हर-हीलो / सत्यनारायण सोनी

Gadya Kosh से
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अचाणचक उणरै साम्हीं अेक नूंवीं अबखाई आ खड़ी हुयी। बीस बरस री नौकरी मांय पैली बार उणनै लाग्यो जाणै बो आपरी बिरादरी सूं बारै हुंवतो जा रैयो है। इसो अजोगतो काम कर्यां रिस्तेदार तक उणनै भूंड सकै। उण असवाड़ै-पसवाड़ै तकायो, लाग्यो, स्टाफ रा सगळा साथी उण कानी ई तकावै है, स्कूल रा सगळा टाबरां री निजर उण माथै ई जमगी है जाणै। बो करै तो कांईं करै! स्कूल मांय ओ काम उणरै अलावा और किणी रै पांती कियां आवै! चपरासी तो और घणा ई है स्कूल मांय। कुल मिलायÓर तीन बळै है। पण आज बैरी दूजा दोनूं छुट्टी पर है। पतो नीं कांई आग लागगी। घरै रैवण नै आज ई वगत मिल्यो है स्साळां नै। अबार ओ सूगलो काम तो उणनै ई करणो पड़सी। प्रिंसीपलजी रै ई कांईं गोळी लागी, थोड़ी घणी ई सरम को करी नीं। स्कूल मांय पूगतां ई ओ काम भोळाय दियो। बण मूंडो मचकोड़्यो अर पिच्चदांणी थूक री पिचकारी छोड़ी। जीवणै हाथ सूं नाक पर अंगोछो धर्यो अर डावै हाथ सूं जनेऊ टंटोळी। 'लै भाई जीवड़ा, आज तो धरम-भिस्ट हुयÓर रैयसी। इण में रोळो कोनी।Ó आं गंडकां ई पूरी आग घालली। आज तो ईं बिलड़ी रा आंतड़ा अधेड़्या है, काल नै कोई टाबर नै ई तो पाड़ सकै। ग्राउंड मांय सूं बगतै अेक गंडक कानी उणरी निजर गई तो आंख्यां सूं खीरा निकळन लाग्या। सोच्यो, मार नाखूं हरामजादै नै। भळै उणरी निजर दफ्तर रै साम्होसाम लॉन मांय मरी पड़ी बिलड़ी पर गई। बिलड़ी री फगत मूंडकी अर आगला पंजा ई बठै पड़्या हा। लारलो पासो तो स्यात गंडका ठरड़ लेयग्या। बाकी छोडग्या उणनै सेकण सारू। अरै आ अळबाद ई ठरड़ लेय ज्यांवता तो मेरै क्यूं सेको मंडतो! माखी न्यारी लागरी है। उणनै लाग्यो जाणै नेड़ै गयो नीं अर भूं-भूं करती माखी उणरै लागी नीं। धोळा-धप्प गाभां रो ई सित्यानास हुय ज्यासी। पण बो करै तो कांई करै? पण अचाणचक उणरै मूंडै चेळको आयग्यो। सातवीं क्लास-आळै संजियै रोउणियारो उणरी आंख्यां मांय घूमण लाग्यो। बलवंतै मेहतर-आळो संजियो ओ कांटो काढ सकै। बीं रा पग रफ्तार पकड़ग्या। बरामदै मांखर हुयÓर सातवीं क्लास रै बारणै जाय पूग्यो। रामकिशनजी गणित पढावै हा। बां री निजर उण पर पड़ी। देख्यो अर बोल्या- हां, फरमाओ दादा!ÓÓ स्कूल मांय सगळा उणनै दादो कैयÓर बतळावै। सुणÓर बो फूलग्यो। उणनै लाग्यो जाणै उण सूं लांठो इण स्कूल मांय कोई कोनी। खुद प्रिंसीपल ई उण सूं कीं न कीं ओछो है। पण वगत री मा........। नीं तो ओ मुंह अर मस्सर री दाळ। म्हानै इस्यो काम भुळाय देवै? मुरदी लट्टी बाध काटगी। बड़ो टीकली कमेड़ी बण्यो फिरै। काल री भूतणी अर मुसाणां मांय आध। ऊंदरै नै हळदी री गांठ कांईं लाधी, पंसारी बण बैठ्यो। हां-हां, बोलो दादा!