हिन्दी बाल साहित्य का इतिहास / भाग 9 / प्रकाश मनु

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इस ग्रंथ के आते ही पाठकों और बाल साहित्यकारों की प्रतिकियाओं की मानो बाढ़ आ गई। ज्यादातर साहित्यकारों ने मुक्त कंठ से इसकी सराहना की और इसे बाल साहित्य में ‘एक मील का पत्थर’ कहा। एक वरिष्ठ साहित्यकार ने तो आचार्य रामचंद शुक्ल के इतिहास से इसकी तुलना करते हुए कहा कि मनु जी, जिस तरह आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखकर एक बड़ा और ऐतिहासिक काम किया, उसी तरह हिन्दी बाल साहित्य का इतिहास लिखकर आपने भी ऐसा काम किया है, जिसका महत्त्व समय के साथ निरंतर बढ़ता जाएगा। आज से सौ साल बाद भी लोग इतनी ही उत्सुकता और जिज्ञासा भाव के साथ इसे पढ़ेंगे।

इसी तरह एक और बड़े साहित्यकार की टिप्पणी थी कि मनु जी, आपने बाल साहित्य के विशाल समंदर को मथकर उसकी सबसे उज्ज्वल मणियाँ और दुर्लभ खजाना खोज निकाला है और उसे इस बृहत् इतिहास-ग्रंथ के रूप में प्रस्तुत किया है।...ऐसी और भी ढेरों प्रतिक्रियाएँ थीं। पर सच तो यह है कि मैं ख़ुद को आचार्य शुक्ल के पैरों की धूल भी नहीं समझता। हाँ, इतना ज़रूर है कि आचार्य शुक्ल के इतिहास समेत हिन्दी साहित्य के अन्यान्य इतिहास-ग्रंथों को मैंने बड़ी गभीरता से पढ़ा है और उनसे बहुत कुछ सीखा भी है। बाल साहित्य का इतिहास लिखते हुए वह मेरे बहुत काम आया।

इस ग्रंथ को लेकर निस्संदेह ऐसे सुझाव और प्रतिकियाएँ भी मिलीं, जिनसे आगे के काम की दिशाएँ भी खुलती जान पड़ीं। मेरी बहुत कोशिशों के बावजूद कुछ नए-पुराने लोगों की कृतियाँ मुझे उपलब्ध नहीं हो पाई थीं। इसलिए मैं जिस तरह उन पर लिखना चाहता था, नहीं लिख पाया। इस इतिहास के आने पर बहुत से लेखकों ने अपना प्रकाशित साहित्य मुझे भेजा, जो पहले बहुत प्रयत्न करने पर भी मुझे हासिल नहीं हो पाया था। मैं इन कृतियों को पढ़कर नोट्स ले रहा हूँ, ताकि आगे चलकर इन्हें भी इतिहास में शुमार किया जाए। मुझे खेद है कि ये चीजें मुझे पहले नहीं मिलीं। पर अब मिली हैं तो मेरी पूरी कोशिश होगी कि इनमें से अच्छी कृतियों को उचित महत्त्व देते हुए, मैं इस इतिहास-ग्रंथ में शामिल करूँ तथा उनकी विशेषताओं को रेखांकित करूँ।

यों मैंने बाल साहित्य के इतिहास के संशोधन का काम शुरू कर दिया है और इस इतिहास-ग्रंथ के दूसरे संस्करण में वे सब चीजें शामिल हों, जो छूट गई थीं—मेरी यह पूरी कोशिश होगी। इसके अलावा इक्कीसवीं सदी के बाल साहित्य पर भी मेरी एक बड़ी पुस्तक आ रही है। उसमें भी इनमें से बहुत-सी चीजों की चर्चा आपको मिलेगी।