हमशक्ल, हमसफर, हमजाद / जयप्रकाश चौकसे

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हमशक्ल, हमसफर, हमजाद
प्रकाशन तिथि : 19 जून 2014


साजिद खान की 'हमशकल्स' नामक फिल्म प्रदर्शित हो रही है जिसमें तीन पात्रों के दो-दो हमशक्ल हैं गोयाकि नौ प्रमुख भूमिकाएं हैं तो यकीनन आधा दर्जन नायिकाएं और खलनायक भी होंगे अर्थात भरी-पूरी फिल्म है। सिनेमा में दो हमशक्ल पात्रों की फिल्में दुनिया भर के देशों में बनाई गई। अमिताभ बच्चन ने 'महान' नामक फिल्म में तीन पात्र अभिनीत किए थे और संजीव कुमार ने एक फि?ल्म में नौ पात्र अभिनीत किए थे। दो हमशक्ल भाइयों पर अनेक फिल्में बनीं हैं और कथा के इस ढांचे की प्रथम फिल्म तथा किताब 'इम्पॉस्टर' थी जिसमें एक अंग्रेज का हमशक्ल जर्मन है जिसे जासूसी के लिए अंग्रेज बताकर लंदन भेजा जाएगा और आखरी रात अंग्रेज ने जर्मन हमशक्ल को मार दिया और उसके लंदन पहुंचने के पहले जर्मन अफसर अपने लंदन में सक्रिय जासूसों को खबर कर चुके हैं और अंग्रेज गुप्तचर संस्था के पास खबर है कि स्वयं को अंग्रेज बताने वाले जर्मन हमशक्ल हैं। लंदन पहुंचकर नायक को अंग्रेज गुप्तचरों और जर्मन गुप्तचरों दोनों से ही बचना है और अपनी सही पहचान साबित करना है। कुछ लोगों का विश्वास है कि सलीम-जावेद की 'डॉन' की प्रेरणा यही किताब है परन्तु 'डॉन' के दो दशक पूर्व शक्ति सामंत की शम्मी कपूर अभिनीत 'चायना टाउन' की भी यही कहानी है।

हमशक्ल भाइयों पर हास्य फिल्में भी बनीं है और दिलीपकुमार की 'राम और श्याम' श्रेष्ठ है तथा सलमान खान अभिनीत जुड़वां भी सफल फिल्म थी। शीघ्र ही आदित्य चोपड़ा की शाहरुख खान अभिनीत फिल्म की शूटिंग शुरू होगी जिसमें शाहरुख चालीस वर्षीय सुपर सितारे और उनका हमशक्ल बीस साल का उनका एक प्रशंसक है। इस कथा में अनंत संभावनाएं हैं, मसलन युवा अधेड़ को कैद कर ले और स्वयं को असल की तरह पेश करे तो अधेड़ की पत्नी से उनका क्या रिश्ता बनेगा और कमोबेश शाहरुख की ही अमोल पालेकर निर्देशित 'पहेली' की तरह पत्नी भूत को पति मानती है और यथार्थ पति, जो पैसे को प्रेम से ज्यादा महत्व देता है, से निजात पाकर प्रसन्न है।

एक कथा इस प्रकार भी है कि एक सेवानिवृत्त अधेड़ महिला सितारा दादा फाल्के पुरस्कार लेने अपनी हमशक्ल युवा बेटी को थोड़े से मेकअप के साथ भेजती है कि उसके प्रशंसक समझें कि वह आज भी आकर्षक है। इस कथा में मजेदार मोड़ यह है कि युवा हमशक्ल बिटिया को फिल्में मिल जाती और अपनी मां के जीवन को जीते हुए सफलता भोगती है परन्तु जब एक युवा से प्रेम होता है तो सच बताने का संघर्ष मन में शुरू होता है। ऐसे में वर्षों पहले चिरयौवन की अभिलाषा रखने वाली पत्नी को छोड़कर जो पति गया था, वह अपनी बेटी के लिए लडऩे आता है। खाकसार की यह कथा रमेश बहल सुचित्रा सेन एवं मुनमुन सेन के साथ बनाना चाहते थे परन्तु बात नहीं बनी। कुछ फिल्मकार हमशक्ल विचार को पुनर्जन्म के सांचे में ढालते हैं। हमशक्ल लोगों के विचार भिन्न होते हैं। प्रकृति डुप्लीकेट मशीन नहीं है। एक थ्योरी यह भी है कि एक ही शक्ल के सात इंसान होते हैं जिसमें कभी भेंट होना संभव है।

सच्चाई तो यह है कि एक ही आदमी के भीतर अनेक आदमी रहते हैं। दस सिरों वाले रावण की अवधारणा मनुष्य भीतर मनुष्य विचार का ही प्रतीक स्वरूप है। स्वयं को जानना जीवन का लक्ष्य इसीलिए है कि अपने भीतर के सारे चेहरों को समझ लें। कोई व्यक्ति निर्जन स्थान में भी अकेला नहीं है, उसके भीतर कई इंसान मौजूद हैं। हमारे भीतर बैठे हमारे अनेक स्वरूप ही हमारे असली हमसफर हैं। इस्लामिक साहित्य में हमजाद (मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास हमजाद पढ़ सकते हैं।) की अवधारणा यह है कि जन्म से ही हमारे भीतर शैतान पनपता रहता है और हृदय के कुरुक्षेत्र में मनुष्य और उसके हमजाद के बीच निरंतर युद्ध होता रहता है। सारा जीवन हम अपने भीतर छुपे कितने लोगों का भार ढोते रहते हैं और उम्रदराज होने पर कमर झुक जाती है क्योंकि अनावश्यक लगेज कब से ढो रहे हैं। हम सब कुली हैं।