होइ-हो हे-हे / बलराम अग्रवाल

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पात्र सर्जना:

लड़की 1: प्रगतिशील मानसिकता वाली माँ

लड़की 2 व 3: परम्परावादी महिलाएँ

लड़की 4: प्रगतिशील विचारों वाली सुधारवादी युवती

लड़का 1: परम्परावादी मानसिकता वाला बाप

लड़का 2: हुक्का व परम्परावादी पुरुष

लड़का 3 व 4: प्रगतिशील विचारों वाला सुधारवादी नौजवान


सभी कलाकार दर्शकों के किनारे-किनारे हँसते-नाचते गाते हुए गुजर रहे हैं—

सभी लड़कियाँ एक साथ: जागा रे देश जागा…

सबसे आगे वाला लड़का 1: होइ-हो…

उसके पीछे चल रहे शेष सभी लड़के: हे-हे…

सभी लड़कियाँ एक साथ: सोया परिवेश जागा…

सबसे आगे वाला लड़का 1: होइ-हो…

उसके पीछे चल रहे शेष सभी लड़के: हे-हे…

सभी लड़कियाँ एक साथ: बस्ती जागी खेत जागा…

सबसे आगे वाला लड़का 1: होइ-हो…

उसके पीछे चल रहे शेष सभी लड़के: हे-हे…

लड़का 4 (कान पर हथेली रखकर ऊँची आवाज में): भागा रे…ऽ…भागा रे…

सभी लड़कियाँ एक साथ: अन्धा विश्वास भागा…

सबसे आगे वाला लड़का 1: होइ-हो…

उसके पीछे चल रहे शेष सभी लड़के: हे-हे…

लड़का 4 (कान पर हथेली रखकर ऊँची आवाज में पूर्ववत् ): मन में बैठा डर भागा रे…ऽ…जागा रे देश जागा रे… ऽ…

यों नाचते-गाते हुए वे पूरा एक चक्कर लगाते हैं । फिर रुककर एक जगह इकट्ठे हो जाते हैं और लड़के-लड़कियाँ सभी मिलकर ऊँचे स्वर में जोर से बोलते हैं: होइ-हो… ऽ…हे-हे…ऽ…।

लड़का 1: क्या है रे ! क्यों शोर मचा रखा है ?

लड़का 3: शोर नहीं है काका, यह उल्लास है, खुशी है।

बुजुर्ग: हो-हो-हो-हो करके चीखने को तुम खुशी जताना कहते हो ?

लड़का 4: हो-हो नहीं काका: हे-हे …

सभी मिलकर जोर से बोलते हैं: होइ-हो… ऽ…हे-हे…ऽ…।

लड़का 1: फिर वही बेहूदगी। हो-हो न सही; चलो, हे-हे ही सही…। क्यों मचा रखी है— हे-हे ?

चारों लड़कियाँ एक साथ—क्यों मचा रखी है: हे-हे …

चारों लड़के एक साथ: लो सुनो…

चारों लड़कियाँ एक साथ: सुनो नहीं, देखो…

चारों लड़के एक साथ: सुनो नहीं, लो देखो, क्यों मचा रखी है— हे-हे …

यों कहकर सभी अलग-अलग दिशाओं में बिखर जाते हैं । लड़की 1 गर्भवती औरत बनकर चूल्हा फूँकने और धुएँ से आँखें जलने का अभिनय कर रही है। कुछ दूरी पर लड़का 3 बालक बना गहरी नींद में सो रहा है।

लड़का 2 हुक्का बना हुआ है। लड़का 1 हुक्का गुड़गुड़ा रहा है। लड़का 1 पिता की भूमिका में है।

माँ: रे छोरे के बापू…

पिता: हाँ…ऽ…

माँ: अब की बार तो एकदम गीली लकड़ी डाल गया है टाल वाला…

पिता: (व्यंग्य पूर्वक) ठीक कहती है… छाँट-छाँट कर लाया होवेगा गीली लकड़ी…कि छोरे की अम्मा जब भी चूल्हा जलावै उसकी आँख फूटण लाग्गैं…

माँ: कभी सुन भी लिया करो कुछ…

पिता: चल बोल ।

माँ: जरा फुकनी उठा दो उधर से।

पिता: मैं तुझे ठाल्ली बैठा लग रहा हूँ के…उठ के ले ले।

माँ: छोरा…ऽ… रे छोरा…

लड़का (सोते-सोते ही करवट बदलते हुए): क्या है ?

