हिन्दी-साहित्य / हेमन्त शेष
Gadya Kosh से
बीवी के साथ शहर में जब कभी बाहर जाता हूँ, अहाते में खड़ी किसी भी जवान और सुन्दर स्त्री से रुक कर पूछता हूँ- “ जी! क्या आप हेमंत शेष का घर जानती हैं? फिर पूछता हूँ- नागार्जुन, शमशेर या त्रिलोचन जी का? ज़ाहिर है, जवाब हमेशा नकारात्मक ही मिलता है.
हमेशा पत्नी व्यंग से उलाहना देती है- “फ्लर्ट करने की तुम्हारी आदत बुढापे में भी गई नहीं? ”
मैं हमेशा की तरह उस से कहता हूँ- ” हिन्दी का दुर्भाग्य देखो! यहाँ कोई कवि इतना प्रसिद्ध नहीं हुआ जितना हम लोग समझते थे! ”