हिसाब / दीपक मशाल

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सेठ जी की बेटी की शादी की चर्चा शहर तो क्या टी।वी। के सहारे देशभर में थी। बारातियों को बी।एम।डब्ल्यू। गाड़ियां और रोलेक्स की घड़ियाँ जो बांटीं गईं थीं। सभी बड़े प्रसन्न थे। लड़की को वांक्षित वर मिल गया था और लड़के को लक्ष्मी।

सेठ जी संपन्न तो थे ही, इस शादी से उन्हें शोहरत भी खूब मिली। ये और बात है कि देशव्यापी प्रसिद्धि के लिए मीडिया को भी खूब अफराया गया।

शादी के बाद आज घर की कामवाली बाइयों का हिसाब किया जा रहा था। एक दिन देर से आने की वजह से पगार में से सौ रुपये कटते देख मुन्नी ने गिडगिडाते हुए अपनी गरीबी हालत का हवाला दिया तो सेठ जी ने समझाया, “देख मुन्नी पहले ही इतना खर्चा हो चुका है और वैसे भी ये बिटिया की शादी थी, बेटे की शादी में सब हिसाब बराबर कर लेना।”