ÓÓ रामकिशन जी चाक रा हाथ झड़कावतां भळै पूछ्यो तो बो चेत्यो। थोड़ी-सी देर संजियै नै बारै घालियो, थोड़ो-सोÓक काम हो।ÓÓ के काम हो यार, दादा? सवालड़ा सीखण दे नीं।ÓÓ अेककाम हो।ÓÓ तो ई बता तो दे।ÓÓ के बताद्यां ओऽ, आं गंडकां तो आग घाल ली, रात नै अेक बिलड़ी गा आंतड़ा अधेड़ दिया।ÓÓ तो फेर?ÓÓ फेर के, चका देंवता, और के।ÓÓ संजियै कनियां?ÓÓ हां।ÓÓ क्यूं?ÓÓ मेहतरां गो छोरो है, के मैÓणो है?ÓÓ मैÓणो है दादा, ओ स्कूल है, अठै छोट-मोट कोनी चालै।ÓÓ रामकिशनजी रै मूंडै रा बोल सुण्या तो उण में बाकी को रैयी नीं। अबार जवाब देवै तो कांईं देवै। बीं रै पगां रो जाणै सत निकळग्यो। टूटेड़ी-सी चाल सूं बो स्टाफ-रूम मांय जाय पूग्यो। बण भूंडी-सी गाळ फटकारी। स्टाफ रूम मांय और कोई कोनी हो। बो कुर्सी पर जमÓर बैठग्यो। भैं...जणो-जणो बकील बण्यो फिरै है। दुनिया-भर गो अळसीड़ो आयÓर ईं स्कूल मांय भेळो हुयग्यो। सुरसती रो मिंदर न्यारो बतावै। मिंदरां गो कर दियो सित्यानास।ÓÓ बण बीड़ी सिलगा ली अर बड़बड़ांवतो लाग्यो सुट्टा मारण। छातरबरती आवै तो आं खातर, किताबां, कापियां, बस्ता आवै तो आं खातर। दुनिया-भर गो सींत गो माल आं नै सूंपद्यो। फीस माफ आं गी करद्यो। नौकरियां मांय कोटो न्यारो। फेर आं कनियां आं गो काम ई नां करवाओ! तो भाई, कोई पूछै आं नै, कै ईं दीवळ नै थे हरद्वार गा पंडा बणाऊ हो के?ÓÓ बीस बरस री नौकरी मांय आज तांई बुहारी बण साम्ही नीं, जंूठा ठाम बण मांज्या नीं। पण आज अचाणचक आ अळबाद! काम उढांवतां जाबक ई लाज को आई नीं ईं प्रिंसीपल गै बच्चै नै। देख तेरा भला होवै! बण घड़ी कानी देख्यो। पैलो घंटो पूरो हुवण मांय फगत अेक मिनट बची ही। बो दफ्तर रै साम्होसाम टंगी घंटी तांई जाय पूग्यो अर डंको इण भांत मार्यो जाणै सगळी रीस ईं घंटी सागै ई हुवै। दसवीं क्लास दफ्तर रै सारलै कमरै मांय ई लागै। प्रिंसीपलजी दसवीं क्लास सूं बारै आया। निजर लॉन कानी गई। भळै उण चपरासी रै उणियारै पर जाय टिकी। के होयो दादा! ईं बिलड़ी गो ई कोई हर-हीलो?ÓÓ हर-हीलो!ÓÓ बण मन ई मन नकल उतारी, पण बोल होठां पर को आवण दिया नीं। थूक रो अेक गुटको-सो गिटग्यो अर भळै मूंडै मुळक-सी ल्यांवतो बोल्यो, करस्यां ओ।ÓÓ प्रिंसीपलजी दफ्तर मांय जायÓर आपरै हीलै लागग्या। अेक भूंडी-सी गाळ उणनै भळै चेतै आई, पण दाबग्यो। मौको देखÓर बात करै जिको ई समझदार गिणीजै। ..........