माँ: अपने पास पड़ी फुकनी उठाकर पकड़ा दे जरा।

लड़का दूसरी ओर करवट बदलकर लेट जाता है।

माँ: छोरा…ऽ…रे, छोरा…ऽ…

लड़का करवट बदलता है। लेटे-लेटे ही कुछ अस्पष्ट बुदबुदाता है…

पिता: क्या छोरा…ऽ…रे छोरा…ऽ…की रट लगा रक्खी है…उठके उठा क्यों नहीं लेती है फुकनी…

माँ: ये हुआ था, तब के-के गीत गवे थे घर और मुहल्ले में ?

इसी के साथ माँ फ्रीज हो जाती है। बाप और हुक्का बना लड़का नाचने लगते हैं। शेष कलाकार भी इनके साथ आ मिलते हैं…

बाप: म्हारी लुगाई ने…

बाकी सब लड़के: छोरा जना है…

लड़की 2: प्यारी भौजाई ने…

बाकी दोनों लड़कियाँ: छोरा जना है

सारे कलाकार एक साथ: छोरा जना है, छोरा जना है …छोरा जना है, छोरा जना है ।

इसी के साथ पुराना दृश्य पुन: बहाल हो जाता है।

माँ: जन दिया छोरा। पड़ा रहवे है अजगर की तरह। छोरी होती तो आधे से ज्यादा हाथ बँटाती घर के काम-काज में।

बाप: इस घर में नाम मत ले लीजो छोरी पैदा करने का।

माँ: सो मेरे हाथ में है के?

बाप (हुक्का गुड़गुड़ाते हुए): तेरे नहीं, मेरे हाथ में तो है। डाक्टरनी बतावे थी कि अबकी बार छोरी है तेरे गरभ में ।

माँ: तो ?

बाप: कल को अस्पताल चलियो मेरे संग…छोरी ना चाहिए मनैं… चाहिए छोरा ही।

माँ: क्यों ?

बाप: इसलिए कि दुनिया मर्दों से ही चले है…लुगाइयों से नहीं।

माँ (चीखकर, गुस्से में): दुनिया मर्दों से ही चले है तो मेरे भाई से करता ब्याह, मुझसे क्यों किया? तेरी तो…(खड़ी होकर बाप के पास जा उसके हुक्के को लात मारकर गिरा देती है)

बाप (हड़बड़ाकर खड़ा होते हुए): अरे, क्या करती है…क्या करती है?

माँ (चूल्हे में से जलती हुई लकड़ी निकालकर लाती है और उसकी तरफ बढ़ती है): मर्दानगी उतारूँ हूँ तेरी…जगा इस अजगर के बच्चे को नींद से और हाथ-पैर हिलाने सिखा। इसे स्कूल भेज और खुद भी काम पर जा……।

लड़की 2 व 3 तथा लड़का 2 का समूह उसकी ओर बढ़ता है।

लड़की 2: अरे, कैसी औरत है ये…लड़की पैदा करने की तरफदारी करती है/

लड़की 3: गर्भ गिराने की बात पर अपने ही आदमी से झगड़ती है…

लड़का 2: घोर कलयुग है भाई…औरत हाथ में जलती हुई लकड़ी ले, मर्द से करे है हाथापाई।

लड़का 3 व 4 तथा लड़की 4 माँ (लड़की 1) की तरफदारी में उसके निकट जा खड़े होते हैं।

लड़का 4: कोई कलयुग नहीं है, वक्त की माँग है ये…

लड़की 4: मर्दवादी जमाने से खुद को आगे बढ़ाना होगा।

लड़का 3: लड़की और लड़के के बीच अन्तर को जड़ से मिटाना होगा।

लड़का 4 (दर्शकों की ओर): क्या आप जानते हैं कि सन् 2011 की जनसंख्या के आँकड़े कितने डरावने थे?

लड़की 4: हरियाणा में 1000 लड़कों के पीछे केवल 879 लड़कियाँ पैदा होने दी गयीं…

लड़का 3: बाकी सब को पैदा होने से पहले गर्भ में ही मार दिया गया।

लड़की 4: उत्तर प्रदेश में सिर्फ 912, बिहार में 918, उड़ीसा में 979, छत्तीसगढ़ में 991, तमिलनाडु में 996, आन्ध्र प्रदेश में 993 ही लड़कियाँ पैदा होने दी गयीं, बाकी सब को पेट में ही मार डाला राक्षसों ने…

