हिना, गदर और बजरंगी भाईजान / जयप्रकाश चौकसे

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हिना, गदर और बजरंगी भाईजान
प्रकाशन तिथि :16 जुलाई 2015


आज कल मनोरंजन क्षेत्र में 'जिंदगी' नामक चैनल पर पाकिस्तान में बने सीरियल दिखाएं जा रहे हैं 'और दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासत एक ही है, यह बात बार-बार रेखांकित हो रही है और उन कहानियों में हिंदी के शब्दों की भरमार है तथा दोनों देशों में शादी ब्याह के समान रीति रिवाज भी नजर आते हैं तथा दोनों देशों में महिलओं के दमन चक्र भी समान ही हैं। साहिर साहब के प्यासा के अमर गीत 'कहां हैं जिन्हें नाज है हिंद पर' में तवायफों के मोहल्ले की पृष्ठभूमि थी और कुछ पंक्तियों का आशय था कि इन बदनाम मोहल्लों में पिता और पुत्र भी आते हैं। पंक्तियां भी 'मदद मांगती है ये हव्वा की बेटी, यशोदा की हमजिन, जुलेखा की बेटी, यहां बेटे आते हैं और अब्बा मियां भी, ये बेटी भी है और बहन भी।' सही शब्द याद नहीं आ रहे हैं। बहरहाल आज कल रात साढ़े नौ बजे दिखाएं जाने वाले सीरियल 'तेरी रजा' का क्लाइमैक्स चल रहा है जिसमें एक तवायफ और शरीफजादे के सच्चे इश्क की कथा में सुखान्त होने के पहले ही यह राज उजागर हो गया कि यहां नायक के अब्बा भी आते थे और नायिका उन्हीं की बेटी है।

जिंदगी चैनल इस समय सांस्कृतिक सेतु का काम कर रहा है। उसमें प्रस्तुत गीतों में भजन भी शामिल हैं। और कुछ इस तरह के गीत भी हैं 'सूरज की गहरी खोली तो उसमें मिली सोती रात, पत्थर के तकिए पर सोते किसके आंख के मोती'। विभाजन की त्रासदी पर सरहद के दोनों ओर खूब लिखा गया है और सआदत हसन मंटो तथा कृश्नचंदर तो सरहद पर खड़े होकर लिखते हुए नजर आते हैं। अब्दुल्ला हुसैन की महान किताब 'उदास नस्लें' 1857 से 1947 तक के इतिहास का मानवीय दस्तावेज है और कई भाषाओं में अनुदित हो चुका है। खुशवंत सिंह की रचना 'ट्रेन टू पाकिस्तान' भी लोकप्रिय है।

विभाजन पर सरहद के दोनों और कुछ फिल्में भी बनी हैं। फिल्म विरासत तो इस कदर पसरी है दोनों मुल्कों में कि भारतीय फिल्म 'जागृति' के पाकिस्तानी संस्करण में 'तूफा से लाए हैं कश्ती' गीत को पाकिस्तान में केवल एक परिवर्तन करके जस का तस रख दिया है। गुजरात के एक फिल्म प्रेमी के पास दोनों संस्करण हैं। मनमोहन देसाई ने अपनी पहली फिल्म 'छलिया' दोस्तोविस्की की 'वाइट नाइट्स' से प्रेरित होकर बनाई थी और इसी की प्रेरणा से संजय लीला भंसाली ने 'सांवरिया' बनाई थी। दोस्तोविस्की की क्राइम एंड पनिशमेंट से प्रेरित फिर सुबह होगी में भी राजकपूर नायक थे और उनके पोते रणबीर कपूर ने वाइट नाइट्स के अन्य संस्करण सांवरिया में काम किया। गौरतलब यह है कि 'छलिया' के निर्माण के समय सैट पर ही राज कपूर ने एक खबर पढ़ी कि एक युवा भारतीय नदी में गिरकर पाकिस्तान पहुंचा जहां एक खानाबदोश ने उसके प्राण बचाए। इस यथार्थ पर राज कपूर ने कल्पना से एक प्रेम-कथा बुनी जिसमें खानाबदोश कन्या हिना 'नायक को सरहद पार कराती है। इस कथा का संस्करण ख्वाजा अहमद अब्बास ने लिखा, दूसरा जैनेन्द्र जैन ने तथा तीसरा पाकिस्तान की लेखिका हसीना मोइन ने। राज कपूर हमेशा लिखित पटकथा के साथ अपने मन में भी एक पटकथा रचते थे और फिल्म उसी अलिखित पटकथा पर बनती थी परंतु हिना के तीन गीत रिकार्ड करने के बाद उनकी मृत्यु हो गई और रणधीर कपूर ने फिल्म बनाई परंतु राज कपूर के मन में समाया क्लाईमैक्स उनके पुत्र कैसे जान पाते। बहरहाल 'हिना' के बाद इसी विचार का दूसरा स्वरूप 'गदर' बना। 'गदर' का एक संस्करण पाकिस्तान में बना परंतु उन्होंने नायिका को भारत से वापस पाकिस्तान ले जाना बताया।

राज कपूर की 'हिना' सरहद के आर-पार जाने वाले इंद्रधनुष की तरह थी और इसी विचार को जावेद अखतर ने रिफ्यूजी के गीत में रखा कि पक्षी, पवन और नदियां बेरोकरोक आती जाती हैं। सलमान खान और कबीर की फिल्म बजरंगी भाईजान राज कपूर की हिना की ही फिल्मी बहन की कथा है परंतु इस ताजा फिल्म में अबोध गूंगी अनपढ़ बच्ची केंद्र में है। इसका क्लाइमैक्स संभवत: राजकपूर की अलिखित पटकथा की तरह मानवीय संवेदनाओं का इंद्रधनुष है।