हिंदुस्तान के ठग: आदित्य, आमिर की जुगलबंदी / जयप्रकाश चौकसे

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हिंदुस्तान के ठग: आदित्य, आमिर की जुगलबंदी
प्रकाशन तिथि : 29 सितम्बर 2018


कहावत है कि एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। फिल्म जगत में एसएस राजामौली की बाल पत्रिका 'चंदा मामा’ से प्रेरित तर्कहीनता का उत्सव मनाने वाली 'बाहुबली' ने बॉक्स ऑफिस पर कीर्तिमान बनाए। दक्षिण भारत के सुपर सितारे रजनीकांत और उनके प्रिय फिल्मकार शंकर विचलित हो गए हैं कि नौसिखिए प्रभास अभिनीत फिल्म ने उन्हें बहुत पीछे छोड़ दिया। अतः शंकर और रजनीकांत ने अक्षय कुमार को मुंह मांगे पैसे देकर खलनायक की भूमिका करने के लिए राजी किया और 450 करोड़ की लागत से उनकी रोबोट का भाग दो '2.0’ के नाम से बनाया गया। इस फिल्म के प्रदर्शन पर अभी भी प्रश्न-चिह्न लगा है, क्योंकि उन्हें 'बाहुबली' का रिकॉर्ड तोड़ना है। अतः अभी भी फिल्म का शृंगार किया जा रहा है।

'बाहुबली’ की कमाई से मुंबई का उद्योग भी चौंधिया गया। इस बिल्ली के गले में घंटी बांधने की योजना आदित्य चोपड़ा ने बनाई और आमिर खान ने उनका साथ देने का निर्णय लिया। उन्होंने 'बाहुबली’ से टकराने के लिए अमेरिकन फिल्म 'पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन’ को अपनी फिल्म का आधार बनाया। नागरिकों के लिए आधार कार्ड भले ही गैर-जरूरी माना गया क्योंकि हर व्यक्ति की पूरी जानकारी सरकार के अधीन रखने के कानून को वित्त का कानून बोलकर उसे राज्यसभा में खुली बहस से बचा कर लागू किया गया। इसे जस्टिस चंद्रचूड़ ने देश के साथ धोखा कहा है। आधार जैसे कोड़े नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी ने भी बनाए थे। इस वर्ष दीपावली के उत्सव के समय आदित्य व आमिर की फिल्म का प्रदर्शन होगा। इसके पूर्व आदित्य व आमिर ने 'फना’ और ‘धूम’ में भी सहयोग किया था और ‘धूम’ के डायरेक्टर ही इस फिल्म को भी बना रहे हैं। जहाजी लुटेरों की इस गाथा में देश प्रेम का समावेश भी किया गया है। इस खेल को 'भारत’ मनोज कुमार ने छद्म देश प्रेम की तरह गढ़ा था। उनकी फिल्म 'क्रांति’ का एक हिस्सा भी जहाज पर फिल्माया गया था, जिसमें रस्से से बंधी हेमा मालिनी जमीन पर लोटते हुए गीत गाती हैं। दर्शक को गुदगुदी करने और उंगली करने में अंतर होता है। एक और कहावत है कि 'जहाज का पंछी पुनि-पुनि पुनि जहाज पर आए। ठीक ऐसे ही व्यवस्था और हुक्मरान अपने 'सीक्रेट एजेंडा’ पर बार-बार लौटते हैं। बहरहाल, इस फिल्म के पात्र कुछ अजीबोगरीब पोशाक पहने नज़र आ रहे हैं। वे कमोबेश किसी कस्बे के भारत बैंड में वाद्य बजाने वाले जैसे दिख रहे हैं। बांसुरी की जगह खंजर रखी है और क्लेयरनेट की जगह तलवार बंधी है।

