हमशक्ल जुड़वां भाइयों की कथाएं / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 12 जून 2019
तीन या चार दिन पूर्व खबर प्रकाशित हुई थी कि भारतीय फौज में दो हमशक्ल सगे भाई अलग-अलग स्थानों पर तैनात किए गए हैं, क्योंकि उनकी समानता से बड़ी गड़बड़ी हो जाती थी। उनकी पढ़ाई-लिखाई और फौजी प्रशिक्षण साथ-साथ ही हुआ है। दूसरे विश्वयुद्ध के समय का विवरण देने वाले एक उपन्यास का कथासार इस तरह था कि बर्लिन में एक अंग्रेज जासूस पकड़ा गया और जेल में भेज दिया गया। जेल अधीक्षक ने बताया कि कैदी की शक्ल-सूरत से मिलता हुआ एक आदमी हमारी फौज में है। योजना बनाई गई कि जर्मन अफसर अंग्रेज कैदी के साथ कुछ वक्त बिताकर उसकी आदतों को देखे ताकि बाद में उस जर्मन को ही अंग्रेज कैदी की जगह लंदन भेजा जा सके और वह गुप्त जानकारियां बर्लिन भेजेगा। इसी योजना के तहत दोनों हमशक्ल साथ-साथ रहते हैं और अंग्रेज कैदी जर्मन को बेहोश करके लंदन जाने में सफल होता है। बेहोश जर्मन होश में आकर सबकुछ बताता है तो बर्लिन के अधिकारी अपने लंदन में सक्रिय जासूस को खबर देते हैं कि उस अफसर को मार दिया जाए। उधर अंग्रेज अफसरों को ज्ञात होता है कि एक जर्मन जासूस स्वयं को अंग्रेज बताकर देश में घुस आया है। अत: लंदन के जर्मन गुप्तचर और लंदन की पुलिस भी अब उसकी तलाश कर रही है। उसे दोनों ही शक्तियों से स्वयं बचाते हुए रहना है और अपना परिचय भी सिद्ध करना है। आज भी कई जगह सदियों से रहने वालों को अपनी पहचान सिद्ध करना पड़ रही है। ट्रम्प महोदय अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर अनावश्यक भार डालकर मैक्सिको से लगी सरहद पर एक दीवार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अजीब बात है कि एक ओर टेक्नोलॉजी तमाम सरहदों और दीवारों को तोड़ने में लगी है, तो दूसरी ओर हुक्मरान नई दीवारें बनाने में जुटे हैं।
बहरहाल, उस अंग्रेजी उपन्यास का देशी चरबा गुलशन नंदा ने 'वापसी' के नाम से प्रकाशित किया था। फिल्मकार सुरेन्द्र मोहन ने इस पर फिल्म 'वापसी' बनाने का इरादा किया और खाकसार ने राही मासूम रजा से पटकथा और संवाद लिखवाए ताकि वे गुलशनंदाई अतिभावुकता की चाशनी से मुक्त फिल्म बनाएं। इस फिल्म में दोहरी भूमिका में राजेश खन्ना, राखी, जीनत अमान, प्राण व अरुणा ईरानी अभिनय कर रहे थे। राहुलदेव बर्मन ने निदा फाज़ली के लिखे गीत रिकॉर्ड किए थे। एक गीत के बोल थे, 'ये कंकर पत्थर की दुनिया जज्बात की कीमत क्या जाने, दिल मंदिर भी है, दिल मस्जिद भी है, यह बात सियासत क्या जाने'। 'वापसी' की शूटिंग कश्मीर में तीन सप्ताह की गई और मुंबई में भव्य सेट्स पर भी शूटिंग की गई। 'वापसी' में घटनाक्रम ऐसा होता है कि पाकिस्तान का अफसर रशीद भारत के अपने हमशक्ल अफसर को कैद करके स्वयं उसकी जगह लेकर भारत आता है। वह घायल है अत: उसे छुटिटयां दी जाती है। रशीद अपने भारतीय हमशक्ल अफसर की मां से मिलता है। वह उसे एक अलबम दिखाती है। वह देश के विभाजन के समय अपने दो हमशक्ल बालकों को लेकर भाग रही थी। उन्मादी भीड़ उसे कत्ल करना चाहती थी। एक मौलवी ने उसे अपने घर में प्रश्रय दिया। हैवानियत के दौर में जाने कौन बचे, कौन मरे इसलिए वह मां अपना एक बेटा मौलवी साहब को देती है और दूसरा बेटा लेकर भारत आती है। सत्य जानकर कैप्टन रशीद मां को बताता है कि वह पाकिस्तान जाकर अपने कैदी भाई को छुड़ाकर लाएगा। उधर भारतीय अफसर जेल तोड़कर भागता है और अनजाने में कैप्टन रशीद के घर शरण लेता है। राखी उसे अपना पति समझती है परंतु वह लक्ष्मण रेखा पार नहीं करता। यह रोचक घटनाक्रम सुखांत प्राप्त करता है।
ऐसा माना जाता है कि हर दशक में सात हमशक्ल जुड़वा भाई किसी न किसी स्थान पर रहते हैं। जब विनोद खन्ना आचार्य रजनीश के साथ अमेरिका गए थे, तब उन्हें अपना एक हमशक्ल मिला था। शेक्सपीयर ने हमशक्ल लोगों पर नाटक लिखे हैं। शेक्सपीयर से प्रेरित गुलजार ने संजीव कुमार अभिनीत 'अंगूर' बनाई थी। संजीव कुमार के सेवक की भूमिका में देवेन वर्मा थे। उनका जुड़वा भी घटनाक्रम में मौजूद था। क्या ऐसा संभव है कि दो परस्पर दुश्मन देशों के शीर्ष नेता भी हमशक्ल हों? यह एक रोचक संभावना है।