हिजाब / सुरेश सौरभ
सीओ सिटी विनोद सिंह बेहद चिंता में निमग्न बैठे थे, तभी उनके सामने सब इन्सपेक्टर मनीषा शाक्य जय हिन्द करते हुए प्रकट हुईं।
" जय हिंद आइए-आइए! मनीषा जी बैठिए-बैठिए, विनोद सिंह ने सामने पड़ी कुर्सी की ओर बैठने का इशारा किया।
मनीषा उनके माथे पर खिंची चिंता की लकीरों को पढ़ते हुए बोलीं-क्या बात है सर, बहुत चिंता में लग रहे हैं।
विनोद सिंह गम्भीर स्वर में बोलें-क्या बताएँ लग रहा, सारी इंसानियत मर रही है। कम्पलैन आई है, रामावती कालेज के आस-पास शोहदों ने लड़कियों को आना-जाना दूभर कर रखा है। तुम तो शोहदों को सबक सिखाने के लिए काफी मशहूर हो, अब तुम्हीं कुछ करो।
मनीषा-सर आप चिंता न करें। आज ही उन टपोरियों का कुछ इंतजाम करती हूँ।
फिर घंटे भर बाद रामावती कालेज के सामने सादे लिबास में हिजाब पहने एक लड़की बड़ी नजाकत से चली जा रही थी, उसके पीछे-पीछे, कुछ शोहदे फब्तियाँ कसते हुए चल रहे हैं। तभी अचानक वह एकदम से पलट कर मुड़ी, फौरन अपने चेहरे का हिजाब हटाया और आग्नेय नेत्रों से उन शोहदों को देखा। कयाकल्प... सारे शोहदे उसका रोबदार गुस्सैल चेहरा, देखकर फुर्र।