हम सब विष कन्या विष पुरुष हैं ? / जयप्रकाश चौकसे

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हम सब विष कन्या विष पुरुष हैं?
प्रकाशन तिथि :11 जून 2015


मैगी प्रकरण में अमिताभ बच्चन और माधुरी नेने के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की खबरों के साथ ही यह भी सच है कि अभी तक उन दोनों कलाकारों के पास कोई सरकारी कागज नहीं आया है। इस तरह के मुकदमे कायम करने वाले भी जानते हैं कि अदालत में यह आरोप पांच मिनिट भी टिकने वाला नहीं है। देश की विभिन्न अदालतों में अनेक प्रकरण सितारों के खिलाफ महज इसलिए दायर होते हैं कि उनके अदालत में प्रस्तुत होने से मजा आएगा और उन्हें निकट से देख भी सकेंगे! मुकदमा वापस लेने के लिए धन लेना कई लोगों का व्यवसाय भी है। अगर किसी कलाकार द्वारा अभिनीत पात्र के प्रभाव और प्रेरणा से कोई कहीं अपराध करता है तो क्या कलाकार पर मुकदमा कायम किया जा सकता है? अपहरण और अन्य अपराध के लिए फिल्म माध्यम को दोष देने वाले भलीभांति जानते हैं कि यह माध्यम मात्र 100 वर्ष पुराना है, जबकि अपराध का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। व्यवसायी अभिनेता ब्रैंड का प्रचार पैसे लेकर करते हैं, यह उनकी रोजी रोटी है जैसे वकील भी खुलेआम जघन्य अपराध करने वालों का मुकदमा पैसे लेकर लड़ते हैं। नाथूराम गोडसे की भी वकालत की गई है और अपराधी के अच्छी अंग्रेजी में बात करने के लिए उन्हें निर्दोष घोषित किया जाए, इस तरह के विचार भी प्रकट किए गए हैं। रोजी रोटी कमाने का अधिकार सबको है।

इस प्रकरण का एक पक्ष यह भी है कि सर ऑलिवर लॉरेंस यथार्थ जीवन में जो ब्रान्डी पीते थे, उसके विज्ञापन का प्रस्ताव भी उन्होंने ठुकरा दिया था। राजकपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद को अनेक प्रस्ताव मिले, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। यहां तक कि राजकपूर ने अपने भाई शम्मी कपूर को आड़े हाथों लिया, जब उन्होंने एक गुटके का प्रचार किया। शम्मी कपूर ने सफाई दी थी कि जिस दिन गुटका प्रचार का विज्ञापन उन्हें मिला, उसी दिन उनके एक कैंसर पीड़ित पहचान वाले ने आर्थिक मदद उनसे मांगी थी और गुटका मालिक से मिला अपना पारिश्रमिक उन्होंने कैंसर पीड़ित को दिया। इस पर राजकपूर का कहना था कि क्या वह अपने कैंसर पीड़ित मित्र को स्वयं का धन नहीं दे सकता था। बात आकर व्यक्तिगत निर्णय पर टिकती है। कुछ कलाकारों का कहना है कि हम हर किस्म के पात्र निभाते हैं और इसी का एक्सटेंशन है किसी ब्रैंड का प्रचार। किसी ने राज कपूर को सलाह दी कि चावल और आलू रूस को निर्यात करने में बहुत फायदा है। आपका वहां बहुत सम्मान है तो राज कपूर ने उस व्यक्ति को जवाब दिया कि मैं फिल्म बनाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करता। सारा मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिरुचि का है। शाहरुख खान ने कभी अभिनय मेहनताने के लिए शर्त नहीं रखी, क्योंकि अपनी और परिवार की आवश्यकताओं के लिए वे ब्रैंड के प्रचार पर निर्भर हैं।

इस प्रकरण का तीसरा पक्ष यह है कि क्या सारी विवादित वस्तुओं के प्रयोगशाला में नमूने भेजे गए हैं? जिस भूखंड से मैगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, उसी स्थान से एक महानुभाव जाने कितनी चीजें बेचते हैं, जिनका परीक्षण अभी तक किया ही नहीं गया है। भारत में आंवला उत्पाद से कहीं अधिक मात्रा में आंवला आधारित वस्तुओं का प्रचार जमकर होता है और यह धंधा अरबों रुपए का है। शक्तिवर्द्धक काल्पनिक वस्तुओं की बाजार में भीड़ है, जबकि इस तरह शक्ति बढ़ाना असंभव है गोयाकि मनुष्य की कमजोरियों का बाजार में जमकर दोहन होता है। यह अजीबोगरीब देश है कि फर्जी डिग्री पर एक को जेल भेजा गया है और इसी तरह का दूसरा आरोपी पाठ्यक्रम बना रहा है। चुनाव प्रचार के समय किए गए दावों के खोखला सिद्ध होने पर कहीं कोई मुकदमा दायर करना असंभव है। हमारी सारी व्यवस्था माथे देखकर तिलक करती हैं और कमजोर कलाई बेड़ियों से जकड़ी जाती हैं। क्या देश में उत्पादित अनाज, फल, सब्जियां, दूध दोषमुक्त हैं और सेहत नहीं बिगाड़ रहे हैं? हम सब प्रतिदिन घूंट दर घूंट, निवाला दर निवाला, सांस दर सांस जहर ग्रहण करते हुए अब विष मनुष्य हो गए हैं, हमारे काटने पर कोबरा मर सकता है। हम अजर अमर हो रहे हैं। हमारी सरकारें हमें आण्विक युद्ध के पश्चात जीवित रहने वाला प्राणी बना रही हैं। ज्ञातव्य है कि आण्विक विकिरण का कोई प्रभाव कॉकरोच पर नहीं पड़ता।