प्राय: परिवार में एक सदस्य 'कंट्रोल फ्रीक’ होता है। वह चाहता है कि वह दूसरों के लिए पोशाक चुने। क्या खाएं, कैसे खाएं यह वही तय करता है। ममुष्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन परिवार में इस तरह होता है। कभी-कभी परिवार के युवा छात्र को विज्ञान पढ़ने पर विवश किया जाता है। वह फेल होकर कॉमर्स कॉलेज में जाता है और अपने मनपसंद विषय साहित्य के अध्ययन के लिए टप्पे खाकर लौटता है। कंट्रोल फ्रीक लोग युवा ऊर्जा का इसी तरह विनाश करते हुए चलते हैं। यही विचारधारा राजनीति में प्रवेश करती है तो सनकी हेडमास्टर के कोड़े पर तरह-तरह नाच कर दिखाना यहां पड़ता है। हर क्षेत्र में घटी असफलता को भी सफलता की तरह प्रचारित किया जाता है। बहरहाल, आदित्य चोपड़ा ने निर्माण संस्था का भार संभालते ही सितारों को भरपूर मुआवजा देकर भव्य फिल्मों के निर्माण के साथ नए कलाकारों को प्रस्तुत करने वाली मध्यम बजट की फिल्में भी बनाईं। उन्होंने हबीब फैजल जैसे फिल्मकार को प्रोत्साहित किया। अनुष्का शर्मा और रणवीर सिंह को उन्होंने मनोरंजक फिल्म 'बैंड, बाजा और बारात’ में प्रस्तुत किया। हबीब फैजल, ऋषि कपूर और नीतू सिंह के साथ 'दो दुनी चार’ जैसी सौदेश्य मनोरंजन फिल्म बनाने के बाद कुछ भटक गए थे। अब वह पुनः आदित्य चोपड़ा के मार्ग निर्देशन में सौदेश्य मनोरंजन रचने जा रहे हैं।

‘हिंदुस्तान के ठग’ बनाने का विचार उन्हें कहीं से भी आया हो, यह तय है कि वह एक रोचक मनोरंजक फिल्म गढ़ेंगे। आमिर खान ने भी ‘लगान’ से अब तक सौदेश्य मनोरंजन ही गढ़ा है। वर्तमान में मनोरंजन के विकल्प उपलब्ध हैं और दर्शक को सिनेमाघर लाने के लिए ऐसा कुछ रचना पड़ता है, जिसे घर में टेलीविजन या मोबाइल पर आप नहीं पा सकते। यह भारत बैंड जैसी अजीबोगरीब पोशाक भी अवाम को रोमांचक लग सकती है। दिलीप कुमार ने 'आजाद’ व 'कोहिनूर’ में तलवारबाजी की थी। दिलीप कुमार ने अपनी 'गंगा जमुना’ में कबड्डी के मैच को उसी रोमांचक ढंग से शूट किया था। जिस ढंग से 'बेनहर’ में चैरियट रेस फिल्माई गई थी।

पानी के जहाज पर बीच समुद्र में पंछी का आना शुभ संकेत माना जाता है कि किनारा नज़दीक है। कहावत है कि जहाज में आए पंछी का वध करना अशुभ को निमंत्रित करने की तरह है जहाज के नाविक तूफान से जूझना जानते हैं। जहाज में रेत की बोरियां होती है जो उसे स्थिर रखती हैं। संकट के समय इन बोरियों को फेंक दिया जाता है और यह फ्लोटजेम कहलाती हैं। संतुलन इस तरह बनाया जाता है। कभी नेता भी अपने मंत्रिमंडल से एक सदस्य को फ्लोटजेम की तरफ फेंक देता है।

दरअसल, अनुभवी नाविक सभी तरह के तूफान के लिए तैयार रहते हैं परंतु अगर नाव में ही तूफान हो तो समस्या गहरा जाती है। इस समय देश के जहाज में ही तूफान है। समुद्र में एक बरमूडा ट्रायएंगल है जिसमें डूबे हुए जहाजों का रहस्य अनसुलझा ही रह जाता है। महंगाई भी एक बरमूडा ट्रायएंगल ही है।