घाट-घाट गो पाणी पीयो है प्रिसीपल म्हैं ई। थनै कांई काढÓर देवूं। अचाणचक उणरै मूंडै भळै चेळको वापरग्यो। चोळै-आळी जेब सूं साइकिल री चाबी काढी। साइकिल रै नजीक पूग्यो, ताळो खोल्यो अर पैडल पर डावड़ो पग धरतो सीट पर सवार हुयग्यो। पैडलां पर बीं रा पग तावळा-तावळा चालै हा। बो भळै जरड़ी भींचण लाग्यो। हैंडल-आळै मु_ियां रै ई मरोड़ी-सी लागण लागगी। जाणै बां सूं कोई बो पुराणो बैर चूकतो हुवै। हर-हीलो न्यारो बतावै ईं सूगलै काम नैं। बोलण गी ई ग्याता कोनी।... थूऽ, थूऽऽ!ÓÓ बीं नै अेकर थूक्यां संतोख नीं हुयो। इण वास्तै दो-तीन बार थूक्यो। भगवान गै नाम गो ई सित्यानास कर दियो। हे लीलै तम्बू-आळा! आछो कळजुग आयो रे!ÓÓबलवंतै मेहतर-आळै बारणै साम्हीं जायÓर बण घंटी बजाई। बलवंतो बाखळ में बैठ्यो तंगळियां रै बाध घालै हो। आओ, आओ दादा! फरमाओ, हुकम करो।ÓÓ हुकम के करां यार, अेकर स्कूल में चाल नीं, अेक बिलड़ी मरी पड़ी है।ÓÓ बस दादा, थोड़ो-सो काम नमेड़ द्यूं। थे चालो, म्हैं आयो।ÓÓ पण दादै सोच्यो, सागै ले ज्यावण में ई भलार है, थोड़ी देर लागतां ई फेर बो ई हर-हीलै आळो ठरको! चाल यार बलवंत! क्यूं नखरा करै, सागै ई चाल नीं।ÓÓ देख के हुणी खाई है, गरज गधै नै ई बाप कह्वा देवै। बलवंतियै सूं बलवंत होग्यो। बण काम में मगन बलवंतै कानी घोरका-सा काढ्या, पण बीं री निगाह तो आपरै काम मांय ई ही। दादै रै बोलां पर ई बण ध्यान को दियो नीं। बो भळै बोल्यो- चाल यार बलवंता, क्यूं निहोरा कढावै, सागै ई चाल नीं, पांच रिपिया ले लेयी और के!ÓÓ पांच रिपियां में किसी टांग टूटै। इज्जत तो बचसी। बण सोच्यो। पांच रिपियां रो नांव सुणता ई बलवंतो मन ई मन मुळक्यो, लै रै दादा, तेरलो कांटो तो काढस्यां। आंवता मंडळ-डब्बी तो जरूर ले गे बड़स्यां।ÓÓ बलवंतै ने लेयÓर बो स्कूल मांय पूग्यो तो प्रिंसीपलजी टूंटियां कनै खड़्या हाथ धोवै हा। देखतां ई बोल्या, ओऽ हो, दादा, आं नै क्यूं फोड़ा घाल्या!ÓÓ फेर बलवंतै कानी देखता बोल्या, थे तो इंयां ई फोड़ा देख्या ओ, थारलो हर-हीलो तो म्हैं ई सलटा दियो। बीं आकटै कनै दरडिय़ो खोदÓर बूरगे आयो हूं।ÓÓ प्रिंसीपलजी री बात सुणÓर अेकर तो दादै चपरासी झटको-सो खायो, पण दूजै ई पल पांच रिपियां री बचत री बात मगज मांय आंवतां ई लाडू-सा फूटण लाग्या। थोड़ी ताळ पछै स्टाफ-रूम मांय टांग पर टांग धर्यां बींड़ती चूंचावतो बो सोचै हो, देख तेरी मा-द्याऊं, किसीÓक बखत री इसी-तिसी होयी है- जिका प्रिंसीपल बणना चाइजै हा, बै तो बणग्या चपड़ासी अर जिका चपड़ासी बणना चाइजै हा, बै बण्या बैठ्या है प्रिंसीपल! बारै दफ्तर रै साम्होसाम लॉन मांय खड़्यो बलवंतो पांच रै नोट नै उडीकै हो।

(2000)