हर कमजोरी की तोहमत ईश्वर पर लगाते हैं? / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 22 जनवरी 2022
आए दिन खबरें आती हैं कि अवैध शराब पीने से कुछ लोगों की मृत्यु हो गई। यह जानते हुए कि शराब कितनी हानिकारक है फिर भी लोग शराब का सेवन करने से बाज नहीं आते। कई प्रांतों में शराब पीना प्रतिबंधित है परंतु अवैध शराब बनाई जाती है। प्रतिबंध लगते ही अवैध शराब बनाने वालों को धन कमाने के अवसर मिल जाते हैं। एक दौर में फिल्म कलाकार भी शराब पीने का जुनून रखते थे।
विगत वर्षों से कलाकार कसरत करते हैं और मांसपेशियों बनाते हैं। इस तरह की कसरत करने वालों को प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल करना होता है। आयात किया हुआ प्रोटीन पाउडर बहुत महंगा होता है इसके बदले कलाकार को अभिनय में निखार लाना चाहिए। अगर शारीरिक सौष्ठव ही अभिनेता बनने में मदद करता तो गामा पहलवान और दारा सिंह सबसे बड़े सितारे होते। मनचाहा मीत नहीं मिल पाने पर कुछ लोग शराब पीते हैं। सुविधाजनक तो यह होता है कि जिससे विवाह हो उसी से प्रीत कर लें। लोकप्रिय गायक अभिनेता के.एल. सहगल की मृत्यु शराब पीने के कारण हुई थी।
दिलीप कुमार अपने जीवन में शराब नहीं पीते थे। बिमल राय की ‘देवदास’ में उन्होंने शराबी का अभिनय बड़े प्रभावोत्पादक ढंग से प्रस्तुत किया था। बदरुद्दीन ने कुछ फिल्मों में शराबी का अभिनय किया और उनका नाम ही जॉनी वॉकर हो गया।
ज्ञातव्य है कि स्कॉटलैंड की लकड़ी शराब सोखती नहीं है इसलिए शराब उससे बनी बैरल में रखी जाती है। मान्यता है कि शराब जितनी पुरानी हो, नशा उतना अधिक देती है। पुराने चावल और पुरानी शराब महंगी बिकती है।
छत्तीसगढ़ के एक क्षेत्र में सल्फी बनाई जाती है। छत्तीसगढ़ में जन्मे गुलशेर शानी ने जनजातियों पर किताबें लिखी हैं। संजीव बख्शी ने भी उस क्षेत्र पर श्रेष्ठ कथाएं लिखी हैं। संजीव बख्शी आला अफसर होते हुए भी लेखन के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं। बहरहाल, स्कॉटलैंड की लकड़ी के कारण वहां बनी शराब को सम्मान देने के लिए अमेरिका में बनी व्हिस्की को बर्बन कहते हैं। स्कॉच, केवल स्कॉटलैंड में बनी शराब को कहते हैं। कुछ देश इस परंपरा को अस्वीकार करते हुए अपनी शराब के नाम के साथ स्कॉट शब्द जोड़ देते हैं।
पाकिस्तान में शराब पीना गैर इस्लामिक माना जाता है परंतु आसपास के देशों से तस्करी करके शराब वहां लाई जाती है और खूब पी जाती है। कोई नहीं जानता कि कितनी मात्रा में शराब पीने से हानि होती है? सबकी क्षमता अलग-अलग है। अव्वल तो शराब पीना ही नहीं चाहिए। अगर भीतर का शून्य बढ़ गया है तो मात्रा स्वयं तय करना चाहिए। शायर काशिफ इंदौरी ने ग्वालियर के मुशायरे में बड़ी दाद पाई और तय किया कि अब शराब छोड़कर खूब नज्में लिखेंगे। उन्होंने आखिरी बार पी और दुर्भाग्य से वही शराब जहरीली निकली और उनकी मृत्यु हो गई। उनका एक शेर है, ‘सरासर गलत है मुझ पे इल्ज़ाम-ए-बला नोशी का, जिस कदर आंसू पिए हैं, उससे कम पी है शराब’। एक बार गालिब को वजीफा मिला। सारे धन से शराब खरीदकर ठेले पर लदवाकर घर आ रहे थे। एक मित्र ने पूछा कि थोड़ा अनाज खरीद लेते। गालिब का जवाब था कि रोटी देने का वादा ऊपर वाले का है। शराब की जुगाड़ तो मनुष्य को खुद करनी पड़ती है। गोया की हम अपनी हर कमजोरी की तोहमत ऊपर वाले पर लगा देते हैं।
गालिब का शेर है ‘ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर या वो जगह बता दे जहां पर ख़ुदा न हो ।’ इस शेर को प्राय: दोहराया जाता है।