'दरिया के तलातुम से तो बच सकती है कश्ती, कश्ती में तलातुम (तूफान) हो तो साहिल नहीं मिलेगा।’

कहावत है कि एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। फिल्म जगत में एसएस राजामौली की बाल पत्रिका 'चंदा मामा’ से प्रेरित तर्कहीनता का उत्सव मनाने वाली 'बाहुबली' ने बॉक्स ऑफिस पर कीर्तिमान बनाए। दक्षिण भारत के सुपर सितारे रजनीकांत और उनके प्रिय फिल्मकार शंकर विचलित हो गए हैं कि नौसिखिए प्रभास अभिनीत फिल्म ने उन्हें बहुत पीछे छोड़ दिया। अतः शंकर और रजनीकांत ने अक्षय कुमार को मुंह मांगे पैसे देकर खलनायक की भूमिका करने के लिए राजी किया और 450 करोड़ की लागत से उनकी रोबोट का भाग दो '2.0’ के नाम से बनाया गया। इस फिल्म के प्रदर्शन पर अभी भी प्रश्न-चिह्न लगा है, क्योंकि उन्हें 'बाहुबली' का रिकॉर्ड तोड़ना है। अतः अभी भी फिल्म का शृंगार किया जा रहा है।

'बाहुबली’ की कमाई से मुंबई का उद्योग भी चौंधिया गया। इस बिल्ली के गले में घंटी बांधने की योजना आदित्य चोपड़ा ने बनाई और आमिर खान ने उनका साथ देने का निर्णय लिया। उन्होंने 'बाहुबली’ से टकराने के लिए अमेरिकन फिल्म 'पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन’ को अपनी फिल्म का आधार बनाया। नागरिकों के लिए आधार कार्ड भले ही गैर-जरूरी माना गया क्योंकि हर व्यक्ति की पूरी जानकारी सरकार के अधीन रखने के कानून को वित्त का कानून बोलकर उसे राज्यसभा में खुली बहस से बचा कर लागू किया गया। इसे जस्टिस चंद्रचूड़ ने देश के साथ धोखा कहा है। आधार जैसे कोड़े नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी ने भी बनाए थे। इस वर्ष दीपावली के उत्सव के समय आदित्य व आमिर की फिल्म का प्रदर्शन होगा। इसके पूर्व आदित्य व आमिर ने 'फना’ और ‘धूम’ में भी सहयोग किया था और ‘धूम’ के डायरेक्टर ही इस फिल्म को भी बना रहे हैं। जहाजी लुटेरों की इस गाथा में देश प्रेम का समावेश भी किया गया है। इस खेल को 'भारत’ मनोज कुमार ने छद्म देश प्रेम की तरह गढ़ा था। उनकी फिल्म 'क्रांति’ का एक हिस्सा भी जहाज पर फिल्माया गया था, जिसमें रस्से से बंधी हेमा मालिनी जमीन पर लोटते हुए गीत गाती हैं। दर्शक को गुदगुदी करने और उंगली करने में अंतर होता है। एक और कहावत है कि 'जहाज का पंछी पुनि-पुनि पुनि जहाज पर आए। ठीक ऐसे ही व्यवस्था और हुक्मरान अपने 'सीक्रेट एजेंडा’ पर बार-बार लौटते हैं। बहरहाल, इस फिल्म के पात्र कुछ अजीबोगरीब पोशाक पहने नज़र आ रहे हैं। वे कमोबेश किसी कस्बे के भारत बैंड में वाद्य बजाने वाले जैसे दिख रहे हैं। बांसुरी की जगह खंजर रखी है और क्लेयरनेट की जगह तलवार बंधी है।

