हर शै मुसाफिर है, सफर में जिंदगानी है / जयप्रकाश चौकसे

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हर शै मुसाफिर है, सफर में जिंदगानी है
प्रकाशन तिथि : 27 दिसम्बर 2019


ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की जमाजोड़ जनसंख्या के बराबर संख्या में लोग प्रतिदिन भारतीय रेल में सवार रहते हैं। भारतीय रेल में सबसे कम किराया लगता है। हमारी रेल सेवा सक्षम है और अवाम की सेवा के साथ ही सरकार के लिए धन भी अर्जित कर रही है। इस तरह की बात कही जा रही है कि सरकार भारतीय रेलवे किसी औद्योगिक घराने को देने जा रही है। रेलवे प्राइवेट हाथों में जाते ही रेल यात्रा महंगी हो जाएगी। रेल का डिब्बा भारत की अनेकता में एकता का रेखांकन करता है। सब वर्गों और धर्मों को मानने वाले यात्री बड़ी शांति और भाईचारे के साथ यात्रा करते हैं। रेल यात्रा से प्रेरित कथाएं हैं और कुछ फिल्मों में रेल दृश्य प्रयुक्त किए गए हैं। 'पाकीजा' में प्रेम कथा रेल के डिब्बे से ही प्रारंभ होती है। पूरी फिल्म में पात्रों के अवचेतन में दर्ज रेल यात्रा की स्मृति बने रहने के पार्श्वसंगीत द्वारा अभिव्यक्त किया गया है। अब सिनेमा टेक्नोलॉजी इतनी विकसित हो गई है कि रेल यात्रा का दृश्य संपादन कक्ष में ही रचा जा सकता है।

फिल्मकार बिमल रॉय कि दिलीप कुमार अभिनीत 'देवदास' में रेल के डिब्बे में ही चुन्नी बाबू पुनः देवदास के जीवन में आ जाते हैं। दोनों मित्र शराब पीने लगते हैं। बिमल राय ने देवदास के शराब पीने के साथ रेल इंजन में कोयला झोंकने का दृश्य भी रखा है। बलदेव राज चोपड़ा अमेरिकन फिल्म 'बर्निंग इनफर्नो' से प्रेरित हुए परंतु उन्होंने बहुमंजिला इमारत में आग लगने की जगह चलती गाड़ी में आग लग जाने की फिल्म रची। इसी फिल्म की शूटिंग के लिए दिए गए डिब्बों को नुकसान पहुंचा था। इसी घटना के बाद रेल में शूटिंग के लिए बहुत सा धन विभाग में जमा करना होता है। 'बर्निंग ट्रेन' नामक फिल्म एक हादसा साबित हुई।

ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'आशीर्वाद' में अशोक कुमार रेल गीत गाते हैं। 'छुक-छुक रेल चली, नागपुर-रायपुर-खंडवा-मांडवा'। इसे भारतीय सिनेमा में पहला रैप माना जा सकता है। इस गीत के सृजन में हरींद्र चट्टोपाध्याय भी शामिल थे। अनेक फिल्मों में रेल दृश्य रहे हैं। विजय आनंद की फिल्म 'काला बाजार' में वहीदा रहमान रेल डिब्बे में ऊपर की बर्थ पर है और देव आनंद नीचे से ही गीत के माध्यम से प्रेम निवेदन कर रहे हैं। वहीदा के माता-पिता को यह समझाया जाता है कि गीत में ऊपर वाले से आशय ईश्वर से है। इस तरह माता पिता की मौजूदगी में प्रेम गीत प्रस्तुत किया विजय आनंद ने।

राजेश खन्ना को सितारा हैसियत 'आराधना' से मिली। इस फिल्म में नायिका ट्रेन में सवार है और नायक समानांतर सड़क पर जीप चलाते हुए गीत गा रहा है। सचिन देव बर्मन की प्रतिभा से सफल हुई थी राजेश खन्ना की 'आराधना'। रवींद्र जैन ने रेल की रिदम पर ही एक गीत रचा था 'राम तेरी गंगा मैली' में। रेल यात्रा भारतीय जनजीवन से जुड़ी है। अगर रेल प्रबंधन प्राइवेट सेक्टर में चला गया तो पूरे देश में महंगाई बढ़ जाएगी, क्योंकि मालगाड़ी द्वारा ही वस्तुएं भेजी जाती हैं। यात्री दर बढ़ने से अधिक हानि तो गुड्स ट्रेन के दर बढ़ने से होगी।

ज्ञातव्य है कि रेल विभाग ने अपने कर्मचारियों के लिए मकान बनवाए हैं और अस्पताल भी बनाए हैं। रेल अस्पताल विभाग में सेवा का बड़ा काम होता है। रेलवे स्टेशन पर किताबों की दुकानें भी होती हैं, जिनका संचालन एक ही कंपनी करती है। वहां हत्या, लूट-खसोट की सनसनी फैलाने वाली किताबें मिलती हैं। आज साहित्य प्रकाशन व्यवसाय बड़े संकट से गुजर रहा है। रेलवे स्टेशन पर अच्छी किताबें रखी जा सकें तो एक बड़ा परिवर्तन इस क्षेत्र में होगा। प्राय: मुसाफिर किताबें और पत्रिकाएं खरीदते हैं। रेल के माध्यम से बहुत कुछ सार्थक किया जा सकता है। रक्षा और रेल दोनों को ही प्राइवेट सेक्टर में जाने से बचाया जाना चाहिए। निदा फाजली कहते हैं, 'यहां हर शै मुसाफिर है और सफर में जिंदगानी है।'