। इस फिल्म के निर्माण के समय उनके प्रचार विभाग ने एक सच्ची एवं सार्थक फिल्म के संकेत दिए थे। अफवाह थी कि फिल्म सोनिया-राहुल को प्रस्तुत करेगी। यहां तक कि फिल्म के नायक रणवीर कपूर को मुंबई की लोकल ट्रेन में सफर कराया गया जैसे राहुल गांधी कुछ समय पूर्व कर चुके थे। एक चरण में यह भी प्रचारित हुआ कि यह महाभारत को महानगरीय परिवेश में प्रस्तुत करने का प्रयास है। निर्माता शशिकपूर के लिए श्याम बेनेगल इस तरह की 'कलयुग' नामक फिल्म बना चुके हैं। प्रदर्शन होने पर ज्ञात हुआ कि प्रकाश झा की फिल्म पर महाभारत से अधिक अमेरिकन फिल्म 'गॉडफादर' का प्रभाव है। गॉडफादर पूंजीवादी व्यवस्था की महाभारत ही है। हमारे सिनेमा में मध्यम बजट में सामाजिक सोद्‌देश्यता की फिल्में बनाने वाले व्यक्ति के साथ जब सितारे काम करने को तैयार होते हैं तो उन्हें बड़ा बजट भी प्राप्त होता है परंतु शायद बजट के भार से उनके पैर डगमगा जाते हैं। यही अनुराग कश्यप ने 'बॉम्बे वेलवेट' में किया और अनुराग बासु जैसा फिल्मकार जाने कैसे 'जग्गा जासूस' बना बैठा।

हाल ही में घटित त्रासदी के लिए केवल हथियार खरीदने की स्वतंत्रता को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। भारत में यह स्वतंत्रता नहीं है परंतु हत्याएं होती रहती हैं और चुनाव में भी हिंसा का प्रयोग होता है। हमारे कुछ नेताओं के मुख से गोलियां और गालियां दोनों ही निकलती हैं। कुछ लोगों की गालियां और गलतबयानी गोलियों से अधिक घातक एवं मारक होती हैं। अदालतों में 'सत्यमेव जयते' लिखा होता है परंतु झूठे गवाह न्याय नहीं होने देते। फिल्म 'जॉली एल.एल.बी.' शृंखला इसे बखूबी प्रस्तुत करती है। दरअसल, हथियार रखने की स्वतंत्रता हो या अवैध हथियार रखे जाएं, सारे हथियारों के ट्रिगर मनुष्य की विचार प्रणाली में निहित रहते हैं। दूषित प्रचार ट्रिगर का काम करते हैं। अमेरिका का व्यक्ति बिना हथियार के अपने आपको निर्वस्त्र-सा समझता है गोयाकि हथियार उसकी त्वचा के समान है। एक अमेरिकन फिल्म में किशोर वय का छात्र अने सहपाठी को गोली मार देता है। उनके बीच कोई मतभेद था। पकड़े जाने पर वह कहता है कि उसने अपने पिता को ऐसा करते देखा था। उसने यह जानने का प्रयास भी नहीं किया कि पिता के पास कोई ठोस कारण था या नहीं। क्या हिंसा भी आनुवंशिक हो सकती है गोयाकि ट्रिगर आप गर्भ में रहते हुए ही धारण कर लेते हैं। विज्ञान प्रमाणित कर चुका है कि गर्भ के पांचवें महीने में गर्भस्थ शिशु ध्वनियां सुन सकता है। गोयाकि मनुष्य देखने से पहले ध्वनि का अनुभव करता है और इन्हीं दो अनुभवों के साथ विचार प्रक्रिया भी प्रारंभ हो जाती है। अभिमन्यु ने मां के पेट में ही चक्रव्यूह को भेदना सीख लिया था परंतु बाहर निकालने का रहस्य बताए जाने के समय सुभद्रा को नींद आ गई थी। अर्जुन तो सुना रहे थे, सुभद्रा सो गई। सारे समय जागरूक रहना है। जब अष्टावक्र गर्भ में थे तब वे अपने पिता द्वारा बोले हुए गलत श्लोक से दुखी हो जाते थे और इसी कारण वे टेढ़े-मेढ़े शरीर के साथ जन्मे थे।

अमेरिका का मैकडॉनल्ड्स युवा वर्ग में लोकप्रिय हो रहा है परंतु चिंता की बात यह है कि भोजन के साथ ही हथियार प्रेम एवं ट्रिगर का सनकीपन भी रहा है।