हम होंगे कामयाब / बलराम अग्रवाल

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हम होंगे कामयाब

पात्र-

कामरेड विक्रम—फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का नेता

अमजद—अनपढ़ फैक्ट्री मजदूर

शंकर—अनपढ़ फैक्ट्री मजदूर

चेतन— पढ़ा-लिखा फैक्ट्री मजदूर

इनके अतिरिक्त 15-20 अन्य अनपढ़ फैक्ट्री मजदूर


सारे मजदूर जमीन पर उकड़ू बैठे हैं। उनके बीच से खड़ा होकर कामरेड विक्रम बोलना शुरू करता है—

कामरेड विक्रम—साथियो, जैसा कि आप सब को मालूम है कि हम सब यहाँ फैक्ट्री मालिक की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ इकट्ठे हुए हैं।

अमजद (अपने निकट बैठे मजदूर से)मजदूर विरोधी नीतियों का क्या मतलब है?

शंकर—चुप।

कामरेड विक्रम—साथियो, मजदूर आज जाग गया है।

अमजद (अपने निकट बैठे मजदूर से)—कौन-सा मजदूर सोया हुआ था?

शंकरचुप।

कामरेड विक्रम—वह अब अपना शोषण नहीं होने देगा।

अमजद (अपने निकट बैठे मजदूर से)शोषण क्या होता है?

शंकर (जोरों से चीखकर)—अबे क्यों कान खाए जा रहा है, चुप करके बैठ न।

कामरेड विक्रम उसकी चिल्लाहट सुनकर चौंक जाता है। वह समझता है कि शंकर यह बात उससे कह रहा है। वह उसकी ओर मुँह करके खड़ा हो जाता है।

कामरेड विक्रम—कौन मुझे चुप करके बैठ जाने की धमकी दे रहा है?

शंकर डरा-डरा-सा अपने-आप में सिमट जाता है।

कामरेड विक्रम—साथियो, मैं जानता हूँ कि मालिक लोग बड़े शातिर दिमाग होते हैं। हमारे एक-एक कदम की जानकारी उनके जासूसों के जरिए उन तक पहुँच जाती है। लेकिन मालिक के चमचों से हमें घबराना नहीं है। (यों कहते हुए वह अपना मुँह पुनः उसी ओर घुमा लेता है जिस ओर पहले था) मालिक की हर ईंट का जवाब हम पत्थर से देंगे।

अमजद (शंकर से)इसका क्या मतलब होता है?

शंकर (पूर्ववत झल्लाकर)—अबे चुप कर। इतने लोगों में एक तू ही है जो कुत्ते की तरह भौं-भौं किये जा रहा है।

यह सुनकर कामरेड विक्रम पुनः उसकी ओर घूम जाता है और क्रोधपूर्वक पूछता है—

कामरेड विक्रम—कौन है... हमारे बीच में कौन है जो मुझे कुत्ता कह रहा है?

सारे मजदूर डरे-सिमटे-से चुपचाप बैठे रहते हैं। कोई कुछ नहीं बोलता।

कामरेड विक्रम—साथियो, मैं जानता हूँ कि हममें से ज्यादातर साथी न तो यूनियन का मतलब समझते हैं और ना ही हड़ताल का। साथियो, यूनियन का मतलब है मजदूर एकता और हड़ताल का मतलब है मालिक से अपने हक छीनने के लिए की जाने वाली लड़ाई।

अमजद (शंकर से)इतने सारे लोग अकेले मालिक से एक-साथ लड़ेंगे या एक-एक करके?

शंकर—एक साथ मिलकर मारेंगे हरामखोर को। (यों कहकर गुस्से में खड़ा हो जाता है और अमजद का कॉलर पकड़कर उसे ऊपर की ओर खींचने लगता है) आ, खड़ा हो, चल।

कामरेड विक्रम उनके झगड़ने की आवाज़ सुनकर पुनः उधर घूम जाता है।

कामरेड विक्रम—तो तुम दोनों हो घर के भेदी!! एक साथ मिलकर मारोगे मुझे, ऐं ?

शंकर (सीधा खड़ा होकर)इतनी देर से कह रहा हूँ कि चुप कर, चुप कर; लेकिन मानता ही नहीं है।

कामरेड विक्रम की अभी भी समझ में नहीं आता कि शंकर उसके नहीं अमजद के बारे में बात कर रहा है। वह उसके तेवर देखकर सहम-सा जाता है।

कामरेड विक्रम (हाथ जोड़कर)शान्त होजा, नीचे बैठ जा साथी शंकर। बस एक मिनट में अपनी बात पूरी करके मैं भी चुप बैठ जाता हूँ।

इसके बाद भी कामरेड विक्रम कुछ न कुछ बोलता और मजदूरों को समझाता-सा रहता है लेकिन उसका सारा अभिनय मूक ही चलता है। इस मूक अभिनय के दौरान ही उन सबके बीच से उठकर एक मजदूर मंच पर आगे की ओर आ जाता है।

चेतन—हलो दोस्तो, मैं हूँ चेतन। जैसा कि अभी-अभी फैक्ट्री-मजदूरों की इस मीटिंग में आप देख रहे हैं—हमारे ज्यादातर मजदूर साथी अनपढ़ हैं और अपने हक की लड़ाई के छोटे-छोटे मुद्दों को नहीं जानते। इससे आपस में गलतफहमियाँ भी पैदा होती हैं लेकिन कोई बात नहीं। हर अच्छे कदम की शुरुआत ऐसे अनजान लोगों से ही होती है।

चेतन की इस बात के साथ ही पीछे चल रहा मूक अभिनय वाचाल हो उठता है। पहले कामरेड विक्रम का स्वर सुनाई देता है, उसके पीछे सभी गा रहे हैं—

कामरेड विक्रम—हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन।

सभी (एक साथ)हो-हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब एक दिन।

इन पंक्तियों के साथ ही प्रकाश धीरे-धीरे मंद होता हुआ अंधकार में बदल जाता है।

दृश्य समाप्त