हैड एंड टेल / सुकेश साहनी
Gadya Kosh से
हम ख़ुशी से उछल पड़े, टॉस हमारे पक्ष में गया था। अब उन दो रास्तों में से किसी एक को हम चुन सकते थे।
पहला रास्ता बहुत ही बीहड़ था, उस पर चलते हुए हमें आग उगलते सूरज का सामना करना पड़ता जबकि दूसरा रास्ता समतल, साफ-सुथरा था, उसके दोनों ओर घने पेड़ों की छाया थी। उस पर चलते हुए सूर्य की ओर हमारी पीठ रहनी थी।
हमने दूसरा रास्ता चुना।
हम बेफिक्र थे। टॉस ने हमारा काम आसान कर दिया था। हमने पलक झपकते ही निर्धारित दूरी तय कर ली थी। लेकिन लक्ष्य पर पहुँचते ही हमें शॉक-सा लगा, हमारी ख़ुशी काफूर हो गई।
प्रतिद्वंद्वी टीम उस दुर्गम रास्ते से चलकर हमसे पहले ही वहाँ पहुँच कर जश्न मना रही थी। वे पसीने से तर बतर थे। श्रम की आँच से उनके चेहरे दमक रहे थे।
हमारे चेहरे बुझ गए थे। हमारे पास अपनी लम्बी होती परछाइयों के सिवा कुछ भी नहीं था। -0-