हनी ईरानी और सारिका का रिश्ता / जयप्रकाश चौकसे

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हनी ईरानी और सारिका का रिश्ता
प्रकाशन तिथि :14 जनवरी 2016


सारिका और कमल हासन के बीच अलगाव अौर तलाक भी हो चुका है। उनकी पुत्रियां श्रुति अौर अक्षरा स्वतंत्र रहती हैं परंतु वे अपनी मां सारिका के ज्यादा करीब हैं। पति-पत्नी के 'गृहयुद्ध' की असली हानि बच्चों को झेलनी पड़ती है और इसके बुरे असर के परे यह भी होता है कि तलाक देने वाले पति-पत्नी के बच्चे बहुत मजबूत हो जाते हैं। सच है जिन्होंने अपना आशियाना टूटते देखा हो, उनके भीतर अजीब-सी धातु भर जाती है। जावेद अख्तर और हनी ईरानी के तलाक के समय फरहान व जोया शायद कमसिन हों या उस उम्र से भी छोटे परंतु दोनों ने अपने कॅरिअर बनाए तथा पिता जावेद, माता हनी के साथ ही शबाना से भी उन्होंने अच्छे संबंध बनाए रखे हैं। हनी तो वर्षों पूर्व कुडूर में बस गई हैं और विगत वर्ष उन्होंने श्रीमती कृष्णा कपूर, श्रीमती राजेंद्र कुमार, श्रीमती सलीम खान इत्यादि घनिष्ट मित्रों को एक पखवाड़े के लिए अपने निवास कुडूर में आमंत्रित किया था और तमाम मेहमानों ने वहां विविध व्यंजनों और सुरुचिपूर्ण रूप से सजे बड़े फॉर्म हाउस की सैर का खूब लुत्फ उठाया। वहां अनाज, फल-फूल आदि आर्गेनिक खेती के जरिये उगाए जाते हैं अर्थात वहां रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होता। सबसे बड़ी बात दरियादिल हनी ने अपने पुत्र-पुत्री में कभी अपने पिता या शबाना के प्रति दुर्भावना नहीं पनपने दी। इस तरह की परिस्थितियों में प्राय: संतानें हथियारों की तरह पाली जाती हैं ताकि अपने आहत मन को राहत दी जा सके।

सारिका और कमल हासन में सफलता से चली लंबी शादी के साथ यह भी समानता है कि दोनों ने चार वर्ष की आयु में बाल भूमिकाएं की थीं। यह कमल का तीसरा परंतु सारिका का पहला विवाह अनुभव था। सारिका ने बाल कलाकार के रूप में फिल्में कीं। फिर किशोर अवस्था मंे उन्होंने सचिन के साथ अनेक फिल्में कीं, जिनमें कुछ राजश्री कंपनी के लिए भी थी। सारिका का सारा मेहनताना उनकी माता को दिया जाता था अौर आगे जाकर ऐसा भी दौर आया कि बिना किसी धन या जायदाद के सारिका कई दिनों तक अपनी कार में सोईं। उन दिनों वे दिन के समय साधना के घर चली जातीं, वहीं दैनिक क्रिया से निवृत्त होतीं और साधना के लाख आग्रह के बाद भी रात में वे उनके घर नहीं रुकीं। उनका कहना था दिन-रात जागने वाले मुंबई को समझना चाहती है। ज्ञातव्य है कि उन दिनों वे साधना व उनके पति आरके नैयर की 'कत्ल' में काम कर रही थीं। उन्हीं दिनों कमल हासन व सारिका की प्रेम कहानी पनपी। उनका विवाह हु्आ अौर समय को पंख लग गए। सारिका की मां को शायद सोने के अंडे देने वाली पुत्री के जीवन से खारिज होने का दु:ख हो परंतु गलती तो उन्होंने ही की थी, वे अंडे खातीं परंतु मुर्गी को दाना-पानी और थोड़ा प्यार तो देतीं परंतु उन्होंने उसे बेड़ियां बांधने की गलती की।

सारिका ने अपनी मां के जीवन को नहीं दोहराया। उन्होंने श्रुति व अक्षरा को भरपूर आजादी दी है और जब वे सलाह-मशविरा के लिए आती हैं, तब उनको सलाह भी देती है परंतु स्नेह देने में उन्होंने कभी कसर नहीं की और उन्होंने भी हनी ईरानी की तरह अपनी पुत्रियों को उनके पिता के खिलाफ कभी हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया। राकेश रोशन की 'करण-अर्जुन' और सुभाष घई की 'राम-लखन' पुत्रों को हथियारों की तरह पालने की कहानियां हैं। आज दो तलाकशुदा सेलेब्रिटी पत्नियां हनी व सारिका ने अपने बच्चों को स्वतंत्रता दी है और उनके मन में सकारात्मकता का भाव भरा है। जो बात ये दो माताएं जान गईं, वो बात सरकारें और सत्ता अनदेखा करतीं हैं। संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नष्ट करने में उन्हें लगता है कि शासन-कला शायद इसी को कहते हैं। उनकी अमेरिका से आयात की गई विकास अवधारणा में करोड़ों भूखे, अशिक्षित लोगों के लिए कुछ नहीं है। नया संसद भवन बनाना, मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन चलाना इत्यादि जन-धन का दुरुपयोग करना है। आवश्यकता तो हजारों मील पुरानी ट्रेन पटरियों को बदलने की है। नया संसद भवन इसलिए चाहिए कि हर सांसद को व्यक्तिगत कक्ष नहीं मिल पा रहा है। जिस देश में छोटे-से मकानों में बड़े परिवार रह रहे हैं, उनके नुमाइंदे कमरे शेयर नहीं कर सकते।

फरहान अख्तर, जोया, श्रुति और अक्षरा स्वतंत्र हैं और अपने व्यक्तित्व को मांजने का प्यास सतत कर रहे हैं। उनकी माताओं ने अपनी कड़वाहट अपने ही गले में कहीं छिपा दी और बच्चों को प्यार दिया। आश्चर्य होता है कि इस स्वस्थ विचार शैली का उनके बचपन से ही अभिनय करने और अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ नन्हे सिपाही होने से क्या संबंध है। अभावों की अग्नि में कंचन हो जाना आसान नहीं है। परी कथाओं-सा बचपन और अभावों में तपे बचपन में अंतर संभवत: यह है कि जीवन की पाठशाला में पढ़े लोग मजबूत होते हैं।