लड़का 2: हे…ऽ…राक्षस किसको बोल रही है तू…

लड़की 4: ‘राक्षस’ बोल रही हूँ मैं (लड़का 2, लड़का 1 तथा लड़की 2, लड़की 3 की ओर इशारा करते हुए) तुम्हें…तुम्हें… इन्हें…इन्हें…और (समूचे दर्शक वर्ग की ओर उँगली घुमाते हुए) उन सबको जिन्हें सिर्फ लड़का चाहिए, लड़की एक भी नहीं।

लड़का 4: राक्षस हैं वो सारे मर्द और औरत जो गर्भ में ही लड़कियों की मौत के जिम्मेदार हैं।

लड़की 4 (लड़की 2 के कन्धों पर हाथ रखकर): तुम भी तो किसी औरत के पेट से पैदा हुई हो अम्मा? (औरत 3 के कन्धों पर हाथ रखती है) और तुम किसके पेट से पैदा हुई हो ताई जी?

लड़का 3: अपनी ही बच्चियों के हत्यारे मत बनिए… उन्हें भी हक है लड़कों की तरह हँसने-बोलने-खेलने-पढ़ने-बढ़ने का… उन्हें उनका हक दीजिए…उन्हें धरती की गोद में आने का मौका दीजिए…।

लड़की 4: उन्हें मौका देंगे तो यकीन मानिए…किसी लड़के से तिलभर भी कम साबित नहीं होंगी वे…

लड़का 3: अंतरिक्ष में कल्पना चावला ने

लड़की 4: बैडमिंटन में सायना नेहवाल और पी वी सिन्धु ने

लड़का 3: बॉक्सिंग में मैरी कॉम ने

लड़की 4: टेनिस में सानिया मिर्जा ने

लड़का 3: एवरेस्ट विजय करने में बछेन्द्री पाल ने

लड़की 4: युद्ध के मैदान में महारानी लक्ष्मीबाई ने, राजनीति में इन्दिरा गाँधी, मायावती, ममता बनर्जी, जय ललिता ने

लड़का 3: पहलवानी में सुनीता फोगाट, बबीता फोगाट, साक्षी मलिक ने

लड़की 4: जिमनास्टिक में दीपा करमाकर ने सिद्ध कर दिखाया है कि लड़कियाँ किसी से कम नहीं हैं…

लड़का 3: देश और विदेश की एक-दो, सैकड़ों-हजारों-लाखों नहीं, अनगिनत लड़कियों ने अपनी चतुराई और साहस से दिखा दिया है कि वे लड़कों से किसी भी मायने में कम नहीं हैं…

लड़की 4 (लड़की 1 व 2 के कन्धों पर हाथ रखकर): अपने ही हाथों से अपने औरत-वंश को खत्म करने पर क्यों तुली हुई हो अम्मा जी…क्यों तुली हुई हो ताई जी…(समूचे दर्शक वर्ग की ओर संकेत करके) अपने ही हाथों से अपने औरत-वंश को खत्म करने पर क्यों तुली हुई हो चाची जी…बुआ जी…बहन जी…

लड़की 2 व 3 (एक-दूसरे का हाथ थामकर हवा में उठाते हुए): नहीं होने देंगी…औरत-जात को खत्म करने की किसी भी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगी…

लड़की 4: तो फिर आओ…इसी खुशी में जश्न मनाओ……

सभी मिलकर प्रारम्भ की तरह नाचने-गाने लगते हैं ।

सभी लड़कियाँ एक साथ: जागा रे देश जागा…

सबसे आगे वाला लड़का 1: होइ-हो…

उसके पीछे चल रहे शेष सभी लड़के: हे-हे…

सभी लड़कियाँ एक साथ: सोया परिवेश जागा…

सबसे आगे वाला लड़का 1: होइ-हो…

उसके पीछे चल रहे शेष सभी लड़के: हे-हे…

सभी लड़कियाँ एक साथ: बस्ती जागी खेत जागा…

सबसे आगे वाला लड़का 1: होइ-हो…

उसके पीछे चल रहे शेष सभी लड़के: हे-हे…

लड़का 4 (कान पर हथेली रखकर ऊँची आवाज में): भागा रे…ऽ…भागा रे…

सभी लड़कियाँ एक साथ: अन्धा विश्वास भागा…

सबसे आगे वाला लड़का 1: होइ-हो…

उसके पीछे चल रहे शेष सभी लड़के: हे-हे…

लड़का 4 (कान पर हथेली रखकर ऊँची आवाज में पूर्ववत् ): मन में बैठा डर भागा रे…ऽ…जागा रे देश जागा रे…ऽ…