हिन्दी और अंग्रेजी
अंग्रेज़ी के संपर्क में आकर हिंदी सालों से बदलती आई है और अब सवाल यह उठता है कि क्या इस बदलाव से हिंदी हमेशा समृद्ध होती है या इसके कुछ नकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। संसार की हर भाषा दूसरी भाषाओं से प्रभावित होती है और हिंदी कोई अपवाद नहीं है। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि आर्थिक रूप से कमज़ोर भाषाएँ अंग्रेज़ी या अन्य भाषाओं से प्रभावित होने के बदले आतंकित होने लगती हैं।
संसार की हर भाषा के व्याकरण में एक बात बिल्कुल स्पष्ट होती है कि बहुवचन बनाने के लिए दूसरी भाषा के व्याकरण का पालन नहीं किया जाता है। लेकिन हिंदी में ऐसा नहीं होता है। हिंदी व्याकरण के अनुसार स्कूल के दो बहुवचन बन सकते हैं - स्कूल या स्कूलों। आज लोग 'स्कूल्स' जैसा बहुवचन बनाते हैं। यही बात ब्लॉग, वेबसाइट, चैनल आदि शब्दों पर लागू होती है। लोग यह भूल जाते हैं कि ये शब्द हिंदी में विदेशज शब्दों के उदाहरण हैं और विदेशज शब्दों पर भी हिंदी का व्याकरण लागू होता है क्योंकि इन विदेशज शब्दों का मूल भले ही किसी विदेशी भाषा में हो लेकिन हिंदी के शब्द बनने के बाद ये शब्द विदेशी नहीं रहते हैं।
मैंने रेडियो पर कुछ हिंदी समाचारवाचकों के मुँह से 'जपैन' जैसा उच्चारण सुना है। क्या हिंदी का जापान शब्द उन्हें देहाती-सा लगता है?
अंग्रेज़ी के समृद्ध होने की एक बहुत बड़ी वजह यह है कि इसने संसार की अनेक भाषाओं से शब्द लेने में कभी कंजूसी नहीं की। हिंदी को भी ऐसा ही करना चाहिए। लेकिन उदार होने का मतलब रीढ़विहीन होना नहीं होता है। हमें कुछ मूलभूत सिद्धांतों का पालन अवश्य करना चाहिए। अंग्रेज़ी में जब भारतीय भाषा का jungle शब्द लिया गया तो इसका बहुवचन बनाने के लिए हिंदी व्याकरण का प्रयोग नहीं किया गया। अंग्रेज़ी में jungle का बहुवचन jungle या junglon (हिंदी के जंगल या जंगलों की तरह) नहीं होता है। हिंदी में कुछ लोग ब्लॉग (कृपया ध्यान दें, मैं अभी हिंदी के ब्लॉग शब्द का उल्लेख कर रहा हूँ।) का बहुवचन ब्लॉग्स बनाते हैं। जब 'ब्लॉग' हिंदी शब्द बन चुका है तो इसका बहुवचन अंग्रेज़ी व्याकरण के अनुसार क्यों बनाया जाता है? यहाँ मैं मौखिक और लिखित भाषा में अंतर को भी स्पष्ट करना चाहूँगा। मौखिक हिंदी में अंग्रेज़ी के कई शब्दों का प्रयोग होता है। हम बोलचाल में ब्लॉग्स, चैनल्स, वेबसाइट्स जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं, लेकिन क्या इन प्रयोगों को लिखित भाषा में सही कहा जाना चाहिए? हर भाषा अपने लिखित और मौखिक रूपों में भिन्न दिखती है और हिंदी इसका अपवाद नहीं है।
मैंने कुछ लोगों को अपने आलेखों में चैनलों (बहुवचन में) और चैनल्स का प्रयोग करते देखा है। कभी आप यह वाक्य पढेंगे - "भारत में विदेशी चैनलों के आगमन से दूरदर्शन के दर्शकों की संख्या में कमी आई।" उसी आलेख में आपको यह प्रयोग भी देखने को मिलेगा - "विदेशी चैनल्स के कारण दूरदर्शन को कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है।" मैंने हिंदी के कई विद्वानों से ऐसे प्रयोग के औचित्य के बारे में पूछा है। अधिकतर विद्वान इसे गलत मानते हैं। मुझे मीडिया में भी ऐसे लोग मिले हैं जो ऐसे प्रयोगों को गलत मानते हैं। कुछ लोगों को भाषा के नियमों से संबंधित जानकारी नहीं होती है, लेकिन वे सही नियम जान लेने के बाद अंग्रेज़ी के अंधानुकरण को गलत बताते हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी कम नही है जो 'सब कुछ चलता है' का सिद्धांत अपना चुके हैं।
मैं आप सबसे यह जानना चाहता हूँ कि दूसरी भाषाओं से हमारी भाषा में आने वाले शब्दों पर हमें अपनी भाषा का व्याकरण लागू करना चाहिए या नहीं। इस सवाल से जुड़ा एक दूसरा सवाल भी महत्वपूर्ण है : क्या हमें अंग्रेज़ी की विशेष स्थिति को ध्यान में रखते हुए बहुवचन बनाने के लिए अंग्रेज़ी व्याकरण का पालन करना चाहिए?