प्राय: परिवार में एक सदस्य 'कंट्रोल फ्रीक’ होता है। वह चाहता है कि वह दूसरों के लिए पोशाक चुने। क्या खाएं, कैसे खाएं यह वही तय करता है। ममुष्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन परिवार में इस तरह होता है। कभी-कभी परिवार के युवा छात्र को विज्ञान पढ़ने पर विवश किया जाता है। वह फेल होकर कॉमर्स कॉलेज में जाता है और अपने मनपसंद विषय साहित्य के अध्ययन के लिए टप्पे खाकर लौटता है। कंट्रोल फ्रीक लोग युवा ऊर्जा का इसी तरह विनाश करते हुए चलते हैं। यही विचारधारा राजनीति में प्रवेश करती है तो सनकी हेडमास्टर के कोड़े पर तरह-तरह नाच कर दिखाना यहां पड़ता है। हर क्षेत्र में घटी असफलता को भी सफलता की तरह प्रचारित किया जाता है। बहरहाल, आदित्य चोपड़ा ने निर्माण संस्था का भार संभालते ही सितारों को भरपूर मुआवजा देकर भव्य फिल्मों के निर्माण के साथ नए कलाकारों को प्रस्तुत करने वाली मध्यम बजट की फिल्में भी बनाईं। उन्होंने हबीब फैजल जैसे फिल्मकार को प्रोत्साहित किया। अनुष्का शर्मा और रणवीर सिंह को उन्होंने मनोरंजक फिल्म 'बैंड, बाजा और बारात’ में प्रस्तुत किया। हबीब फैजल, ऋषि कपूर और नीतू सिंह के साथ 'दो दुनी चार’ जैसी सौदेश्य मनोरंजन फिल्म बनाने के बाद कुछ भटक गए थे। अब वह पुनः आदित्य चोपड़ा के मार्ग निर्देशन में सौदेश्य मनोरंजन रचने जा रहे हैं।

‘हिंदुस्तान के ठग’ बनाने का विचार उन्हें कहीं से भी आया हो, यह तय है कि वह एक रोचक मनोरंजक फिल्म गढ़ेंगे। आमिर खान ने भी ‘लगान’ से अब तक सौदेश्य मनोरंजन ही गढ़ा है। वर्तमान में मनोरंजन के विकल्प उपलब्ध हैं और दर्शक को सिनेमाघर लाने के लिए ऐसा कुछ रचना पड़ता है, जिसे घर में टेलीविजन या मोबाइल पर आप नहीं पा सकते। यह भारत बैंड जैसी अजीबोगरीब पोशाक भी अवाम को रोमांचक लग सकती है। दिलीप कुमार ने 'आजाद’ व 'कोहिनूर’ में तलवारबाजी की थी। दिलीप कुमार ने अपनी 'गंगा जमुना’ में कबड्डी के मैच को उसी रोमांचक ढंग से शूट किया था। जिस ढंग से 'बेनहर’ में चैरियट रेस फिल्माई गई थी। पानी के जहाज पर बीच समुद्र में पंछी का आना शुभ संकेत माना जाता है कि किनारा नज़दीक है। कहावत है कि जहाज में आए पंछी का वध करना अशुभ को निमंत्रित करने की तरह है जहाज के नाविक तूफान से जूझना जानते हैं। जहाज में रेत की बोरियां होती है जो उसे स्थिर रखती हैं। संकट के समय इन बोरियों को फेंक दिया जाता है और यह फ्लोटजेम कहलाती हैं। संतुलन इस तरह बनाया जाता है। कभी नेता भी अपने मंत्रिमंडल से एक सदस्य को फ्लोटजेम की तरफ फेंक देता है।

दरअसल, अनुभवी नाविक सभी तरह के तूफान के लिए तैयार रहते हैं परंतु अगर नाव में ही तूफान हो तो समस्या गहरा जाती है। इस समय देश के जहाज में ही तूफान है। समुद्र में एक बरमूडा ट्रायएंगल है जिसमें डूबे हुए जहाजों का रहस्य अनसुलझा ही रह जाता है। महंगाई भी एक बरमूडा ट्रायएंगल ही है।

'दरिया के तलातुम से तो बच सकती है कश्ती, कश्ती में तलातुम (तूफान) हो तो साहिल नहीं मिलेगा।’